PM मोदी से मदद मांगने पर भड़के श्रीलंका के मंत्री, कहा- हम भारत का हिस्सा नहीं, बाहरी से ना करने जाएं शिकायत

श्रीलंकाई तमिलों का नेतृत्व करने वाली 7 राजनीतिक दलों ने पीएम मोदी को चिट्ठी लिखकर मदद मांगी है. इस बात को लेकर श्रीलंका के ऊर्जा मंत्री ने कहा है कि श्रीलंका भारत की हिस्सा नहीं है बल्कि एक संप्रभु राष्ट्र है, पार्टियों को श्रीलंका की चुनी हुई सरकार से इस संबंध में बात करनी चाहिए थी.

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श्रीलंका के ऊर्जा मंत्री उदय गम्मनपिला (Photo- Twitter/Udaya Gammanpila) श्रीलंका के ऊर्जा मंत्री उदय गम्मनपिला (Photo- Twitter/Udaya Gammanpila)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 20 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 1:21 PM IST
  • श्रीलंका के तमिल पार्टियों ने पीएम मोदी को लिखा खत
  • नाराज हुए देश के ऊर्जा मंत्री
  • कहा- हम भारत का हिस्सा नहीं जो पीएम मोदी से मांगी जा रही मदद

श्रीलंका की 7 राजनीतिक पार्टियों के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर मदद मांगने को लेकर देश के ऊर्जा मंत्री उदय गम्मनपिला ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. श्रीलंकाई तमिलों का प्रतिनिधित्व करने वाले दलों ने पीएम मोदी को संबोधित अपने पत्र में लिखा था कि वो श्रीलंका के संविधान के 13वें संशोधन को पूरी तरह से लागू करने के लिए उनकी सरकार से गुजारिश करें. श्रीलंका का 13वां संविधान संशोधन तमिलों को उचित राजनीतिक प्रतिनिधित्व दिलाने से जुड़ा हुआ है.

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इस खबर पर श्रीलंका के ऊर्जा मंत्री ने कहा है कि श्रीलंका एक संप्रभु राष्ट्र है, भारत का हिस्सा नहीं. ये बात श्रीलंका के राष्ट्रपति के सामने उठाई जानी थी, भारतीय प्रधानमंत्री के समक्ष नहीं.

श्रीलंका के ऊर्जा मंत्री उदय गम्मनपिला ने बुधवार सुबह साप्ताहिक कैबिनेट प्रेस वार्ता में पत्रकारों से बात करते हुए ये टिप्पणी की. उन्होंने मदद की गुहार लगाने वाली पार्टियों में शामिल TNA (Tamil National Alliance) का नाम लेते हुए कहा कि 13वें संविधान संशोधन को लेकर उनकी जो भी चिंताएं हैं, वो श्रीलंका के निर्वाचित राष्ट्रपति के सामने उठाई जानी थी.

उन्होंने कहा, 'अगर हमारे तमिल दलों को 13वें संशोधन के कार्यान्वयन के बारे में कोई चिंता या आशंका है, तो उन्हें भारतीय प्रधानमंत्री के बजाय हमारे राष्ट्रपति को अपनी चिंताओं से अवगत कराना चाहिए, क्योंकि हम एक संप्रभु देश हैं और भारत का हिस्सा नहीं हैं. अगर हमारे तमिल भाइयों के पास 13वें संशोधन के कार्यान्वयन के संबंध में कोई मुद्दा था, तो उन्हें बाहरी लोगों के बजाय हमारी चुनी हुई सरकार से बात करनी चाहिए थी.'

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मंगलवार को कोलंबो में भारतीय उच्चायुक्त के साथ TNA प्रतिनिधिमंडल ने एक बैठक की थी. TNA प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व पार्टी नेता आर सम्पंथन ने किया. इस बैठक में पार्टी ने भारतीय उच्चायुक्त को पीएम मोदी को संबोधित एक पत्र सौंपा था. ऊर्जा मंत्री से इसी संबंध में सवाल किया गया जिसके बाद उन्होंने ये जवाब दिया.

द हिंदू ने बुधवार को बताया कि सात पन्नों के पत्र में 13वें संशोधन को लागू करने और सार्थक शक्ति हस्तांतरण सुनिश्चित करने का जिक्र किया गया था. पत्र में लिखा गया कि श्रीलंका की कई सरकारों ने इसे लेकर वादे किए हैं लेकिन पूरा किसी सरकार ने नहीं किया.

7 राजनीतिक दलों ने पत्र में लिखा, 'हम एक संघीय ढांचे पर आधारित राजनीतिक समाधान के लिए प्रतिबद्ध हैं जो हमारी वैध मांगों को मान्यता देता है. तमिल भाषी लोग हमेशा से श्रीलंका के उत्तर और पूर्व में बहुसंख्यक रहे हैं. इस बात को लेकर हम लगातार संवैधानिक सुधारों की मांग करते रहे हैं.'

पत्र में ये भी लिखा गया कि भारत सरकार तमिलों को उनके अधिकार दिलाने के प्रयास में लगातार साथ देती रही है. 2015 में जब पीएम मोदी श्रीलंका गए थे तब उन्होंने श्रीलंकाई संसद में एक संबोधन दिया था जिसमें उन्होंने सत्ता में शक्तियों के बंटवारे की बात कही थी. 

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इधर, सह-कैबिनेट के प्रवक्ता रमेश पथिराना ने कहा है कि श्रीलंका ने 13वें संशोधन को पूरी तरह लागू कर दिया है.

उन्होंने कहा, 'हमने 13वें संशोधन को पूरी तरह लागू कर दिया है. कई बार प्रतिनिधि भी चुने गए. 2009 में जब युद्ध समाप्त हुआ तब तत्कालीन राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने उत्तरी और पूर्वी दोनों प्रांतों में चुनाव कराए. इसे क्रियान्वित किया गया है. इसे लेकर चिंता की कोई बात नहीं है.'

इस बीच, राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने मंगलवार को संसद में एक नीति वक्तव्य देते हुए TNA और अन्य तमिल दलों को आमंत्रित किया. उन्होंने पार्टियों से श्रीलंका के उत्तर और पूर्व में रहने वाले तमिलों के जीवन स्तर में सुधार के लिए अपनी सरकार के प्रयासों को समर्थन देने के लिए कहा.

राजपक्षे ने यह भी कहा कि श्रीलंका के प्रस्तावित नए संविधान पर एक विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों को मंत्रिमंडल के साथ-साथ संसद में भी प्रस्तुत किया जाएगा.

उन्होंने कहा, '1994 से सरकारों ने कई बार एक नया संविधान पेश करने का प्रयास किया है, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. इसलिए, मैंने इस विषय का गहराई से अध्ययन करने, व्यापक रूप से लोगों से परामर्श करने और लोगों के अनुकूल संविधान के लिए प्रारंभिक मसौदा तैयार करने के लिए कैबिनेट की मंजूरी पर एक विशेषज्ञ समिति को नियुक्त किया है.'

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गौरतलब है कि श्रीलंका का 13वां संविधान संशोधन जुलाई 1987 में भारत-श्रीलंका समझौते के कारण अस्तित्व में आया. इस संशोधन के तहत श्रीलंका के तमिलों की सत्ता में भागेदारी सुनिश्चित की गई. प्रांतीय परिषदों की स्थापना की गई. लेकिन अभी तक इस संशोधन को ठीक तरीके से लागू नहीं किया गया है जिससे देश के उत्तर पूर्व में बहुसंख्यक तमिलों को सत्ता में उचित स्थान नहीं मिल पाया है.  

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