वर्जिन गैलेक्टिक के मालिक रिचर्ड ब्रैन्सन (Richard Branson) ने बचपन में अंतरिक्ष में जाने का जो सपना देखा था, उसे अब 71 साल की उम्र में पूरा कर लिया है. सपना पूरा होने की खुशी इतनी थी कि जश्न के दौरान वह अपने साथी भारतीय मूल की एयरोनॉटिकल इंजीनियर शिरिषा बांदला को कंधे पर उठाकर जश्न मनाते दिखे.
दरअसल, वर्जिन गैलेक्टिक के यूनिटी 22 अंतरिक्ष यान ने रविवार रात स्पेस की सफल उड़ान (virgin galactic space flight) भरकर इतिहास रच दिया है. स्पेस के इस यादगार सफर की वजह से ही प्राइवेट स्पेस टूरिज्म का रास्ता खुलने वाला है. मतलब अब आम आदमी टूरिस्ट की तरह अंतरक्षि की सैर करके आ सकता है.
रविवार को वर्जिन गैलेक्टिक कंपनी के मालिक रिचर्ड ब्रैन्सन (Richard Branson) ने अपने बाकी साथियों के साथ अंतरिक्ष की 'सब-ऑर्बिटल' यानी उपकक्षीय उड़ान भरी. वर्जिन गैलेक्टिक वीएसएस यूनिटी अंतरिक्ष यान में रिचर्ड ब्रैन्सन (Richard Branson) के साथ भारतीय मूल की एयरोनॉटिकल इंजीनियर शिरिषा बांदला (Sirisha Bandla) और पांच अन्य लोग शामिल थे. इस अंतरिक्ष यान ने न्यू मैक्सिको से उड़ान भरी थी.
रिचर्ड ब्रैन्सन ने पूरा किया बचपन का सपना
उड़ान भरने से पहले और बाद में भी रिचर्ड ब्रैन्सन ने बताया कि वह बचपन में अंतरिक्ष में जाने का सपना देखा करते थे. फिर 17 साल पहले उन्होंने फैसला किया कि वह स्पेस ट्रेवलर जरूर बनेंगे, जिसे अब उन्होंने अपनी ही कंपनी के अंतरिक्ष यान के साथ पूरा कर लिया और स्पेस टूरिज्म के नए रास्ते खोल दिए.
क्या होती है ‘सब-ऑर्बिटल’ उड़ान
इसका सीधा मतलब होता है कि अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में पहुंच जाएंगे लेकिन कक्षा में प्रवेश नहीं करेंगे इसलिए उनकी उड़ान उपकक्षीय कहलाती है. इसमें अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष की सीमा को छूते हैं और कुछ मिनटों तक भारहीनता का अनुभव करते हैं. वर्जिन गैलेक्टिक के बाद जब अमेजॉन के मालिक रहे जेफ बेजोस ब्लू ऑरिजिन के न्यू शेपर्ड यान से उड़ान भरेंगे तो वे भी ‘सब-ऑर्बिटल’ उड़ान ही भरेंगे.
रंग लाई 17 साल की मेहनत, ऐसे भरी उड़ान
रिचर्ड ब्रैन्सन (Richard Branson) ने 17 साल पहले 2004 में वर्जिन गैलेक्टिक कंपनी बनाई थी. रॉकेट पॉवर्ड VSS यूनिटी स्पेसशिप को वाइटनाइट एयरक्राफ्ट स्पेस में लेकर गया था. एयरक्राफ्ट ने 50 हजार फीट, धरातल से 15 किलोमीटर ऊपर जाकर VSS यूनिटी स्पेसशिप को हवा में छोड़ दिया था.
फिर प्राइवेट जेट के साइज के VSS यूनिटी स्पेसशिप ने अपना रॉकेट इंजन शुरू किया और साउंड की तीन गुना स्पीड के साथ 80 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्पेस की तरफ चढ़ गया. फिर आगे जो हुआ वह इतिहास बन गया, अब अंतरिक्ष यात्री स्पेस के सुंदर नजारे ले रहे थे. इसके कुछ देर बाद VSS यूनिटी स्पेसशिप वापस पृथ्वी की तरफ आने लगा और लैंड हो गया.
शिरिषा बांदला ने इतिहास में दर्ज किया नाम
ब्रिटिश अरबपति रिचर्ड ब्रानसन के साथ उड़ान भरकर एयरोनॉटिकल इंजीनियर शिरिषा बांदला रविवार को अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की तीसरी महिला बन गई. उनसे पहले कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष का सफर कर चुकी हैं. हालांकि, भारतीय नागरिक के तौर पर अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले एक मात्र विंग कमांडर राकेश शर्मा हैं. वायुसेना के पूर्व पायलट शर्मा तीन अप्रैल 1984 को सोवियत इंटरकोस्मोस कार्यक्रम के तहत सोयुज टी-11 से अंतरिक्ष में गए थे.
बांदला का जन्म आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में हुआ है जबकि उनकी परवरिश ह्यूस्टन में हुई है. बांदला जब चार साल की थीं तब अमेरिका चली गई थीं और वर्ष 2011 में पुर्डे यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ एयरोनॉटिक्स से विज्ञान में स्नातक किया. उन्होंने वर्ष 2015 में जॉर्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी से एमबीए की डिग्री हासिल की.
अंतरिक्ष टूरिज्म कब से शुरू करेगी वर्जिन कंपनी
कंपनी के मुताबिक, अगले साल से ही टूरिस्ट को अंतरिक्ष में भेजना शुरू कर देगी. इससे पहले तीन और फ्लाइट टेस्ट कंपनी करेगी. ये टेस्ट 2021 में ही पूरे कर लिए जाएंगे. कंपनी पहले ही 600 टिकट बेच चुकी है. अंतरिक्ष में जाने के ये इच्छुक लोग 60 अलग-अलग देशों से हैं. इन्होंने इसके लिए $200,000 से $250,000 तक खर्च किए हैं. आने वाले वक्त में हर साल ऐसी 400 फ्लाइट भेजे जाने का प्लान है. (इनपुट - सिबू त्रिपाठी)
aajtak.in