8वां वेतन आयोग का गठन हो चुका है और इसके टर्म ऑफ रेफरेंस की भी मंजूरी दे दी गई है. अब सरकारी कर्मचारी और पेंशनर्स इसके जल्द से जल्द लागू होने का इंतजार कर रहे हैं. हालांकि अभी इसपर रिपोर्ट सबमिट किया जाएगा, फिर मंत्रियों का एक समूह 8th Pay Commission की रिपेार्ट का पूरा रिव्यू करेगी. इसके बाद केंद्र सरकार के पास ये रिपोर्ट जाएगी, जिसके बाद इसे लागू किया जा सकता है.
एक्सपर्र्ट्स बताते हैं कि 8th Pay Commission के प्रॉसेस के पूरा होने में 2 से 3 तक भी लग सकते हैं. अब एक खबर सामने आई है, जिसमें कहा गया है कि 8वां वेतन आयोग के लागू होने से केंद्र और राज्य दोनों पर भारी दबाव पड़ सकता है. इकोनॉमिस्ट और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) के सदस्य नीलकंठ मिश्रा के अनुसार, 8वें वेतन आयोग के लागू होने पर पब्लिक फाइनेंस पर भारी दबाव पड़ेगा.
इतने लाख करोड़ का बढेगा बोझ
मिश्रा का अनुमान है कि 8वें वेतन आयोग के तहत बदलाव सैलरी और पेंशन का कुल भुगतान 4 लाख करोड़ रुपये को पार कर सकता है. पांच तिमाहियों के बकाया को भी इसमें शामिल कर लिया जाए, तो कुल मिलाकर यह राशि लगभग 9 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है.
उन्होंने कहा कि पॉलिसी बनाने वालों को वित्त वर्ष 28 की तैयारी करते समय इस बोझ का सावधानीपूर्वक आकलन करना होगा. उन्होंने नई दिल्ली में CII इंडियाएज 2025 शिखर सम्मेलन में कहा कि वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने के साथ, राजकोषीय दबाव काफी बढ़ जाएगा. डेट से GDP प्रतिबद्धताओं का पालन करते हुए इसे सावधानी से लागू करने की आवश्यकता होगी.
सरकार के ट्रेजरी फंड में बढ़ोतरी को कम कर सकता है
यह चेतावनी ऐसे समय में आई है जब भारत वित्त वर्ष 27 से पांच साल डेट-जीडीपी ट्रेजरी फंड में बदलाव की तैयारी कर रहा है, जिसका विवरण आगामी केंद्रीय बजट में आने की उम्मीद है. मिश्रा ने बताया कि भारत पहले से ही अपने ट्रेजरी कंसोलिडेशन प्रयासों में एक अलग राह पर है और अभी कम महंगाई दर का माहौल अर्थव्यवस्था में अतिरिक्त क्षमता का संकेत देता है. यह आठवें वेतन आयोग की भारी लागत के साथ मिलकर सरकार के लिए ट्रेजरी सख्ती सर्किल की गुंजाइश को सीमित कर सकता है.
8वें वेतन आयोग पर अपडेट
वित्त मंत्रालय ने 8वें वेतन आयोग के टर्म ऑफ रेफरेंस (TOR) को लेकर श्रमिक संघों और कर्मचारी समूहों द्वारा उठाई गई चिंताओं का समाधान करते हुए एक स्पष्टीकरण जारी किया है.TOR नोटिफाई होने के बाद से ही, यूनियनों ने एक महत्वपूर्ण चूक की ओर ध्यान दिलाया था, पेंशन संशोधन का कोई स्पष्ट जिक्र नहीं होना. पिछले सभी वेतन आयोग ने पेंशन और वेतन दोनों में संशोधन को स्पष्ट किया था.
पेंशन को 8वें वेतन आयोग से बाहर रखा जाएगा?
इस चुप्पी से यह चिंता पैदा हो गई कि सरकार शायद पेंशन सुधारों को आठवें वेतन आयोग के दायरे से बाहर रखने की योजना बना रही है. 69 लाख से ज्यादा पेंशनर्स, एक्टिव कर्मचारियों के साथ समानता बनाए रखने के लिए संशोधनों पर निर्भर हैं, इसलिए यह मुद्दा जल्द ही एक बड़ी चिंता का विषय बन गया. कई संगठनों ने सरकार को पत्र लिखकर चेतावनी दी कि पेंशन संशोधन को बाहर रखने से एक बड़ी चूक होगी और रिटायर्ड कर्मचारियों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.
डीए को बेसिक सैलरी में नहीं मर्ज किया जाएगा
सरकार ने अब राज्यसभा में अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है. एक सवाल के जवाब में फाइनेंस राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि आठवां वेतन आयोग केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए सैलरी, भत्ते, पेंशन आदि पर सिफारिशें करेगा. इससे यह स्पष्ट होता है कि पेंशन संशोधन, पहले की तरह अब भी आयोग के दायरे में ही है. इस स्पष्टीकरण से नवंबर से चली आ रही चिंता कम होने की उम्मीद है. वित्त मंत्रालय ने यह भी पुष्टि की है कि महंगाई भत्ते (डीए) या महंगाई राहत (डीआर) को मूल वेतन में मिलाने का फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है.