अमेरिका ने रूस की कथित मदद करने वाली इन 15 भारतीय कंपनियों पर लगाया बैन, जानें पूरा मामला

अमेरिकी विदेश विभाग ने कई तीसरे देशों में प्रतिबंधों का उल्लंघन और उन्हें दरकिनार करने को भी टारगेट किया है, जिसमें कई चीन स्थित कंपनियां शामिल हैं जो दोहरे उपयोग वाले सामान का निर्यात करती हैं, जिससे रूस के सैन्य-औद्योगिक आधार को बढ़ावा देते हैं और बेलारूस में संस्थाएं और व्यक्ति जो लुकाशेंका शासन द्वारा रूस के रक्षा उद्योग के समर्थन से संबंधित हैं.

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अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइ़डेन (फाइल फोटो) अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइ़डेन (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 02 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 11:44 AM IST

अमेरिका ने रूस के सैन्य-औद्योगिक अड्डे का कथित रूप से समर्थन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की है. इसके तहत 275 व्यक्तियों और संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाए हैं. इनमें 15 भारत के कंपनियां भी शामिल हैं. ट्रेजरी विभाग ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि चीन, स्विट्जरलैंड, थाईलैंड और तुर्की की कंपनियों पर भी रूस को एडवांस तकनीक और उपकरण आपूर्ति करने के लिए प्रतिबंध लगाए गए हैं, जिनकी रूस को अपनी युद्ध मशीन का समर्थन करने के लिए सख्त जरूरत है.

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विभाग ने अपने बयान में कहा कि वैश्विक टैक्स चोरी नेटवर्क को बाधित करने के अलावा यह कार्रवाई रूस के सैन्य-औद्योगिक अड्डे के लिए महत्वपूर्ण इनपुट और अन्य सामग्री के घरेलू रूसी आयातकों और उत्पादकों को भी टारगेट करती है.

ट्रेजरी के उप सचिव वैली एडेमो ने कहा, "रूस को यूक्रेन के खिलाफ अपने अवैध और अनैतिक युद्ध को छेड़ने के लिए जिन महत्वपूर्ण उपकरणों और टेक्नॉलॉजीस की आवश्यकता है, उनके प्रवाह को रोकने के लिए अमेरिका और हमारे सहयोगी दुनिया भर में निर्णायक कार्रवाई करना जारी रखेंगे. जैसा कि आज की कार्रवाई से स्पष्ट है, हम रूस की युद्ध मशीन को लैस करने की क्षमता को कम करने और उसे नीचा दिखाने तथा हमारे प्रतिबंधों और निर्यात नियंत्रणों को दरकिनार करके या उनसे बचकर उनके प्रयासों में सहायता करने की कोशिश करने वालों को रोकने के अपने संकल्प में अडिग हैं." 

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बयान में कहा गया है कि विदेश विभाग ने कई तीसरे देशों में प्रतिबंधों का उल्लंघन और उन्हें दरकिनार करने को भी टारगेट किया है, जिसमें कई चीन स्थित कंपनियां शामिल हैं जो दोहरे उपयोग वाले सामान का निर्यात करती हैं, जिससे रूस के सैन्य-औद्योगिक आधार को बढ़ावा देते हैं और बेलारूस में संस्थाएं और व्यक्ति जो लुकाशेंका शासन द्वारा रूस के रक्षा उद्योग के समर्थन से संबंधित हैं.

अमेरिका ने रूसी रक्षा मंत्रालय के कई वरिष्ठ अधिकारियों और रक्षा कंपनियों तथा रूस के भविष्य के ऊर्जा उत्पादन और निर्यात का समर्थन करने वाली कंपनियों को भी निशाना बनाया.

भारत की इन कंपनियों पर बैन

कोषागार विभाग द्वारा जारी सूची के अनुसार इनमें भारत की कंपनियां भी शामिल हैं. ये कंपनियां हैं- अभार टेक्नोलॉजीज एंड सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, डेनवास सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, एम्सिस्टेक, गैलेक्सी बियरिंग्स लिमिटेड, ऑर्बिट फिनट्रेड एलएलपी, इनोवियो वेंचर्स, केडीजी इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड और खुशबू होनिंग प्राइवेट लिमिटेड.

इसके अलावा लोकेश मशीन्स लिमिटेड, पॉइंटर इलेक्ट्रॉनिक्स, आरआरजी इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड, शार्पलाइन ऑटोमेशन प्राइवेट लिमिटेड, शौर्य एयरोनॉटिक्स प्राइवेट लिमिटेड, श्रीजी इम्पेक्स प्राइवेट लिमिटेड और श्रेया लाइफ साइंसेज प्राइवेट लिमिटेड जैसी भारतीय कंपनियां भी शामिल हैं.

बता दें कि बुधवार को अमेरिका ने यूक्रेन के खिलाफ रूस के अवैध युद्ध को सक्षम करने के लिए लगभग 400 संस्थाओं और व्यक्तियों पर प्रतिबंध लगाए थे.

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विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने बुधवार को एक बयान में कहा था, "विदेश विभाग कई तीसरे देशों में पार्टियों, रूसी रक्षा मंत्रालय के कई वरिष्ठ अधिकारियों और रक्षा कंपनियों और रूस के भविष्य के ऊर्जा उत्पादन और निर्यात के विकास का समर्थन करने वालों द्वारा प्रतिबंधों को दरकिनार करने को लक्षित कर रहा है."

उन्होंने कहा था कि अमेरिका रूस के सैन्य-औद्योगिक आधार में महत्वपूर्ण अंतराल को भरने वाले दोहरे उपयोग वाले सामान निर्यात करने वाली कई चीनी कंपनियों के साथ-साथ रूस के रक्षा उद्योग के लिए लुकाशेंका शासन के समर्थन से जुड़ी संस्थाओं और व्यक्तियों पर प्रतिबंध लगा रहा है.

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