पहली विदेश यात्रा पर 15 दिसंबर को भारत आएंगे श्रीलंका के राष्ट्रपति दिसानायके

15-17 दिसंबर की यात्रा राष्ट्रपति चुने जाने के बाद दिसानायके की पहली विदेश यात्रा है. जानकारी के अनुसार, भारत दौरे का निमंत्रण विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दिया था, जिन्होंने दिसानायके की जीत के एक पखवाड़े से भी कम समय बाद कोलंबो का दौरा किया था.

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श्रीलंका के राष्ट्रपति दिसानायके. (फाइल फोटो) श्रीलंका के राष्ट्रपति दिसानायके. (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 10 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 2:42 PM IST

श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके 15 दिसंबर से भारत की दो दिवसीय यात्रा करेंगे, यह पद संभालने के बाद उनकी पहली विदेश यात्रा होगी. इसकी घोषणा मंगलवार को की गई है. कैबिनेट प्रवक्ता नलिंदा जयथिसा ने इस यात्रा की जानकारी देते हुए कहा, 'अपनी यात्रा के दौरान, दिसानायके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात करेंगे.'

इस यात्रा पर उनके साथ श्रीलंका के विदेश मंत्री विजिथा हेराथ और उप वित्त मंत्री अनिल जयंता फर्नांडो भी होंगे. 15-17 दिसंबर की यात्रा राष्ट्रपति चुने जाने के बाद दिसानायके की पहली विदेश यात्रा है. जानकारी के अनुसार, भारत दौरे का निमंत्रण विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दिया था, जिन्होंने दिसानायके की जीत के एक पखवाड़े से भी कम समय बाद कोलंबो का दौरा किया था.

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23 सितंबर को दिसानायके के नेतृत्व वाली नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) सरकार के सत्ता में आने के बाद जयशंकर श्रीलंका का दौरा करने वाले पहले विदेशी नेता थे. 

राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके की नेशनल पीपुल्स पॉवर (NPP) ने संसद की 225 में से 159 सीटें जीती थीं. 2020 के चुनाव में NPP सिर्फ 3 सीटें ही जीत सकी थी. इस बार NPP को 62 फीसदी वोट मिले हैं.

यह भी पढ़ें: श्रीलंका में वामपंथी सरकार लेकिन फिर भी इंडिया से दोस्ती कैसे है मजबूरी?

श्रीलंका के लिए क्यों मजबूरी है भारत?

दिसानायके चाहकर भी भारत के साथ संबंध नहीं बिगाड़ सकते, क्योंकि इससे उसकी अर्थव्यवस्था को चोट पहुंच सकती है. जबकि, दिसानायके को जनता ने अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के वादे के कारण सत्ता सौंपी है. चीन के बाद भारत, श्रीलंका का दूसरा सबसे बड़ा कारोबारी देश है. पेट्रोलियम के लिए श्रीलंका बहुत हद तक भारत पर ही निर्भर है. हालांकि, वो चीन को भी नजरअंदाज नहीं कर सकते, लेकिन दिसानायके और उनकी सरकार के लिए भारत से रिश्ते बेहतर करना मजबूरी भी है, क्योंकि उन्होंने देखा है कि जरूरत पड़ने पर भारत ही उनके काम आएगा.

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