TRF को बैन करने में लगे 6 साल, PAK का जिक्र तक नहीं... अमेरिका का आतंक पर डबल स्टैंडर्ड!

अमेरिका ने द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) को वैश्विक आतंकी संगठन घोषित कर दिया है. यह लश्कर-ए-तैयबा का एक फ्रंट है. इस कार्रवाई पर कई सवाल उठ रहे हैं, जैसे अमेरिका को यह फैसला लेने में छह साल क्यों लगे, जबकि उसके पास टीआरएफ की गतिविधियों की खुफिया जानकारी थी. अमेरिका ने अपने बयान में पाकिस्तान का नाम क्यों नहीं लिया, जबकि लश्कर और टीआरएफ दोनों के लिए पाकिस्तान जन्नत जैसा है.

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अमेरिका ने टीआरएफ को आतंकी संगठन घोषित किया (Photo: India Today) अमेरिका ने टीआरएफ को आतंकी संगठन घोषित किया (Photo: India Today)

आजतक ब्यूरो

  • नई दिल्ली,
  • 18 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 11:18 PM IST

अमेरिका ने उस TRF यानी ‘दि रेजिस्टेंस फ्रंट’ को आतंकी संगठन घोषित किया है जिसने पहलगाम में आतंकी हमला किया था. यह एक बड़ा घटनाक्रम रहा क्योंकि मौजूदा समय में अमेरिका और पाकिस्तान के रिश्ते बहुत अच्छे हैं. इसके बावजूद भारत, अमेरिका से TRF को आतंकी संगठन घोषित करवाने में सफल रहा है. पहलगाम हमले में 26 निर्दोष लोगों की निर्मम हत्या कर दी गई थी. 

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TRF को अमेरिका ने क्यों माना आतंकी संगठन?

TRF लश्कर-ए-तैयबा का एक फ्रंट यानी अगला चेहरा है जिसने भारत पर कई हमले किए हैं. भारत पहले ही इसे आतंकी संगठन घोषित कर चुका है लेकिन पाकिस्तान इसे लगातार बचाता रहा है. अब अमेरिका ने भी TRF को Foreign Terrorist Organization (FTO) और Specially Designated Global Terrorist (SDGT) घोषित कर दिया है.

अमेरिकी विदेश मंत्री का बयान

अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने कहा कि TRF ने 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली थी जिसमें 26 लोगों की मौत हुई थी. उन्होंने कहा कि यह 2008 के मुंबई हमले के बाद भारत पर सबसे बड़ा आतंकी हमला था. TRF ने भारतीय सुरक्षा बलों पर कई हमलों की जिम्मेदारी भी ली है. अमेरिकी सरकार का यह कदम राष्ट्रपति ट्रंप के उस वादे को पूरा करता है जिसमें उन्होंने पीड़ितों को न्याय दिलाने की बात कही थी.

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पहलगाम हमले के बाद TRF की पहचान

22 अप्रैल को पहलगाम में TRF के आतंकियों ने हमला किया था. बताया गया कि इसमें पाकिस्तानी आतंकी शामिल थे और पाकिस्तान की स्पेशल फोर्स के लोग भी थे. हमले के तुरंत बाद TRF ने जिम्मेदारी ली थी और कहा था कि भारत सरकार कश्मीर में मुसलमानों को अल्पसंख्यक बना रही है. लेकिन 26 अप्रैल को TRF ने अपना बयान वापस ले लिया.

यह भी पढ़ें: ऑपरेशन सिंदूर से खौफजदा पाकिस्तान... लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी हेडक्वार्टर को मुरीदके से बहावलपुर शिफ्ट करने की तैयारी

विदेश मंत्री जयशंकर की प्रतिक्रिया

भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिका के फैसले का स्वागत किया. उन्होंने सोशल मीडिया पर अमेरिकी विदेश मंत्री को धन्यवाद देते हुए कहा कि भारत-अमेरिका के बीच आतंकवाद विरोधी सहयोग मजबूत हुआ है. उन्होंने यह भी कहा कि आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जानी चाहिए.

 

TRF की शुरुआत और इसके सरगना

TRF की स्थापना 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI ने की थी. इसका उद्देश्य यह दिखाना था कि ये संगठन कश्मीर में भारतीय फैसलों के खिलाफ बना है. इसकी शुरुआत मुहम्मद अब्बास शेख ने की थी, जो अब मारा जा चुका है. अब इसका सरगना शेख सज्जाद गुल है और ऑपरेशनल चीफ अहमद खालिद है. भारत ने 2023 में इसे UAPA के तहत आतंकी संगठन घोषित किया था.

