भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 29 अक्टूबर को सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) 2017-18 सीरीज-V के लिए फाइनल रिडेम्प्शन प्राइस का ऐलान कर दिया है, जिसकी मैच्योरिटी 30 अक्टूबर, 2025 को होनी है. SGB के 2017-18 सीरीज-V में पैसा लगाने वाले निवेशकों को 8 साल के दौरान 303% यानी 4 गुना पैसा मिलने की उम्मीद है. यह पिछले समय में गोल्ड में आई शानदार तेजी का कमाल है.
मंगलवार को जारी एक नोटिफिकेशन के मुताबिक, केंद्रीय बैंक ने कहा कि 'एसजीबी 2017-18 सीरीज-V' (30 अक्टूबर, 2017) के लिए फाइनल रिडेम्प्शन प्राइस 11,992 रुपये प्रति ग्राम तय किया गया है. यह बॉन्ड प्राइस रूप से ₹2,971 प्रति ग्राम की दर से जारी किया गया था, जो शुरुआती निवेश से 4 गुना से भी ज्यादा का रिटर्न देता है.
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड योजना की शर्तों के अनुसार, बॉन्ड आठ वर्षों में परिपक्व होते हैं और निवेश किया गया पैसा मौजूदा सोने के बाजार मूल्य के हिसाब से दिए जाते हैं. आरबीआई ने कहा कि SGB का शुरुआती कीमत, स्टॉर्ट डेट से पहले पिछले तीन कारोबारी दिनों के लिए 999 शुद्धता वाले सोने के बंद भाव पर आधारित होती है, जैसा कि इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन लिमिटेड (IBJA) द्वारा जारी किया गया है. इसके बाद 27 अक्टूबर से 29 अक्टूबर, 2025 तक सोने की कीमतों के औसत के आधार पर अंतिम भुगतान तय किया जाएगा.
2019 वाले बॉन्ड पर भी बड़ा फायदा
आरबीआई ने 2019-20 सीरीज-VI वाले बॉन्ड के लिए भी 'प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन' (यानी 8 साल पूरे होने से पहले निकालने की सुविधा) निकालने के लिए कहा है. इन बॉन्ड्स को 30 अक्टूबर 2019 को 3,835 रुपये प्रति ग्राम की दर से जारी किया गया था, अब इन्हें भी 11,992 रुपये प्रति ग्राम की दर से निकाला जा सकता है. यानी निवेशकों को लगभग 217% का फायदा मिलेगा और इसमें 2.5% वार्षिक ब्याज शामिल नहीं है, जो हर 6 महीने में अलग से मिलता है.
कैपिटल गेन पर टैक्स नहीं
इस योजना का एक खास बात है कि यह कैपिटल गेन पर टैक्स नहीं वसूलता है. आरबीआई के मुताबिक, व्यक्तिगत निवेशकों के लिए इन बॉन्डों के मोचन पर होने वाले कैपिटल गेन आयकर से पूरी तरह फ्री हैं. हालांकि बॉन्ड पर देय 2.5% का सालाना ब्याज आयकर अधिनियम 1961 के प्रावधानों के अनुसार टैक्स योग्य बना रहेगा. इस योजना की यह खासियत SGB को लॉन्ग टर्म में निवेशकों के लिए आकर्षक बनाती है.
निवेशकों को क्या करना चाहिए?
अपने बॉन्ड भुनाने की योजना बना रहे निवेशकों को अपने एसजीबी की जारी डेट और अंतिम डेट की जांच अवश्य कर लेनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि यह प्रीमैच्योर हैं या फिर मैच्योर हो चुके हैं. निर्धारित समय सीमा के भीतर, जारीकर्ता बैंक, स्टॉक होल्डिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एसएचसीआईएल), डाकघर या डिपॉजिटरी प्रतिभागी जैसे माध्यमों से भुनाया जा सकता है.