222 बंधक और गोले दागते हमास-हिज्बुल्ला... 17 दिन से बॉर्डर पर बेबस इजरायल की ग्राउंड फोर्स!

हमास से जंग के 17 दिन बाद भी 222 इजरायली और विदेशी नागरिक गाजा पट्टी में बंधक हैं. दुनियाभर में अपने खुफिया ऑपरेेशन्स को अंजाम देने के लिए जानी जाने वाली मोसाद अब तक बंधकों को छुड़ाने के लिए किसी सफल ऑपरेशन को अंजाम नहीं दे सकी है. इतना ही नहीं इजरायली सेना द्वारा ग्राउंड ऑपरेशन भी शुरू नहीं किया जा सकता है.

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इजरायली सेना के जवानों से मुलाकात कर हौसला बढ़ाते नेतन्याहू (फाइल फोटो) इजरायली सेना के जवानों से मुलाकात कर हौसला बढ़ाते नेतन्याहू (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • तेल अवीव,
  • 23 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 5:22 PM IST

तारीख थी 27 जून 1976... इजरायल की राजधानी तेल अवीव से एक विमान ने ग्रीस की राजधानी एथेंस के लिए उड़ान भरी. फ्लाइट में 246  यात्री और क्रू मेंबर्स मौजूद थे. इस विमान को फिलिस्तीनी आतंकियों ने अपहरण कर लिया. इस विमान को युगांडा ले जाया गया. इजरायल की खुफिया एजेंसी और कमांडोज ने अपने नागरिकों को बचाने के लिए 'ऑपरेशन थंडरबोल्ट' को अंजाम दिया. अपहरण के 7 दिन के भीतर 4 जुलाई को 4000 किलोमीटर दूर युगांडा जाकर इजरायल के कमांडोज ने न सिर्फ आतंकियों का सफाया कर दिया, बल्कि एयरपोर्ट पर खड़े युगांडा के सभी फाइटर प्लेन को भी तबाह कर दिया था और अपने नागरिकों को सुरक्षित निकाल लिया था. इस ऑपरेशन में इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू भी शामिल थे. इस ऑपरेशन में उनके भाई योनाथन नेतन्याहू की जान चली गई थी. इस ऑपरेशन के लिए मोसाद की दुनियाभर में तारीफ हुई थी.

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ऑपरेशन थंडरबोल्ट: जब इज़रायल ने सबसे खतरनाक शासक की जमीन से अपने नागरिकों को बचाया
 

(फाइल फोटो: ऑपरेशन थंडरबोल्ट में हिस्सा लेने वाले सैनिकों की एक टीम)

करीब 47 साल बाद इजरायल फिर से अपने नागरिकों को हमास द्वारा बंधक बनाए जाने वाले संकट का सामना कर रहा है. 7 अक्टूबर को हमास आतंकियों द्वारा इजरायल में घुसकर कत्लेआम मचाने के 17 दिन बीत चुके हैं. 1400 इजरायली लोगों की जान जा चुकी है और 222 इजरायली और विदेशी नागरिक हमास के कब्जे में अब तक हैं. इस दौरान इजरायल ने गाजा में हजारों बम गिराए हैं. मरने वालों की तादाद 5000 के करीब पहुंच चुकी है लेकिन बॉर्डर पर तैनात इजरायली फोर्स या खुफिया एजेंसी मोसाद अब तक बंधकों को छुड़ाने के लिए किसी सफल ऑपरेशन को अंजाम नहीं दे सकी है.

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ऐसे में इजरायल का मोसाद पर तमाम सवाल खड़े हो रहे हैं. सवाल ये भी है कि क्या इजरायली सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों के दिमाग में कोई बड़ा प्लान काम कर रहा है. बम से गाजा में तबाही मचा रही इजरायली सेना ग्राउंड ऑपरेशन से बच क्यों रही है और मोसाद वेट एंड वॉच के मोड में क्यों दिख रहा है?  

इजरायली हमले में तबाह गाजा पट्टी

 
बंधकों को छुड़ाने की इजरायली सेना की पहली कोशिश फेल

हमास ने 7 अक्टूबर को इजरायल पर हमले के दौरान उसके सैकड़ों नागरिकों को बंधक बना लिया था. इजरायल लगातार उन्हें छुड़ाने की कोशिश में जुटा है. इन बंधकों को गाजा पट्टी में अलग अलग जगहों पर रखा गया है. इजरायल की सेना ने रविवार को भी गाजा पट्टी में घुसकर बंधकों को छुड़ाने की कोशिश की. लेकिन वह नाकाम रही. हमास द्वारा दागी गई एंटी-टैंक मिसाइल से उसके एक सैनिक की मौत हो गई है. इस दौरान तीन इजरायली सैनिक घायल भी हुए हैं. 

