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नए वायरस समेत ये 5 कारण... शेयर बाजार में कोहराम, निवेशकों में कोरोनाकाल जैसा खौफ!

Stock Market Updates: निवेशक पिछले तीन महीने से लगातार परेशान हैं, और उन्हें अब समझ में नहीं आ रहा है कि बाजार इस तरह से क्यों रिएक्ट कर रहा है. निफ्टी पिछले 3 महीने से 24 हजार के आसपास बना हुआ है.

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Stock Market Crash
Stock Market Crash

शेयर बाजार क्यों नहीं संभल रहा है? ये अब बड़ा सवाल बनता जा रहा है. सोमवार को शुरुआती कारोबार के दौरान सबकुछ ठीक था. लेकिन फिर अचानक बाजार में भूचाल आ गया और देखते ही देखते सेंसेक्स (Sensex) 1100 अंक से ज्यादा टूट गया. सेंसेक्स टूटकर 78000 अंक के नीचे पहुंच गया, जबकि इंडेक्स का ऑल टाइम हाई 85,978.25 अंक है. इस तरह देखें तो सेंसेक्स अपने ऑल टाइम हाई से करीब 8000 अंक टूट चुका है, यानी 10 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आ चुकी है. 

दरअसल, निवेशक पिछले तीन महीने से लगातार परेशान हैं, और उन्हें अब समझ में नहीं आ रहा है कि बाजार इस तरह से क्यों रिएक्ट कर रहा है. निफ्टी पिछले 3 महीने से 24 हजार के आसपास बना हुआ है. माना जा रहा है कि जनवरी महीने में तेजी आएगी, क्योंकि 1 फरवरी को बजट पेश किया जाएगा, और सरकार का फोकस इकोनॉमी पर है, इसलिए कई सेक्टर्स में कैपेक्स का ऐलान हो सकता है. लेकिन अभी तक बाजार को कहीं से बल मिलता नहीं दिख रहा है. 

सोमवार को बाजार में गिरावट में 5 बड़े कारण सामने आए हैं...
1. चीन में नया वायरस: चीन में एक बार फिर नया वायरस सामने आया है, जिससे निवेशक घबराए हुए हैं. भारतीय बाजार में गिरावट का एक बड़ा कारण यही बताया जा रहा है, क्योंकि चीन में फैला इस नए वायरस का पहला मामला बेंगलुरु में मिल चुका है. हालांकि ये बहुत शुरुआत दौर में है और सरकार अलर्ट है, लेकिन निवेशकों के मन से कोरोना महामारी का खौफ गया नहीं है. 
 
2. वैश्विक अर्थव्यवस्था में उतार-चढ़ाव: हाल ही में वैश्विक अर्थव्यवस्था में कुछ अस्थिरता देखी गई है, जिसका प्रभाव भारतीय बाजार पर भी पड़ा है. अमेरिका में 20 जनवरी को डोनाल्ड ट्रंप शपथ लेंगे, उसपर पूरी दुनिया की नजर है. अगर ट्रंप कड़े फैसले लेते हैं तो फिर उसका असर ग्लोबल मार्केट पर पड़ेगा. 

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3. कच्चे तेल की कीमतों में उछाल: इंटरनेशनल मार्केट में ब्रेंट क्रूड 76.66 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया है, जबकि WTI क्रूड 74.14 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है. भारती अर्थव्यवस्था के लिए ये अच्छे संकेत नहीं है. अगर कच्चे तेल की कीमतों में और बढ़ोतरी आती है तो फिर भारत में उसका असर देखने को पड़ेगा. खासकर महंगाई दर में बढ़ोतरी की आशंका बढ़ जाएगी. 

4. डॉलर लगातार हो रहा है मजबूत: डॉलर का मजबूत होना, भारतीय इकोनॉमी के लिए सही संकेत नहीं है. फिलहाल एक डॉलर की कीमत बढ़कर 85.82 रुपये तक हो चुकी है. जिससे निर्यात और आयात दोनों पर असर पड़ रहा है. सीधे तौर पर इसका असर सरकारी खजाने पर पड़ रहा है. इसके अलावा विदेशी निवेशकों की भी बिकवाली जारी है. हर रोज विदेशी निवेशकों की बिकवाली भारतीय बाजार में गिरावट का एक बड़ा कारण है.  

5. तीसरी तिमाही के नतीजों को लेकर सस्पेंस: इसी हफ्ते से भारतीय कंपनियां तीसरी तिमाही के नतीजे पेश करना शुरू कर देंगी. TCS समेत कई बड़ी कंपनियां इसी हफ्ते नतीजे पेश करेंगी, इस बीच देश के सबसे बड़े बैंक HDFC ने तीसरी तिमाही का अपडेट दिया है, जो कमजोर नजर आ रहा है. जिससे आज बाजार का सेटींमेंट बिगड़ा है.

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इन सभी कारणों का मिला-जुला प्रभाव भारतीय शेयर बाजार में देखने को मिल रहा है. निवेशकों के लिए यह समय धैर्य और सूझबूझ से काम लेने का है. विशेषज्ञों का कहना है कि लंबी अवधि में बाजार फिर से स्थिर होता दिखाई दे सकता है. ऐसे में निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे अपने पोर्टफोलियो को डायवर्सीफाई रखें. 
 

(नोट: शेयर बाजार में निवेश से पहले वित्तीय सलाहकार की मदद जरूर लें)

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