कनाडा में पढ़ाई और यहां बसने का सपना देखने वाले भारतीय छात्रों के लिए हालात मुश्किल होते जा रहे हैं. पिछले एक साल में वीज़ा रिजेक्शन रेट में जबरदस्त बढ़ोतरी दर्ज की गई है. अब खुलासा हुआ है कि ओटावा सरकार भारत और बांग्लादेश से आने वाले वीज़ा आवेदनों को लेकर गहरी शंका में है और सामूहिक वीज़ा रद्द करने की शक्ति हासिल करने की तैयारी कर रही है.
भारत और बांग्लादेश से जुड़े “फर्जी वीज़ा” मामलों पर चिंता
आंतरिक सरकारी दस्तावेज़ों के मुताबिक, कनाडा के Immigration, Refugees and Citizenship Canada (IRCC), Canada Border Services Agency (CBSA) और कुछ अमेरिकी साझेदार एजेंसियों ने मिलकर एक वर्किंग ग्रुप बनाया है. इसका मकसद है— भारत और बांग्लादेश से आने वाले फर्जी विज़िटर और स्टूडेंट वीज़ा आवेदनों की पहचान और रद्दीकरण.
दस्तावेज़ों में दोनों देशों को “country-specific challenges” बताया गया है, यानी कि इन देशों से आने वाले वीज़ा मामलों में जालसाज़ी या नियमों के उल्लंघन की दर अधिक पाई गई है.
वीज़ा प्रोसेसिंग धीमी, रिजेक्शन बढ़ा
रिपोर्ट के अनुसार, भारत से आने वाले Temporary Resident Visa (TRV) और स्टूडेंट वीज़ा आवेदनों की जांच अब पहले से कहीं ज़्यादा सख़्त हो गई है. 2023 में जहां औसतन 30 दिनों में आवेदन निपट जाते थे, 2024 तक यह समय बढ़कर 54 दिन हो गया. साथ ही, मंज़ूरी दर में भी गिरावट आई — जनवरी 2024 में 63,000 वीज़ा स्वीकृत हुए थे, जबकि जून तक यह घटकर 48,000 रह गए.
इस सख़्ती का असर छात्रों और अस्थायी कामगारों पर सीधे तौर पर दिख रहा है. कई मामलों में आवेदनों को “अपर्याप्त दस्तावेज़”, “अस्पष्ट उद्देश्य” या “वित्तीय क्षमता पर संदेह” के कारण ठुकराया गया है.
रिफ्यूजी के मामलों में उछाल, सुरक्षा एजेंसियां हुईं सतर्क
रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय नागरिकों के कनाडा में शरण लेने के (Asylum) आवेदन मई 2023 में 500 प्रति माह से बढ़कर जुलाई 2024 तक लगभग 2,000 प्रति माह हो गए. यानी, बड़ी संख्या में लोग कनाडा में प्रवेश के बाद रिफ्यूजी स्टेटस हासिल करने के लिए आवेदन करने लगे हैं. सरकार का मानना है कि कई लोग स्टूडेंट या टूरिस्ट वीज़ा का दुरुपयोग कर रहे हैं और स्थायी रूप से बसने की कोशिश में हैं.
2024 में “नो बोर्ड” मामलों में भी बढ़ोतरी हुई — यानी ऐसे यात्री जिन्हें कनाडा जाने से पहले ही एयरलाइन ने रोक दिया. जुलाई तक 1,800 से अधिक यात्रियों को पूछताछ के लिए चिन्हित किया गया और उन्हें कानूनी प्रक्रिया की जानकारी दी गई.
Bill C-12: ‘मास वीज़ा कैंसलेशन’ की तैयारी
इन परिस्थितियों में कनाडा सरकार ने संसद में Bill C-12 पेश किया है. यह बिल सरकार को सामूहिक वीज़ा रद्द करने की शक्ति देगा — ताकि किसी भी देश या समूह विशेष के वीज़ा धारकों को राष्ट्रीय सुरक्षा, महामारी या धोखाधड़ी की स्थिति में एक साथ निरस्त किया जा सके. लेकिन इस कदम ने कनाडा के अंदर ही विरोध खड़ा कर दिया है. 300 से अधिक नागरिक संगठनों और कई इमीग्रेशन वकीलों ने चेतावनी दी है कि यह कानून सरकार को “Mass Deportation Machine” जैसी शक्ति देगा और निर्दोष आवेदकों पर अन्याय हो सकता है.
कनाडा सरकार का बचाव — ‘सुरक्षा और पारदर्शिता की ज़रूरत’
कनाडा के इमीग्रेशन विभाग का कहना है कि ये कदम किसी विशेष देश के खिलाफ़ नहीं हैं. सरकार ने कहा, “हमारा लक्ष्य गैर-वास्तविक आवेदकों को रोकना, सीमाओं पर दबाव घटाना और सूचना साझाकरण बढ़ाना है.”
विभाग के अनुसार, इन सख़्तियों के बाद 2024 की तुलना में-
भारत-कनाडा संबंधों पर असर
यह कदम ऐसे समय आया है जब भारत और कनाडा अपने संबंध सुधारने की कोशिश कर रहे हैं. दोनों देशों के रिश्ते 2023 में तब बिगड़ गए थे जब प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारतीय एजेंटों पर कनाडा में सिख नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में संभावित भूमिका का आरोप लगाया था, जिसे भारत ने सिरे से खारिज किया.
इसके बाद 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने G7 शिखर सम्मेलन के दौरान कनाडा का दौरा किया था और दोनों देशों ने राजनयिक स्तर पर संवाद फिर शुरू करने की घोषणा की. हालांकि, इमीग्रेशन नीति पर तनाव अब भी बना हुआ है. आईआरसीसी ने भी इस बारे में पूछे गए सवालों को टाल दिया कि वह जिन शक्तियों की मांग कर रहा है, उनका भारत और कनाडा के बीच संबंधों पर क्या प्रभाव पड़ेगा.
हुमरा असद