अमेरिका के एक संघीय जज ने विदेशी कुशल कामगारों की संख्या में भारी कटौती वाले H-1B वीजा पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश को रद्द कर दिया है. यह भारत, चीन के टेक प्रोफेशनल्स के लिए राहत की खबर है.
अमेरिकी प्रांत कैलिफोर्निया के डिस्ट्रिक्ट जज जेफेरी व्हाइट ने कहा कि सरकार ने पारदर्शिता की प्रक्रिया का पालन नहीं किया है और सरकार का यह दावा निराधार है कि कोरोना महामारी में नौकरियों के जाने की वजह से यह बदलाव जरूरी था. इसकी वजह यह है कि ट्रंप प्रशासन ने काफी पहले से यह बात कहनी शुरू कर दी थी और इन नियमों को अक्टूबर में सिर्फ प्रकाशित किया गया था.
गौरतलब है कि अमेरिका सरकार हर साल टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मेडिसीन जैसे क्षेत्रों के लिए 85 हजार H-1B वीजा जारी करती है. अमेरिका में फिलहाल करीब 6 लाख H-1B वीजा होल्डर हैंं, जिनमें से ज्यादातर हिस्सा भारत और चीन के लोगों का है.
क्या है मामला
इस साल अक्टूबर में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के प्रशासन ने H-1B वीजा कार्यक्रम में बड़ा बदलाव करते हुए विदेशी कामगारों की भर्ती करने वाली कंपनियों पर कई तरह की शर्तें लाद दी थीं. इनमें न्यूनतम वेतन की शर्त और विशेष पेशे जैसे कई सीमाएं रख दी गयीं. नए नियमों को लागू करने पर करीब एक-तिहाई आवेदकों को H-1B वीजा नहीं मिल पाता.
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क्या कहा कोर्ट ने
एक न्यूज एजेंसी के मुताबिक जज ने कहा, 'कोविड-19 एक ऐसी महामारी है जो प्रतिवादी के वश में नहीं है, लेकिन प्रतिवादी यह तो कर सकता था कि इस मामले में और पहले सचेत होकर कार्रवार करे.'
चुनाव से पहले राष्ट्रपति ट्रंप का यह ऐलान असल में सभी तरह के एमिग्रेशन पर अंकुश लगाने के उनके एजेंडा का ही हिस्सा था. लेकिन अब अमेरिका में सत्ता बदल चुकी है और जो बाइडेन राष्ट्रपति चुन लिये गये हैं, इसलिए पूरा माहौल अब ट्रंप के खिलाफ जाता दिख रहा है.
ट्रंप ने जून में ही एक आदेश जारी कर इस साल के अंत तक H-1B वीजा कार्यक्रम पर रोक लगा दी थी.