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TRF के बड़े हमले

  • TRF ने कश्मीर में कई आतंकी हमले किए हैं. इसके प्रमुख हमले हैं:
  • 22 अप्रैल 2025: पहलगाम की बैसरन घाटी में हमला, 26 की मौत, 20 घायल.
  • 9 जून 2024: रेयासी में शिवखोड़ी जा रहे श्रद्धालुओं पर हमला, 9 मरे, 33 घायल.
  • 20 अक्टूबर 2024: गांदेरबल में प्रवासी मजदूरों पर हमला, 7 मरे.
  • 13 सितंबर 2023: अनंतनाग में सेना व पुलिस पर हमला, कर्नल, मेजर और DSP की मौत.
  • 8 जुलाई 2020: बांदीपोरा में बीजेपी नेता के घर पर हमला, 3 की मौत.

TRF असल में लश्कर और ISI का हिस्सा

TRF लश्कर-ए-तैयबा और ISI के लिए काम करता है. इसका उद्देश्य कश्मीर में विकास कार्यों को रोकना और आतंक फैलाना है. TRF के आतंकी खासकर उन जगहों को निशाना बनाते हैं जहां विकास हो रहा होता है, जैसे सुरंग निर्माण स्थल, पर्यटन क्षेत्र और सुरक्षा बल.

यह भी पढ़ें: TRF पर अमेरिकी बैन के बाद पाकिस्तान बदल सकता है आतंकी संगठन का नाम... भारतीय खुफिया एजेंसियों की चेतावनी

पहलगाम हमला: पाकिस्तानी आतंकी शामिल

इस हमले में पांच आतंकी शामिल थे जो 'फाल्कन स्क्वाड' के थे. हाशिम मूसा उर्फ आसिफ फौजी एक पाकिस्तानी फौज का पूर्व कमांडो था. उसके साथ एक और पाकिस्तानी 'अली भाई' और दो भारतीय कश्मीरी आतंकी भी थे. इस हमले की योजना लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर सैफुल्ला कसूरी ने बनाई थी.

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TRF को लश्कर से कैसे मिलता है समर्थन

TRF को लश्कर से पूरी ट्रेनिंग, हथियार, पैसा और तकनीकी सहयोग मिलता है. ISI और लश्कर मिलकर TRF की मदद करते हैं. TRF के आतंकी लश्कर के शिविरों में ट्रेनिंग लेते हैं और वही उन्हें फंडिंग भी देता है.

लश्कर का इतिहास: नाम बदलकर आतंक फैलाना

लश्कर-ए-तैयबा 1980 के दशक में हाफिज सईद ने बनाया था. 2001 में अमेरिका और UN ने इसे आतंकी संगठन घोषित किया. इसके बाद यह जमात-उद-दावा बन गया. फिर फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन और अब मिल्ली मुस्लिम लीग के नाम से काम कर रहा है. हर बार नाम बदलकर वही काम जारी रहता है.

मिल्ली मुस्लिम लीग और भारत विरोधी प्रचार

लश्कर की राजनीतिक शाखा मिल्ली मुस्लिम लीग अब पाकिस्तान में भारत विरोधी प्रचार कर रही है. ये संगठन भारत के खिलाफ जेहाद की अपील करता है और युवाओं को कट्टरता के लिए उकसाता है. लेकिन अमेरिका को यह सब नजर नहीं आता.

अमेरिका का दोहरा रवैया

अमेरिका TRF को आतंकी घोषित करता है लेकिन पाकिस्तान के फौजी प्रमुख को बुलाकर खाना भी खिलाता है. TRF को आतंकी घोषित करने में अमेरिका को 6 साल क्यों लगे, यह भी सवाल उठ रहे हैं. साथ ही अमेरिका ने पाकिस्तान का नाम बयान में क्यों नहीं लिया, इस पर भी सवाल हैं.

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पाकिस्तान TRF को फिर नया नाम दे सकता है

भारत की खुफिया एजेंसियों को आशंका है कि पाकिस्तान अब TRF को किसी नए नाम से फिर लॉन्च कर सकता है, जैसा वह पहले लश्कर के साथ कर चुका है. सूत्रों के मुताबिक, TRF को मुरीदके से बहावलपुर शिफ्ट किया जा सकता है.

 

FTO और SDGT की सूची में शामिल होने के मायने

TRF को अमेरिका ने FTO और SDGT की सूची में डाल दिया है. इसका मतलब है कि अब इस संगठन को किसी भी तरह की मदद देना अवैध माना जाएगा. इसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सकेगी. अमेरिका में इसकी संपत्तियां जब्त होंगी और इसकी फंडिंग बंद हो जाएगी.

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