तुर्की में राष्ट्रपति एर्दोगन के विरोधी को जेल, गिरफ्तारी पर पूरे देश में मचा था बवाल!

तुर्की में राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन के मुख्य राजनीतिक विरोधी एकरेम इमामोग्लू को जेल की सजा सुनाई गई है. मार्च से ही वो भ्रष्टाचार संबंधी आरोपों को लेकर हिरासत में हैं और उनकी डिप्लोमा डिग्री भी रद्द कर दी गई है.

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एकरेम इमामोग्लू तुर्की में विपक्ष के नेता हैं जिन्हें राष्ट्रपति एर्दोगन का मुख्य प्रतिद्वंद्वी माना जाता है (Photo- AFP/Getty/Reuters) एकरेम इमामोग्लू तुर्की में विपक्ष के नेता हैं जिन्हें राष्ट्रपति एर्दोगन का मुख्य प्रतिद्वंद्वी माना जाता है (Photo- AFP/Getty/Reuters)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 18 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 1:47 PM IST

तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन के मुख्य प्रतिद्वंद्वी एकरेम इमामोग्लू को एक सरकारी वकील का अपमान करने के लिए 20 महीने की जेल की सजा सुनाई गई है. इमामोग्लू इस्तांबुल के पूर्व मेयर है जिन्हें मार्च से ही हिरासत में रखा गया है. तुर्की में एर्दोगन के खिलाफ इमामोग्लू की लोकप्रियता लगातार बढ़ती जा रही थी और आलोचकों का कहना है कि उनकी गिरफ्तारी और अब सजा राजनीति से प्रेरित है.

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इमामोग्लू की 20 महीने की जेल का मामला उनकी एक टिप्पणी से जुड़ा है. कुछ समय पहले इमामोग्लू की पार्टी रिपब्लिकन पीपुल्स पार्टी (CHP) के एक युवा नेता के घर पर पुलिस ने छापेमारी की थी. छापेमारी को लेकर इमामोग्लू ने कथित तौर पर कहा था कि इस्तांबुल के मुख्य वकील अकिन गुरलेक का दिमाग 'सड़ा हुआ' है.

इस मामले में कोर्ट का फैसला बुधवार को इस्तांबुल के पास स्थित हाई सिक्योरिटी वाली सिलिवरी अदालत और जेल परिसर में सुनाया गया, जहां अक्सर राजनीतिक रूप से संवेदनशील मुकदमों की सुनवाई होती है. इमामोग्लू को आतंकवाद-रोधी ऑपरेशन्स में शामिल अधिकारियों को निशाना बनाने के एक अन्य मामले में आरोपों से बरी कर दिया गया.

मार्च से ही हिरासत में हैं तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन के विरोधी इमामोग्लू

55 साल के इमामोग्लू मार्च से ही हिरासत में हैं और उन पर भ्रष्टाचार के संबंधित आरोपों में मुकदमा चल रहा है. उन्होंने सभी आरोपों से इनकार किया है और दावा किया है कि ये मामले राजनीति से प्रेरित हैं.

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इमामोग्लू का कहना है कि उन्हें झूठे आरोपों में फंसाकर जेल में इसलिए रखा जा रहा है क्योंकि राष्ट्रपति एर्दोगन 2028 के राष्ट्रपति चुनाव से उन्हें दूर रखना चाहते हैं. लेकिन तुर्की की सरकार का कहना है कि देश की न्यायपालिका स्वतंत्र है और वो इसमें किसी तरह से हस्तक्षेप नहीं करती हैं.

इमामोग्लू की गिरफ्तारी के तुर्की में हुए थे विरोध प्रदर्शन

इमामोग्लू 2019 में पहली बार इस्तांबुल के मेयर चुने गए थे और देखते ही देखते वो देश में तेजी से लोकप्रिय होने लगे. 2024 में जब वो दोबारा इस्तांबुल के मेयर चुने गए तब माना गया कि इमामोग्लू ही वो नेता हैं जो चुनावों में लंबे समय से सत्ता पर काबिज राष्ट्रपति एर्दोगन को हरा सकते हैं. इसी बीच 19 मार्च को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और फिर उन्हें अस्थायी रूप से पद से निलंबित कर दिया गया.

इमामोग्लू की गिरफ्तारी से तुर्की में बड़े पैमाने पर अशांति फैल गई. इस्तांबुल और अंकारा समेत कई शहरों में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पें देखने को मिली. एर्दोगन ने विपक्ष पर अशांति फैलाने और देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया.

सरकारी वकीलों ने शुरू में इमामोग्लू के लिए सात साल से ज्यादा की सजा और उनके पद पर रहने पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी. हालांकि, उन्हें 20 महीने की सजा दी गई है जो कि स्थायी रूप से पद से हटाने के लिए पर्याप्त नहीं है. अगर कोर्ट उन्हें कम से कम दो साल की सजा सुनाता तो उनका गवर्नर पद स्थायी रूप से छिन जाता.

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यह पहली बार नहीं है जब इमामोग्लू को अपनी टिप्पणियों के लिए कानूनी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है. 2022 में, उन्हें चुनाव बोर्ड के अधिकारियों की आलोचना करने के लिए दो साल और छह महीने की जेल की सजा सुनाई गई थी.

इस सजा के बाद 2019 में उनकी मेयर पद की जीत को रद्द कर दिया गया था. उस फैसले पर अभी अपील चल रही है. अगर यह फैसला बरकरार रहता है, तो यह उन्हें भविष्य के चुनावों में भाग लेने से रोक सकता है. मार्च में, इस्तांबुल विश्वविद्यालय ने इमामोग्लू का डिप्लोमा रद्द कर दिया था. डिप्लोमा रद्द होने के कारण वो 2028 का राष्ट्रपति चुनाव नहीं लड़ पाएंगे.

2003 से तुर्की की सत्ता पर काबिज हैं एर्दोगन

जस्टिस एंड डेवलपमेंट पार्टी (एकेपी) के मुखिया रेचेप तैय्यप एर्दोगन 2003 से ही तुर्की की सत्ता पर अपनी पकड़ बनाए हुए हैं. इस्लामिक छवि वाले एर्दोगन 2004 में तुर्की के प्रधानमंत्री बन थे. एर्दोगन 2014 में राष्ट्रपति बने और तब से ही तुर्की की सत्ता पर उनका एकछत्र राज माना जाता है.

एर्दोगन अगर फिर से राष्ट्रपति का चुनाव लड़ना चाहते हैं तो उन्हें इसके लिए तुर्की के संविधान में संशोधन करना होगा जो कि काफी मुश्किल प्रक्रिया है.

उन्हें लेकर तुर्की के लोगों में नाराजगी भी काफी बढ़ी है और नए चेहरों को लोग पसंद कर रहे हैं जिसमें सबसे बड़ा नाम इमामोग्लू का है. इसे देखते हुए एर्दोगन ने अपने विरोधियों को कुचलना शुरू कर दिया है और माना जा रहा है कि इसी क्रम में इमामोग्लू को जेल की सजा सुनाई गई है.  

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