वेटिकन में पोप फ्रांसिस का अंतिम संस्कार... 54 वैश्विक नेताओं समेत दो लाख लोगों ने दी श्रद्धांजलि

पोप फ्रांसिस ने स्वयं 'सरल समाधि' की इच्छा व्यक्त की थी, इसलिए उन्हें वेटिकन के भीतर नहीं, बल्कि रोम के बाहरी हिस्से में स्थित बेसिलिका दी सांता मारिया माज्जोरे में दफनाया जाएगा. इससे पहले के पोप सेंट पीटर्स बेसिलिका के नीचे दफनाए जाते रहे हैं.

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कैथोलिक चर्च के सबसे बड़े धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का अंतिम संस्कार वेटिकन में हुआ कैथोलिक चर्च के सबसे बड़े धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का अंतिम संस्कार वेटिकन में हुआ

aajtak.in

  • रोम,
  • 26 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 5:21 PM IST

कैथोलिक चर्च के सबसे बड़े धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का अंतिम संस्कार बड़े सम्मान और भावुक माहौल में हुआ. शनिवार को पोप का अंतिम संस्कार वेटिकन सिटी में स्थित सेंट पीटर्स स्क्वायर में हुआ. पूरी दुनिया से करीब 2 लाख लोग, जिनमें राष्ट्राध्यक्ष, शाही परिवारों के सदस्य और आम श्रद्धालु इसमें शामिल थे. 

लाल रंग की ड्रेस पहने कार्डिनल्स ने सेंट पीटर बेसिलिका में ताबूत को उठाया और दोहरी लाइन बनाई. फिर ताबूत को चौक पर ले जाया गया. जैसे ही ताबूत को उठाकर सेंट पीटर्स स्क्वायर में लाया गया, भीड़ ने जोरदार तालियों से पोप को अंतिम श्रद्धांजलि दी.

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पारंपरिक परंपरा से हटकर सरल समाधि की इच्छा

पोप फ्रांसिस ने स्वयं 'सरल समाधि' की इच्छा व्यक्त की थी, इसलिए उन्हें वेटिकन के भीतर नहीं, बल्कि रोम के बाहरी हिस्से में स्थित बेसिलिका दी सांता मारिया माज्जोरे में दफनाया जाएगा. इससे पहले के पोप सेंट पीटर्स बेसिलिका के नीचे दफनाए जाते रहे हैं.

पिछले तीन दिनों में 2.5 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने वेटिकन पहुंचकर पोप के दर्शन किए और शुक्रवार को सार्वजनिक दर्शन समाप्त होने से पहले उनकी अंतिम झलक पाई. इसके बाद पोप का ताबूत औपचारिक रूप से सील कर दिया गया.

विश्व नेताओं की उपस्थिति

पोप फ्रांसिस के अंतिम संस्कार में दुनिया भर के 54 राष्ट्राध्यक्ष और 12 शाही परिवारों के सदस्य पहुंचे. इनमें अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, ब्रिटेन के प्रिंस विलियम, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, स्पेन के राजा फेलिपे VI और रानी लेतिज़िया तथा ब्राज़ील के राष्ट्रपति लूला डा सिल्वा शामिल रहे. कई ऐसे नेता भी आए जो अपने विचारों में पोप फ्रांसिस से असहमति रखते थे, लेकिन इस अवसर पर एकजुट नजर आए.

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पहले लैटिन अमेरिकी पोप की विदाई

88 वर्षीय पोप फ्रांसिस, जो लैटिन अमेरिका से चुने गए पहले पोप थे, का निधन डबल निमोनिया से उबरने के दौरान स्ट्रोक के कारण हुआ. डॉक्टरों की सलाह के बावजूद, उन्होंने ईस्टर संडे के दिन हजारों अनुयायियों से मिलने का फैसला किया था. उस समय वह व्हीलचेयर पर थे और काफी कमजोर नजर आ रहे थे, लेकिन उन्होंने भीड़ को आशीर्वाद दिया.

पोप फ्रांसिस का निधन

21 अप्रैल को पोप फ्रांसिस का निधन हो गया. वह पिछले कुछ समय से किडनी के बीमारी से पीड़ित थे. उन्हें आखिरी दिनों में डबल निमोनिया हो गया था, जिसकी वजह से उनका स्वास्थ्य और गिर गया. कई दिनों तक वेंटिलेटर पर भी रखा गया था. हालांकि, 88 साल की उम्र में उनका निधन हो गया. पोप फ्रांसिस का असली नाम जॉर्ज मारियो बर्गोलियो था, जो कि 2013 में पोप बने थे.

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