शेयर बाजार (Share Market) में उतार-चढ़ाव का दौर बना रहेगा, इतिहास बताता है कि बाजार जितनी तेजी से गिरता है और उससे ज्यादा तेजी भागता भी है. इसलिए अगर म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) के माध्यम से इक्विटी (Equity) में पैसे लगा रहे हैं तो लंबी अवधि में आप बड़ा फंड जुटा सकते हैं. इसके लिए केवल सही रणनीति की जरूरत होती है.
दरअसल, भारतीय निवेशकों के बीच सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (SIP) काफी लोकप्रिय है, और लंबी अवधि में इसने मोटा पैसा बनाकर दिया है. इसके लिए '10-7-1' का एक खास फॉर्मूला काम करता है. यह नियम बाजार की अस्थिरता को समझने, लंबे समय तक निवेशित रहने और SIP अमाउंट में वृद्धि करने पर केंद्रित है. खास बात यह है कि यह फॉर्मूला सैलरीड प्रोफेशनल्स पर बेहतरीन काम करने वाला है. आप इस फॉर्मूले को अपनाकर वित्तीय लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं.
अब आइए जानते हैं कि क्या '10-7-1' नियम?
इस नियम का पहला हिस्सा '10' है, जो कि भारतीय शेयर बाजार में औसतन 7 साल में 10% की गिरावट की अपेक्षा को दर्शाता है. पिछले 23 वर्षों में से 20 के वर्षों के दौरान ऐसा हुआ है. इस तरह की गिरावट में अनुभवी निवेशक घबराने के बजाय SIP को जारी रखते हैं, क्योंकि बाजार के निचले स्तर पर कम NAV (नेट एसेट वैल्यू) पर अधिक यूनिट्स खरीदे जा सकते हैं.
इसका दूसरा हिस्सा '7' है, कम से कम 7 साल के निवेश होरीजोन को दर्शाता है. डेटा बताता है कि लार्ज कैप, फ्लेक्सी कैप और निफ्टी 50 इंडेक्स फंड्स में 7 या अधिक वर्षों तक निवेशित रहने पर सकारात्मक रिटर्न की संभावना बढ़ जाती है. यही नहीं, इस समय सीमा का पालन करने से निवेश का जोखिम कम हो जाता है और रिटर्न की संभावना बढ़ जाती है. उदाहरण के लिए आप वो समय 2000-2007, 2007-2014 या 2015-2022 को ले सकते हैं. इस फॉर्मूले ने लंबी अवधि के निवेश पर हमेशा लाभकारी परिणाम दिए हैं. दरअसल, यह फॉर्मूला एक खास टेन्योर और चक्रवृद्धि ब्याज (कंपाउंडिंग) के प्रभाव को दिखाता है.
इस फॉर्मूले का तीसरा हिस्सा '1' है, यानी हर साल. इसका मतलब है कि हर साल आपको अपने SIP की राशि में कम से कम 10% की बढ़ोतरी करनी चाहिए. जिससे कि लंबी अवधि में आपका पोर्टफोलियो सामान्य रिटर्न के मुकाबले करीब-करीब दोगुना पैसा बनाकर दे सकता है. उदाहरण के लिए अगर आप 10 हजार रुपये महीने की SIP करते हैं और उसपर 12% रिटर्न मिलता है तो 15 साल के बाद करीब 47 लाख रुपये मिलेंगे. लेकिन अगर आप 10 हजार रुपये की मंथली SIP के साथ हर साल निवेश की राशि में 10% की बढ़ोतरी करते हैं, तो 15 साल के बाद 12 फीसदी रिटर्न के हिसाब से कुल 82 लाख रुपये मिलेंगे. अगर 15 फीसदी रिटर्न मिल जाता है तो एक करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि जुटा सकते हैं. इस फॉर्मूल को स्टेप-अप- एसआईपी (Step-UP-SIP) कहते हैं. स्टेप-अप-एसआईपी का मतलब है कि निवेश को जारी रखते हुए, निवेश की राशि को भी एक तय समय पर बढ़ाते रहना है.
कंपाउंडिंग की ताकत
गौरतलब है कि निवेशक को यहां कंपाउंडिंग का फायदा होने वाला है. विशेषज्ञों का कहना है कि अनुशासित और धैर्यपूर्ण निवेश ही वास्तविक बड़ा फंड बनाने का आधार है. '10-7-1' फॉर्मूला उन निवेशकों के लिए एक मार्गदर्शक सिद्धांत है, जो जोखिम को समझते हुए लंबी अवधि में पैसा बनाना चाहते हैं. एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि निवेश शुरू करने से पहले वित्तीय लक्ष्य निर्धारित करें और अपनी जोखिम क्षमता का आंकलन करें. स्टेप-अप SIP को अपनाने से बढ़ती आय के साथ निवेश को बढ़ाया जा सकता है, जो मुद्रास्फीति से निपटने में मदद करता है.
स्टेप-अप-एसआईपी (सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) आपको अपनी आय बढ़ने के साथ-साथ अपने मासिक एसआईपी योगदान को सालाना बढ़ाने की अनुमति देता है. उदाहरण के लिए अगर आप 10,000 रुपये प्रति माह के एसआईपी से शुरू करते हैं, तो आप दूसरे वर्ष में 11000 रुपये मासिक निवेश करके राशि को 10% तक बढ़ा सकते हैं.
(नोट: म्यूचुअल फंड में निवेश से पहले वित्तीय सलाहकार की मदद जरूर लें)