ट्रंप के टैरिफ ने ASEAN और चीन को करीब ला दिया, बोले एनालिस्ट्स

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका फर्स्ट पॉलिसी को प्राथमिकता देते हुए अपने कार्यकाल की शुरुआत से ही ट्रेड को लेकर सख्त रुख अपनाए हुए हैं. ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ से वैश्विक स्तर पर कारोबार प्रभावित हुआ है.

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ट्रंप के टैरिफ ने आसियान और चीन को करीब ला दिया (Photo: Reuters) ट्रंप के टैरिफ ने आसियान और चीन को करीब ला दिया (Photo: Reuters)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 26 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 11:37 PM IST

अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद से डोनाल्ड ट्रंप के ट्रेड प्रेशर से वैश्विक स्तर पर उथल-पुथल मची हुई है. ट्रंप ने कई देशों पर भारी-भरकम टैरिफ लगा रखा है. इन सबके बीच विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप के इस टैरिफ से आसियान देश और चीन करीब आ गए हैं.

विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप के टैरिफ की वजह से आसियान देशों और चीन की आर्थिक साझेदारी क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (RCEP) व्यापार समझौते की वजह से लगातार मजबूत हो रही है. अमेरिकी व्यापार संरक्षणवाद ने RCEP के भीतर आर्थिक एकीकरण को तेज कर दिया है, जो दुनिया का सबसे बड़ा मुक्त व्यापार समझौता है, जिसमें सभी 15 सदस्य देशों ने संबंधों को और गहरा करने का संकल्प लिया है. कई अन्य अर्थव्यवस्थाओं ने इसमें शामिल होने के लिए आवेदन किया है.

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मलेशिया में एशिया-पैसिफिक आर्थिक सहयोग (APEC) सचिवालय की पूर्व कार्यकारी निदेशक रेबेका स्टा मारिया का कहना है कि यह केवल समय की बात है कि सही मानदंड स्थापित किए जाएं ताकि हमारे साथ शामिल होने वाले पक्ष एक ही विचारधारा के हों और व्यापार व क्षेत्रीय एकीकरण को बढ़ावा देने के समान मूल सिद्धांतों को अपनाएं.

ASEAN के अन्य सदस्यों की तरह मलेशिया को अमेरिका के साथ अनिश्चित व्यापार साझेदारी का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि टैरिफ में उतार-चढ़ाव हो रहा है. इस बीच, चीन और ASEAN ने अपने मौजूदा मुक्त व्यापार समझौते को उन्नत करने पर सहमति जताई है, जिसका उद्देश्य व्यापार और निवेश को और बढ़ावा देना है, साथ ही डिजिटल और हरित अर्थव्यवस्था जैसे उभरते क्षेत्रों को लक्षित करना है.

बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव कॉकस फॉर एशिया-पैसिफिक के निदेशक और वरिष्ठ फेलो बन नागारा का कहना है कि ASEAN ने यूरोपीय संघ को व्यापक रूप से चीन के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार के रूप में विस्थापित कर दिया है, जो वर्तमान में यूरोपीय संघ-चीन व्यापार का 142 फीसदी और चीन-अमेरिका व्यापार का लगभग 190 फीसदी है. यह ट्रेंड जारी रहेगा. इसका मतलब यह नहीं है कि ASEAN अमेरिकी व्यापार या निवेश को ठुकराएगा. हालांकि विश्लेषकों का कहना है कि ASEAN और अमेरिका के बीच भविष्य के संबंधों में अब एक नई सतर्कता का भाव रहेगा.

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मलेशिया यूनिवर्सिटी के चाइना अध्ययन संस्थान के पूर्व उपनिदेशक पीटर टीसी चांग ने कहा कि ASEAN देश व्यापार युद्ध के प्रभाव से बचाव के लिए अपनी सप्लाई चेन को दोबारा दुरुस्त करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि इसका मध्यम और दीर्घकालिक प्रभाव यह है कि अमेरिका और व्यापक रूप से पश्चिमी नेतृत्व वाली आर्थिक व्यवस्था पर हमारा जो भरोसा था, वह गंभीर रूप से कमजोर हो गया है.

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