गाजा के चारों तरफ डेरा डाला, लेकिन अभी तक घुस नहीं पाई 

हमास के हमलों के बाद इजरायल ने गाजा में एयर स्ट्राइक की. 17 दिन से जारी हवाई हमलों में गाजा में हर तरफ सिर्फ तबाही नजर आ रही है. 4600 फिलिस्तीनियों की मौत भी हुई है. एक तरफ इजरायली सेना की बमबारी जारी है, तो दूसरी ओर इजरायल की सेना ने गाजा पट्टी को चारों तरफ से घेर रखा है. लाखों की संख्या में जवानों की तैनाती की गई है, हजारों की संख्या में टैंक तबाही मचाने के लिए बेताब दिख रहे हैं. गाजा पट्टी के लोगों को कई बार दिए गए अल्टीमेटम की मियाद भी पूरी हो चुकी है. लेकिन अभी तक तेल अवीव से ऐसा कोई आदेश नहीं आया, जिससे इजरायली सेना ग्राउंड अटैक शुरू कर सके. 

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गाजा पट्टी के पास तैनात इजरायली टैंक और जवान

पीएम, रक्षा मंत्री हौसला बढ़ाने पहुंचे, लेकिन हमले का आदेश नहीं दिया

इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू और रक्षा मंत्री समेत अन्य सैन्य अधिकारी गाजा पट्टी के पास डेरा डाले हुए सैनिकों से लगातार मुलाकात कर उनका हौसला बढ़ा रहे हैं. उन्हें भरोसा दिया जा रहा है कि जल्द ही उन्हें गाजा पट्टी को अंदर से देखने का मौका मिलेगा. इतना ही नहीं इजरायली रक्षा मंत्री योव गैलेंट ने हाल ही में सैनिकों से मुलाकात कर बताया था कि ये लड़ाई कठिन और लंबी होने वाली है. हालांकि, उन्होंने भरोसा दिलाया था कि अंत में इजरायल ही जीतेगा. नेतन्याहू ने भी सैनिकों से मुलाकात कर कहा था कि हम दुश्मनों पर कड़ा प्रभाव करेंगे और मजबूती से जंग को जीतेंगे. लेकिन सवाल ये है कि आखिर कब इजरायली सेना को ग्राउंड ऑपरेशन के लिए हरी झंडी मिलेगी.

हमास के खिलाफ ग्राउंड ऑपरेशन में क्या हैं खतरे?

17 दिन से गाजा में घुसने से बच रही इजरायली सेना के सामने ग्राउंड ऑपरेशन आसान नहीं होगा. हमास के लड़ाके गाजा में गली-गली में छुपे हुए हैं, रॉकेट दाग रहे हैं और आम जनता की आड़ ले रहे हैं. अमेरिका के रिटायर्ड जनरल और पूर्व सीआईए डायरेक्टर डेविड पैट्रियास ने अमेरिकी न्यूज एजेंसी सीएनएन से बातचीत में कहा- 'किसी भी सेना के लिए एक भीड़-भाड़ वाले शहर में ग्राउंड ऑपरेशन आसान नहीं होता. इराकी सुरक्षाबलों को बगदाद को आईएसआईएस से मुक्त कराने में 9 महीने का समय लगा था. आइडीएफ ज्यादा बेहतर और ज्यादा सक्षम है लेकिन किसी शहर में सीधी लड़ाई घरों और सुरंगों में छुपे आतंकी संगठनों के मुकाबले सेना के लिए मुश्किल काम है.

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एक और पूर्व अमेरिकी जनरल कहते हैं- पहले पुख्ता खुफिया सूचना जुटानी होगी फिर उसी के आधार पर आगे सेना को घुसाना होगा. गाजा पट्टी न सिर्फ इजिप्ट की सेना से सटा हुआ है बल्कि समंदर का इलाका भी हमास की नेवी यूनिट्स को खतरा पैदा करने का मौका दे सकता है. इसलिए इजरायली सेना को घुसने से पहले इस पूरे इलाके को हवाई हमलों से सेफ जोन बनाना होगा. इसके अलावा गाजा शहर में घुसने पर हमास अपनी सुरंगों को आत्मघाती हमलों के लिए इस्तेमाल कर सकते है. इसमें इजरायली सेना को बड़ा नुकसान होने का खतरा है. इसलिए भी गाजा शहर के अंदर ग्राउंड ऑपरेशन का फैसला लेना आसान नहीं होगा.

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