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राजस्थान: डूंगरगढ़ में आंकड़ों की बाजीगरी, कोरोना मौत को निगेटिव बताकर बॉडी सौंप रहा स्वास्थ्य विभाग

डूंगरगढ़ के मोमसार में 18 हजार की आबादी है. इस गांव में मौत का आंकड़ा बढ़ने का नाम ही नहीं लेता है. गांव के जेठराम बाबू बताते हैं कि गांव की असलियत बहुत खराब है. जो सरकारी आंकड़े बता रहे हैं वो असलियत से बहुत ज्यादा हैं. मरने वालों की संख्या बहुत है. डेथ सर्टिफिकेट में निगेटिव लिख कर दे देते हैं और मगर असल में वह पॉजिटिव होते हैं. 

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राजस्थान में आंकड़ों की बाजीगरी (फोटो-आजतक)
राजस्थान में आंकड़ों की बाजीगरी (फोटो-आजतक)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • राजस्थान में कोरोना आंकड़ों में हेरफेर
  • पॉजिटिविटी रेट बढ़ने के बावजूद टेस्टिंग कम
  • गांव में 20 से ज्यादा मौतें, आधिकारिक आंकड़ा 3

राजस्थान सरकार कोरोना मैनेजमेंट को लेकर भले ही अपनी पीठ थपथपा रही हो, लेकिन ग्राउंड रियलिटी बेहद खराब है. स्वास्थ्य अधिकारियों ने कोरोना टेस्टिंग कम कर रही है और मौत के आंकड़े छुपाये जा रहे हैं. 

राजस्थान के डूंगरगढ़ में स्थिति बेहद खराब है. यहां गांव में महामारी का सामना करना किसी चुनौती से कम नहीं है. लेकिन ये चुनौती तभी तक है जब तक मरीज जीवित है. अगर दुर्भाग्यवश मरीज की मौत हो जाती है तो चुनौतियां उसके परिवार के लिए शुरू होती है. ये चुनातियां एक सम्मानजनक विदाई के लिए होती है. जहां प्रोटोकॉल का पालन है, इलाज के रिपोर्ट में कई गड़बड़ियां और खामियां हैं. 

डूंगरगढ़ के मोमसार में 18 हजार की आबादी है. इस गांव में मौत का आंकड़ा बढ़ने का नाम ही नहीं लेता है. गांव के जेठराम बाबू बताते हैं कि गांव की असलियत बहुत खराब है. जो सरकारी आंकड़े बता रहे हैं वो असलियत से बहुत ज्यादा हैं. मरने वालों की संख्या बहुत है. डेथ सर्टिफिकेट में निगेटिव लिख कर दे देते हैं और मगर असल में वह पॉजिटिव होते हैं. 

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आंकड़े छिपाने के लिए धीमी गति से जांच
चिंताजनक यह है कि पॉजिटिविटी रेट बढ़ने के बावजूद टेस्टिंग को कम कर दिया गया है. यहां के कम्युनिटी हेल्थ सेंटर में मात्र 150 लोगों का टेस्ट किया गया है. ग्रामीणों का कहना है कि आंकड़े छिपाने के लिए धीमी गति से जांच किया जा रहा है. श्रवण का कहना है कि स्वास्थ्य अधिकारियों को 30 का टारगेट दे दिया गया है, इससे ज्यादा जांच नहीं की जाती है. इस गांव के लोगों का कहना है कि इस गांव में 20 से ज्यादा मौतें हो चुकी है. लेकिन आधिकारिक आंकड़ों में मौत की संख्या मात्र 3 है. 

एक मृतक के रिश्तेदार ने आजतक से कहा कि स्वास्थ्य अधिकारियों ने उनसे कहा कि पहले मरीज की जांच कराइए, आपकी रिपोर्ट घर पर आ जाएगी. जांच कराई गई तो कोरोना पॉजिटिव आया. फिर सांस फूलने लगी तो बीकानेर अस्पताल में जाकर भर्ती कराया, लेकिन दूसरे दिन खत्म हो गया. लेकिन डेथ सर्टिफिकेट पर निगेटिव लिखा है? अगर पॉजिटिव रिपोर्ट आई है तो, एकदम से निगेटिव कैसे हो जाएगी. 


बिना किसी प्रोटोकॉल सौंपा शव
ऐसी ही कहानी पूर्व सैनिक बिक्रमचंद की है. उनकी तबीयत खराब हुई और उन्हें बीकानेर अस्पताल ले जाया गया. 4 मई को अस्पताल के रिकॉर्ड में उन्हें कोरोना पॉजिटिव बताया गया. एक दिन बाद उनकी मौत हो गई और उनके बॉडी को बिना किसी प्रोटोकॉल को घरवालों को सौंप दिया गया. यानी की उन्हें कोरोना नहीं था. 

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गिरधारी अपने परिवार के तीन लोगों को खो चुके हैं. जब उनसे पूछा जाता है कि क्या उनका भतीजा धर्मवीर कोरोना पॉजिटिव है तो इसका जवाब देते देते उनका गला भर आता है. धर्मवीर को कोरोना उनके पिता की मौत के बाद हुई. धर्मवीर के पिता की मौत कोरोना से हुई थी, इसके बाद वो भी कोरोना की चपेट में आ गए, कुछ दिन में धर्मवीर की मौत हो गई. लेकिन उसके परिवार को भी बिना किसी प्रोटोकॉल के बॉडी सौंप दी गई. यानी कि ये भी कोविड निगेटिव केस था.  

धर्मवीर के परिवार वाले कहते हैं कि उन्हें 100 फीसदी कोरोना ही था. अगर साधारण सर्दी जुकाम रहता तो हम वहां क्यों लेकर जाते. लेकिन डॉक्टर ने निगेटिव रिपोर्ट क्यों दी इसकी जानकारी उन्हें नहीं है.

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