भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) ने वाशिंगटन पोस्ट की उस रिपोर्ट का खंडन किया है, जिसमें अडानी ग्रुप को लेकर एलआईसी पर आरोप लगाया गया है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकारी अधिकारियों ने मई में एक योजना बनाई थी, जिसके तहत बीमा कंपनी LIC से अडानी समूह की कंपनियों में 3.9 बिलियन डॉलर (33,000 करोड़ रुपये) का निवेश किया गया.
एलआईसी ने एक बयान में कहा कि उसके निवेश संबंधी फैसले बाहरी कारकों से प्रभावित होने का दावा 'झूठा, निराधार और सच्चाई से कोसों दूर' है. LIC ने कहा कि बीमा कंपनी ने ऐसा कोई प्रस्ताव या दस्तावेज कभी तैयार नहीं किया.
एलआईसी ने आगे कहा कि निवेश को लेकर फैसले बोर्ड द्वारा मंजूरी और नियमों के अनुसार स्वतंत्र रूप से लिए जाते हैं. वित्त मंत्रालय या किसी अन्य निकाय के ऐसे फैसलों में कोई भूमिका नहीं होती है.
अडानी को लेकर एलआईसी पर क्या थे आरोप?
वाशिंगटन पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि वित्त मंत्रालय ने मई में LIC से अडानी समूह में लगभग 3.9 बिलियन डॉलर के निवेश के प्रस्ताव को जल्द से पास कर दिया, वह भी ऐसे समय में जब पोर्ट्स से लेकर एनर्जी तक का कारोबार करने वाला यह समूह कर्ज में डूबा हुआ था और अमेरिका में जांच का सामना कर रहा था.
पोस्ट की रिपोर्ट में कहा गया था कि मई 2025 में, अडानी पोर्ट्स एंड एसईजेड ने 7.75% कूपन दर पर 15 वर्षीय गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर (NCD) के माध्यम से 5,000 करोड़ रुपये जुटाए, जिसे LIC ने पूरी तरह से सब्सक्राइब किया. APSEZ ने निवेशकों के विश्वास के तौर पर अपनी 'मजबूत वित्तीय स्थिति' और 'AAA/स्थिर घरेलू रेटिंग' का हवाला देते हुए इस मुद्दे को उचित ठहराया.
रिपोर्ट के बाद राजनीतिक विवाद बढ़ा
इस कदम के बाद राजनीतिक विवाद पैदा हो गया. विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने इस रिपोर्ट का हवाला देते हुए सरकार पर इस समूह को तरजीह देने का आरोप लगाया. जून 2025 में एक सोशल मीडिया पोस्ट में उन्होंने इस व्यवस्था की आलोचना करते हुए कहा, 'पैसा, पॉलिसी, प्रीमियम आपका है. सुरक्षा, सुविधा, लाभ अडानी के लिए!' इस घटना ने कॉर्पोरेट-सरकारी संबंधों और बड़े व्यावसायिक घरानों के प्रति कथित पक्षपात पर बहस को तेज कर दिया.
प्रतिष्ठा को धूमिल करने की कोशिश: एलआईसी
वहीं एलआईसी ने अपने बयान में कहा है कि उसने उचित परिश्रम के उच्चतम मानकों को सुनिश्चित किया है और इसके सभी निवेश निर्णय मौजूदा नीतियों, अधिनियमों के प्रावधानों और नियामक दिशानिर्देशों के अनुसार हैं. सभी हितधारकों के सर्वोत्तम हित में लिए गए हैं.
देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी ने कहा कि रिपोर्ट में लगाए गए आरोप LIC की सुस्थापित निर्णय प्रक्रिया को नुकसान पहुंचाने और इसकी प्रतिष्ठा और छवि, भारत में वित्तीय क्षेत्र की मजबूत नींव को धूमिल करने के इरादे से लगाए गए हैं.