बांग्लादेश की अंतर्राष्ट्रीय अपराध ट्रिब्यूनल (ICT ) ने पूर्व पीएम शेख हसीना को कथित तौर पर मानवता के खिलाफ अपराध का दोषी करार दिया है. उन्हें मौत की सजा दी गई है. शेख हसीना को तीन आरोपों (तीन काउंट) में दोषी पाया गया है और मौत की सजा सुनाई गई है. ICT ने कहा कि तीनों आरोपों के लिए हमने एक ही मौत की सजा देने का फैसला किया है. अदालत की इस घोषणा के साथ ही कोर्ट में वकीलों ने तालियां बजाई.
ICT ने शेख हसीना को तीन अपराधों के तहत दोषी करार दिया है और मौत की सजा सुनाई है. इनमें भड़काना, हिंसा के लिए आदेश देना और अत्याचारों को रोकने में असफल रहना शामिल है.
शेख हसीना को इन तीन अपराधों के लिए मौत की सजा दी गई है.
1. निहत्थे प्रदर्शनकारियों के खिलाफ घातक बल प्रयोग का आदेश देना (OrderS to kill)
2. भड़काऊ बयान देना (Incitement)
3. और ढाका तथा आसपास के क्षेत्रों में कई छात्रों की हत्या के लिए कार्रवाई को अधिकृत करना (Failure to prevent the atrocities)
अदालत ने कहा है कि शेख हसीना का वो आदेश जब उन्होंने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ ड्रोन, हेलिकॉप्टर और खतरनाक हथियार इस्तेमाल करने का आदेश दिया. बांग्लादेश की ट्रिब्यूनल ने कहा कि शेख हसीना ने लोगों को भड़काया है. कोर्ट ने कहा कि शेख हसीना ने लोगों को भड़काया. वह निवारक और दंडात्मक उपाय करने में फेल रहीं.
ICT ने कहा कि शेख हसीना ने ड्रोन और हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल करके मानवता के विरुद्ध अपराध किए. अदालत ने पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल को उकसाने का दोषी पाया गया. अदालत ने कहा कि पूर्व गृह मंत्री और पुलिस महानिरीक्षक अत्याचारों को रोकने में विफल रहे.
शेख हसीना सर्वोच्च कमांडर थीं. यह स्पष्ट है कि शेख हसीना का गृह मंत्री और पुलिस महानिरीक्षक पर हाई कंट्रोल था. प्रदर्शनकारियों पर अत्याचारों को रोकने के लिए उपाय करना उनकी जिम्मेदारी थी.
गृह मंत्री के पास पुलिस महानिरीक्षक पर उच्च कमान थी और उन्हें अत्याचार करने से रोकने की ज़िम्मेदारी उनकी थी. उन्हें सज़ा मिलनी चाहिए.
बता दें कि बांग्लादेश की अंतर्राष्ट्रीय अपराध ट्रिब्यूनल (ICT ) पिछले साल जुलाई में हुए कथित आंदोलन के मामले में तीन लोगों के खिलाफ मुकदमा चला रही थी. इनमें पूर्व पीएम शेख हसीना, पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल और पूर्व इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस चौधरी अब्दुल्ला अल मामून शामिल हैं.
अंतर्राष्ट्रीय अपराध ट्रिब्यूनल में तीन सदस्य हैं. ये ट्रिब्यूनल जस्टिल मोहम्मद गुलाम मुर्तजा मजूमदार की अगुआई में फैसले सुना रहा है. आज अदालत ने 453 पन्नों और 6 हिस्सों में बंटे फैसले में शेख हसीना को फांसी की सजा सुनाई है.
इस मामले में असदुज्जमां भगोड़ा है जबकि मामून हिरासत में है और उसने अपना अपराध स्वीकार कर लिया है. मामून सरकारी गवाह भी बन गया है,.
बांग्लादेश की एजेंसियों ने आरोपियों के खिलाफ पांच आरोप दर्ज किए हैं, जिनमें हत्या को रोकने में विफलता भी शामिल है, जो बांग्लादेशी कानून के तहत मानवता के विरुद्ध अपराध है. इसी आरोप में शेख हसीना को मौत की सजा सुनाई गई है.
'पक्षपातपूर्ण और राजनीति से प्रेरित' फैसला
शेख हसीना अगस्त 2025 के बाद से ही बांग्लादेष छोड़कर भारत में रह रही हैं. उन्होंने इन सभी आरोपों को खारिज किया है.
शेख हसीना ने इस फैसले के बाद इंडिया टुडे/आजतक से बातचीत में कहा कि ये फैसला 'पक्षपातपूर्ण और राजनीति से प्रेरित' है. उन्होंने कहा कि ये फैसला बिना किसी लोकतांत्रिक जनादेश वाले एक 'धांधलीपूर्ण' न्यायाधिकरण ने दिया है.
गृह मंत्री को भी मौत की सजा, सरकारी गवाह बने अफसर को मात्र 5 साल की कैद
इस अदालत ने पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल को भी मृत्युदंड की सजा सुनाई है, जबकि पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामुन जो सरकारी गवाह बन गए थे, को मामले में पांच साल की कैद की सजा सुनाई गई है. अदालत ने शेख हसीना और असदुज्जमां की संपत्ति को भी जब्त करने का भी आदेश दिया है.
संयुक्त आपराधिक गिरोह के रूप में होता था काम
कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री हसीना और पूर्व गृह मंत्री के खिलाफ अपराधों को गिनाते हुए कहा कि एक कोर कमेटी हर शाम गृह मंत्री के आवास पर बैठक करती थी. कोर कमेटी को निर्देश सीधे प्रधानमंत्री से आते थे.शेख हसीना ने खुद देश भर में घातक हथियारों के इस्तेमाल के निर्देश जारी किए थे. तीनों आरोपी एक संयुक्त आपराधिक गिरोह के रूप में काम करते थे. देश भर में प्रदर्शनकारियों और छात्रों की हत्या हुई और उन्हें घायल करने की घटनाएं हुईं. 50 से ज़्यादा ज़िलों में विरोध प्रदर्शन जारी थे. कई ज़िलों के गवाहों ने गवाही दी है कि आम लोगों की हत्याएं हुईं.
1400 लोगों की हुई थी मौत
पिछले साल 5 अगस्त को अपनी सरकार के गिरने के बाद से भारत में रह रही 78 वर्षीय हसीना को अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT-BD) ने यह सजा सुनाई है. इससे पहले उन्हें अदालत ने भगोड़ा घोषित किया था.
ढाका में कड़ी सुरक्षा वाली अदालत में फैसला पढ़ते हुए न्यायाधिकरण ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने बिना किसी संदेह के यह साबित कर दिया है कि पिछले साल 15 जुलाई से 15 अगस्त के बीच छात्रों के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों पर की गई घातक कार्रवाई के पीछे हसीना का हाथ था.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय की एक रिपोर्ट में पहले अनुमान लगाया गया था कि जुलाई विद्रोह के नाम से जाने जाने वाले एक महीने लंबे आंदोलन के दौरान 1,400 लोग मारे गए थे.
नलिनी शर्मा / इंद्रजीत कुंडू