रूस और चीन के खिलाफ गुट में भारत को घसीट रहा NATO, पुतिन सरकार ने लगाया बड़ा आरोप

यूक्रेन से युद्ध के बीच रूस ने नाटो पर एक बड़ा आरोप लगाया है. रूस ने कहा है कि नाटो भारत को रूस विरोधी और चीन विरोधी गुट में घसीटकर दोनों देशों की घेरेबंदी की कोशिश कर रहा है. रूस के विदेश मंत्री ने कहा कि अमेरिकी दबदबे वाले नाटो की इस कोशिश का मकसद रूस के प्रभाव को कम करना है.

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फोटो- रूस के ऱाष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फोटो- रूस के ऱाष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 02 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 3:31 PM IST

यूक्रेन से जंग लड़ रहे रूस ने नाटो (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) पर बड़ा आरोप लगाया है. रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव का कहना है कि नाटो (NATO) भारत को अपने गुट में लेकर रूस और चीन की घेराबंदी की कोशिश कर रहा है. सर्गेई लावरोव ने कहा कि नाटो का भारत को चीन या रूस विरोधी गुट में घसीटना रूस के प्रभाव को कम करने की कोशिश है. वहीं लावरोव ने यह भी कहा कि अमेरिका और नाटो दक्षिण चीन सागर में भी माहौल बिगाड़ने की कोशिश में है.  

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वहीं पश्चिमी देशों की ओर से प्राइस कैप लागू करने की तैयारियों पर विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि रूस को इस प्राइस कैप की बिल्कुल भी चिंता नहीं है. सर्गेई लावरोव ने कहा कि रूस यह जानने में बिल्कुल भी इच्छुक नहीं है कि प्राइस कैप का क्या होगा. लावरोव ने कहा कि हम तेल के मामले में भारत और चीन जैसे सहयोगियों से सीधी बात करेंगे. 

वहीं रूसी विदेश मंत्री ने आगे कहा कि अगर कोई सहयोगी हमारे साथ अपना काम जारी रखना चाहता है तो वह पश्चिमी प्राइस कैप पर बिल्कुल भी ध्यान ना दें और ना ही इसे गैर-कानूनी तरह से लाने वालों को कोई गारंटी दें.

प्राइस कैप पर रूस का कड़ा रुख
जहां एक ओर पश्चिमी देश लगातार इस कोशिश में हैं कि किसी तरह रूस के तेल की कीमत को फिक्स कर दिया जाए तो वहीं दूसरी ओर रूस भी पश्चिमी देशों के सामने झुकने को तैयार नहीं है. रूस ने साफ कर दिया है कि अगर कोई देश इस पश्चिमी प्राइस कैप का समर्थन करेगा, उसे रूसी तेल की सप्लाई रोक दी जाएगी. 

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रूस के उप प्रधानमंत्री अलेक्जेंडर नोवाक ने इस मामले को साफ करते हुए हाल ही में कहा था कि रूस किसी भी हाल में उन देशों को तेल नहीं बेचेगा जो पश्चिमी प्राइस कैप के समर्थन में होंगे. रूसी डिप्टी पीएम ने आगे कहा कि चाहे कितना ही फायदा रूस को डील में हो रहा हो, तब भी प्राइस कैप के समर्थन करने वाले देशों के साथ सौदा नहीं किया जाएगा.  

दूसरी ओर, हाल ही में रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने भी इस मामले में बड़ा बयान दिया था. रूसी विदेश विभाग की प्रवक्ता मारिया ने कहा था कि पश्चिमी देशों का यह प्राइस कैप पूरी तरह से एंटी मार्केट यानी बाजार के नियमों के खिलाफ है. मारिया ने कहा कि प्राइस कैप को लागू करने का असर वैश्विक बाजार पर भी देखने को मिल सकता है जिसका असर सभी देशों के ऊपर होगा.

यूक्रेन युद्ध को लेकर पश्चिमी देशों के निशाने पर रूस

यूक्रेन से जंग लड़ रहे रूस को लगातार पश्चिमी देशों का दबाव भी झेलना पड़ रहा है. पश्चिमी देश रूस पर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध भी जारी कर चुके हैं. रूसी तेल पर प्राइस कैप का फैसला भी पुतिन सरकार को आर्थिक झटका देने के लिए लिया गया है. हालांकि रूस साफ कर चुका है कि उसे प्राइस कैप को लेकर कोई चिंता नहीं है, लेकिन पश्चिमी देशों का मानना है कि प्राइस कैप के जरिए रूस को झटका दिया जा सकता है.

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खास बात है कि यूक्रेन युद्ध के शुरू होने के बाद से ही रूस भारत को अपना तेल निर्यात कर रहा है. इस साल दिसंबर के आते-आते रूस ने भारत में तेल सप्लाई की मात्रा पहले महीने के मुकाबले काफी बढ़ा दी है और रूस अब भारत का मुख्य तेल निर्यातकों में से एक है. अमेरिका समेत अन्य पश्चिमी देश चाहते हैं कि भारत रूस से तेल न खरीदें लेकिन भारत अपनी विदेश नीतियों पर अडिग है. 

भारत इस युद्ध में भी तटस्थ भूमिका में है और लगातार कूटनीति और वार्ता के जरिए ही इस युद्ध को खत्म करने की अपील कर रहा है. 

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