तालिबान ने पहली बार भारत को लेकर किया बड़ा दावा

अफगानिस्तान में सत्ता हासिल करने के बाद ये पहली बार है जब भारतीय प्रतिनिधिमंडल और तालिबान के अधिकारी एक दूसरे के आमने-सामने आए हैं. तालिबान ने कहा है कि भारत ने अफगानिस्तान की मदद करने का आश्वासन दिया है. हालांकि, भारत की तरफ से आधिकारिक बयान नहीं आया है.

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काबुल में भारत और अफगानिस्तान के झंडे, फोटो क्रेडिट: रॉयटर्स काबुल में भारत और अफगानिस्तान के झंडे, फोटो क्रेडिट: रॉयटर्स

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 20 अक्टूबर 2021,
  • अपडेटेड 9:51 AM IST
  • रूस में हुई मीटिंग में पहली बार भारत-तालिबान आमने सामने
  • भारत अफगानिस्तान की मदद को हुआ तैयार

अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता हासिल करने के बाद भारतीय प्रतिनिधिमंडल और तालिबान के अधिकारी पहली बार एक दूसरे के आमने-सामने आए हैं. तालिबान ने इस मुलाकात की जानकारी ट्विटर पर दी है. तालिबान ने ये भी कहा है कि भारत अफगानिस्तान की मदद करने के लिए तैयार है.

रूस की ओर से अफगानिस्तान मुद्दे पर बुलाई गई मॉस्को फॉर्मेट मीटिंग में भारत ने भी शिरकत की. तालिबान के आधिकारिक प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने अपने ट्वीट में बताया कि भारत अफगानिस्तान की मदद करने के लिए तैयार है. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, मॉस्को में हुई बैठक में भारतीय अधिकारियों ने कहा है कि अफगानिस्तान के लोगों को मानवीय सहायता की जरूरत है, अफगानिस्तान मुश्किल हालात से गुजर रहा है. भारत अफगानिस्तान को मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए तैयार है. हालांकि, अभी तक भारत की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.

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साल 2017 से शुरू हुए मॉस्को फॉर्मेट को अफगानिस्तान के मुद्दे को लेकर बनाया गया था. इस बैठक में शामिल होने के लिए चीन, भारत, ईरान और पाकिस्तान समेत 10 देशों को निमंत्रण भेजा गया था. इस मीटिंग के लिए अमेरिका को भी न्योता भेजा गया था लेकिन वह इसमें शामिल नहीं हुआ. अमेरिका ने इस बैठक से पहले ही दोहा में तालिबान के प्रतिनिधिमंडल से बातचीत की थी.

अफगानिस्तान की न्यूज वेबसाइट टोलो न्यूज के अनुसार, इस मीटिंग से तालिबान को काफी उम्मीदें हैं. अफगानिस्तान के फंड फ्रीज हो जाने के बाद से ही इस देश पर आर्थिक संकट और भुखमरी का खतरा मंडरा रहा है. चूंकि तालिबान ने अपनी समावेशी सरकार से जुड़े वादे नहीं निभाए हैं, ऐसे में रूस तालिबान को अंतर्राष्ट्रीय मान्यता देने की जल्दी में नहीं है. 

रूस के अलावा ताज़िकिस्तान और उज़्बेकिस्तान ने भी तालिबान सरकार को लेकर चिंता जताई है. उन्होंने कहा है कि जो वादे तालिबान सरकार ने सार्वजनिक रूप से किए हैं, उन्हें पूरा नहीं किया गया है. वही कतर भी तालिबान को कह चुका है कि उन्हें अगर इस्लामिक सरकार चलानी है तो कतर से सीखना चाहिए. इसके अलावा कुछ मुस्लिम देश तालिबान में विदेश मंत्रियों को भेजकर उन्हें समावेशी सरकार चलाने और समाज में महिलाओं की भूमिका के महत्व के लिए भी अफगानिस्तान पहुंचने का प्लान कर रहे हैं. पाकिस्तान तालिबान को सपोर्ट करता है और अफगानिस्तान में बुरे हालातों के बीच इस देश को मदद भी पहुंचा रहा है लेकिन पाकिस्तान की भी अपनी सीमाएं हैं क्योंकि पाकिस्तान खुद आर्थिक तंगी से बुरी तरह जूझ रहा है. चीन ने भी अभी तक तालिबान को लेकर बहुत उत्साह भरा रवैया नहीं दिखाया है. ऐसे में तालिबान लगातार कोशिशें कर रहा है कि उसे जितना ज्यादा हो सके, उतनी मदद मिल सके. 
 

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