US: अलबामा के स्कूलों में योग पर दशकों पुराना बैन बरकरार, बोले- इससे हिंदुत्व का प्रचार होगा

दो कंजर्वेटिव गुटों ने स्कूलों में भारत के लोकप्रिय योग को लेकर आपत्ति जताई थी. इन गुटों की दलील थी कि उन्हें डर है कि इससे हिंदुत्व या ध्यान लगाने की इन पद्धतियों का प्रचार हो सकता है. हिंदुत्व के चलते धर्म परिवर्तन हो सकता है. वहीं बिल का समर्थन कर रहे अलबामा के एक सीनेट ने कहा कि बिल व्यायाम से जुड़ा है किसी धर्म से नहीं.

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अलबामा में योग का विरोध (सांकेतिक तस्वीर) अलबामा में योग का विरोध (सांकेतिक तस्वीर)

aajtak.in

  • वॉशिंगटन,
  • 02 अप्रैल 2021,
  • अपडेटेड 5:47 PM IST
  • अलबामा के स्कूलों में योग कराने की वकालत
  • सीनेट में योग बिल को लेकर किया विरोध
  • स्कूलों में हिंदुत्व के प्रचार की आशंका जताई

अमेरिका के अलबामा में प्राइवेट स्कूलों में योग पर लगा दशकों पुराना प्रतिबंध अभी जारी रहेगा. अलबामा सीनेट ज्यूडिशरी कमेटी में बुधवार को सार्वजनिक सुनवाई के बाद इस प्रतिबंध को हटाने से जुड़े एक बिल को मंजूरी नहीं मिल पाई.

दो कंजर्वेटिव गुटों ने स्कूलों में भारत के लोकप्रिय योग को लेकर आपत्ति जताई थी. इन गुटों की दलील थी कि उन्हें डर है कि इससे हिंदुत्व या ध्यान लगाने की इन पद्धतियों का प्रचार हो सकता है. हिंदुत्व के चलते धर्म परिवर्तन हो सकता है. वहीं बिल का समर्थन कर रहे अलबामा के एक सीनेट ने कहा कि बिल व्यायाम से जुड़ा है किसी धर्म से नहीं.
 

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योग का समर्थन 

सीनेट में जहां योग को लेकर विरोध देखने को मिला, वहीं इसके समर्थन में भी आवाज उठी. ओपेलिका के डेमोक्रेटिक प्रतिनिधि जेरेमी ग्रे ने कहा कि यह धारणा कि योग करने से आप हिंदू बन जाएंगे, मैं पिछले 10 साल से योग कर रहा हूं और अब भी गिरजाघर जाता हूं और ईसाई हूं.

कब लगी थी पाबंदी?

एक समाचार एजेंसी के मुताबिक बिल को पर्याप्त मत नहीं मिल पाए लेकिन समिति के अध्यक्ष ने कहा कि वह एक बार फिर इसे पेश करेंगे, जब और अधिक सदस्य मौजूद होंगे. अलबामा बोर्ड ऑफ एजुकेशन ने 1993 में प्राइवेट स्कूलों में योग, सम्मोहन करने और ध्यान लगाने पर प्रतिबंध लगा दिया था.

बहरहाल, पिछले साल मार्च में डेमोक्रेटिक पार्टी के जेरेमी ग्रे योग बिल को लेकर आए थे. उस दौरान अलबामा के प्रतिनिधि सभा ने "योग बिल" पारित करने के समर्थन में 84 और विरोध में 17 वोट पड़े थे. लेकिन बिल को मंजूरी देने के लिए प्रतिनिधि सभा के सामने भेज दिया गया जहां से इसे मंजूरी नहीं मिल पाई.

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विरोध में क्या दलील दी?

हालांकि, अलबामा सीनेट ज्यूडिशरी कमेटी ने बुधवार को ईसाई कंजर्वेटिव प्रतिनिधियों के विरोध के बाद बिल को रोक दिया जिसमें अलबामा के चीफ जस्टिस रॉय मूर के फाउंडेशन फॉर मोरल लॉ के प्रतिनिधि शामिल थे. Tuscaloosanews.com की रिपोर्ट के मुताबिक उनका दावा किया था कि योग पब्लिक स्कूलों में हिंदू धर्म के अनुयायियों को बढ़ाएगा.

बिल का विरोध करते हुए रूढ़िवादी कार्यकर्ता बेकी गेरिट्सन ने कहा कि योग हिंदू धर्म का एक बहुत बड़ा हिस्सा है. अलबामा में धार्मिक गुटों ने योग बिल का विरोध किया और कहा कि स्कूलों में हिंदू धर्म को पेश करने जैसा है.

इस बिल का मकसद अलबामा के पब्लिक स्कूलों में इलेक्टिव विषय के तौर पर 'योग' को रखा जाना है. इसका मकसद स्कूलों में योग करना है. बिल को सीनेट में पेश करने वाले ग्रे का कहना है कि योग करने से मानसिक शांति मिलती है और शारीरिक रूप से फायदा होता है. ग्रे एथलीट भी रहे हैं. उन्होंने कहा कि एथलीट अलबामा और ऑबर्न विश्वविद्यालयों में योग करते हैं. लोग मेथोडिस्ट चर्च में योग करते हैं. इतने सारे लोग योग करते हैं, फिर अलबामा के स्कूलों में क्यों नहीं किया जाता. 


 

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