व्हाट्सअप पर टैक्स लगाना पड़ा भारी, लेबनान के PM ने दिया इस्तीफा

लेबनान की अर्थव्यवस्था धराशायी होने के कगार पर है और सरकार हर वो विकल्प ढूंढ रही है जिससे धन जुटाया जा सके. मोबाइल मैसेजिंग एप पर टैक्स इसी का एक प्रयास है.

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बेरूत (लेबनान) में विरोध प्रदर्शन करते लोग (फाइल फोटो-AP/PTI) बेरूत (लेबनान) में विरोध प्रदर्शन करते लोग (फाइल फोटो-AP/PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 30 अक्टूबर 2019,
  • अपडेटेड 7:28 PM IST

  • टैक्स के विरोध में पूरे देश में सड़कों पर उतरे लोग
  • कई दिनों तक बंद रहे स्कूल, कॉलेज और बैंक

लेबनान में व्हाट्सअप पर टैक्स लगाना सरकार के लिए काफी महंगा पड़ गया. टैक्स के विरोध में लेबनानी जनता सड़कों पर उतर गई और विरोध प्रदर्शन इतना उग्र हुआ कि प्रधानमंत्री तक को इस्तीफ देना पड़ा.

कुछ दिन पहले लेबनान सरकार ने मोबाइल मैसेजिंग एप पर टैक्स लगाने की घोषणा की. इस ऐलान के साथ ही लेबनान के लोग सड़कों पर उतर गए जिससे हिंसा के हालात पैदा हो गए. विरोध प्रदर्शन इतना तेज हुआ कि पूरे लेबनान में ठहराव की स्थिति पैदा हो गई और पूरा राजनीतिक वर्ग कठघरे में खड़ा हो गया.

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टैक्स के विरोध में लाखों लोग सेंट्रल बेरूत और अन्य शहरों में लामबंद हो गए और बेहतर जिंदगी के लिए सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने लगे. यह विरोध प्रदर्शन अभी तक जारी है. लोगों की मांग है कि दशकों से देश की सत्ता पर राज करने वाले नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाया जाए और जनकल्याणकारी योजनाएं शुरू की जाएं. बता दें, लेबनान की अर्थव्यवस्था धराशायी होने के कगार पर है और सरकार हर वो विकल्प ढूंढ रही है जिससे धन जुटाया जा सके. मोबाइल मैसेजिंग एप पर टैक्स इसी का एक प्रयास है.

लेबनान सरकार ने घोषणा की थी कि हरेक यूजर से पहली व्हाट्सअप कॉल पर 20 प्रतिशत टैक्स वसूला जाएगा. इस घोषणा के साथ ही पूरे देश में सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज हो गए. फोर्ब्स के मुताबिक, स्थिति यहां तक पहुंच गई कि मंगलवार को प्रधानमंत्री साद हरीरी को इस्तीफा देना पड़ा. दिलचस्प बात यह है कि हरीरी की इस योजना को शक्तिशाली शिया संगठन हिजबुल्ला ने भी समर्थन दिया था. लेबनान की राजनीति में हिज्बुल्ला की बड़ी दखल मानी जाती है.

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विरोध प्रदर्शन का असर स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी और बैंक पर देखे गए. देश के लगभग सभी प्रतिष्ठान कई दिनों तक बंद रहे. प्रदर्शनकारियों ने लोगों से आग्रह किया कि सरकार की इस जनविरोधी नीति के खिलाफ आवाज बुलंद करें. लोगों ने भी इसमें साथ दिया और लेबनान कई दिनों तक बंद की स्थिति में रहा. अंत में सरकार ने अपनी योजना बदलने की घोषणा की. प्रधानमंत्री खुद टेलीविजन संदेश में लोगों को शांत रहने की अपील करते दिखे. अंततः उन्हें अपनी कुर्सी खाली पड़नी पड़ी.

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