SCO सम्मेलन का हिस्सा बनेंगे पीएम मोदी, चीन-पाक-रूस जैसे देशों के बीच अफगानिस्तान पर मंथन

BRICS की अगुवाई करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब SCO सम्मेलन का हिस्सा बनने वाले हैं. वे  SCO के 16वें सम्मेलन वर्चुअली हिस्सा लेने वाले हैं. इस बार SCO की अगुवाई तजाकिस्तान कर रहा है.

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पीएम नरेंद्र मोदी ( पीटीआई) पीएम नरेंद्र मोदी ( पीटीआई)

गीता मोहन

  • नई दिल्ली,
  • 12 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 9:20 PM IST
  • SCO सम्मेलन का हिस्सा बनेंगे पीएम मोदी
  • चीन-पाक-रूस जैसे देशों के बीच अफगानिस्तान पर मंथन

BRICS की अगुवाई करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब SCO सम्मेलन का हिस्सा बनने वाले हैं. वे  SCO के 16वें सम्मेलन में वर्चुअली हिस्सा लेने वाले हैं. इस बार SCO की अगुवाई तजाकिस्तान कर रहा है.

वहीं पाकिस्तान, चीन रूस जैसे देश भी हिस्सा लेने वाले हैं. ये सम्मेलन 16 से 17 सितंबर के बीच तजाकिस्तान की राजधानी Dushanbe में आयोजित किया जाएगा.

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SCO सम्मेलन का हिस्सा बनेंगे पीएम मोदी

अब वैसे तो इस सम्मलेन में कई मुद्दों पर चर्चा होनी है, लेकिन सबसे ज्यादा फोकस अफगानिस्तान पर रह सकता है. जब से अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार बनी है, जब से फिर वहां पर तालिबान ने अपनी क्रूरता फैलाना शुरू कर दिया है, पूरी दुनिया चिंता में है. ऐसे में अब जब  SCO सम्मेलन होगा, तो अफगानिस्तान की वर्तमान स्थिति पर भी विस्तार से चर्चा होगी.

SCO में कुल आठ देश शामिल हैं. इस लिस्ट में- तजाकिस्तान, कजाकिस्तान, उज़्बेकिस्तान, क्रिगिस्तान, भारत, पाकिस्तान, रूस, चीन शामिल हैं. इससे पहले भी SCO देश के विदेश मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मीटिंग कर चुके हैं. लेकिन अब जब खुद पीएम मोदी इसका हिस्सा बनेंगे तो इसके मायने काफी ज्यादा बढ़ जाते हैं.

ब्रिक्स में हुई थी अफगानिस्तान पर चर्चा

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इससे पहले ब्रिक्स सम्मेलन में भी अफगानिस्तान मुद्दे पर विस्तार से चर्चा हुई थी. वहां पर सभी देशों ने एकमत होकर कहा था कि शांति को माध्यम बना ही अफगानिस्तान में स्थिति को सुधारा जा सकता है. वहां पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा था कि अगर अमेरिकी सेना अफगानिस्तान से जल्द नहीं जाती तो स्थिति कंट्रोल में रह सकती थी. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया था कि अफगानिस्तान में तालिबान के आने से पड़ोसी देशों के लिए सुरक्षा का खतरा पैदा हो जाएगा.

अब उसी कड़ी में SCO सम्मेलन होने जा रहा है. यहां क्योंकि एशियाई देश होने जा रहे हैं, ऐसे में कई स्थानीय मुद्दों पर चर्चा संभव है. अफगानिस्तान जरूर टॉप पर रहेगा लेकिन व्यापार और कोरोना जैसे मुद्दों पर भी मंथन देखने को मिल सकता है.

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