पिछले कुछ वक्त से बीमार चल रहे पोप फ्रांसिस का सोमवार को निधन हो गया. उन्होंने 88 साल की उम्र में आखिरी सांस ली. सोमवार को जारी आधिकारिक मृत्यु प्रमाण पत्र के मुताबिक, वेटिकन के चिकित्सक डॉ. एंड्रिया आर्केंजेली ने पुष्टि की है कि पोप फ्रांसिस की मौत स्ट्रोक और अपरिवर्तनीय हृदय गति रुकने की वजह से हुई. वेटिकन द्वारा सार्वजनिक किए गए दस्तावेज़ में कहा गया है कि पोप अपनी मौक से पहले कोमा में चले गए थे.
अक्सर कोई धर्मगुरु या पोप अपना पूरा जीवन चर्च की सेवा में समर्पित कर देता है, लेकिन पोप फ्रांसिस की जिंदगी ऐसी नहीं थी. पेशेवर मोर्चे पर उनके जीवन में इतने उतार-चढ़ाव थे, जो किसी को भी हैरान कर देंगे. बहुत से लोगों को शायद ये मालूम न हो कि पोप फ्रांसिस ईसाइयों के सर्वोच्च धर्मगुरु होने से बहुत पहले नाइट क्लब में एक बाउंसर की जॉब भी कर चुके थे. तब वो पोप फ्रांसिस नहीं, बल्कि जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो के नाम से जाने जाते थे.
क्यों करनी पड़ी नाइट क्लब में बाउंसर की जॉब?
दरअसल, पोप फ्रांसिस का जन्म अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स के शहर में हुआ था. इसी जगह उन्होंने एक नाइट क्लब में बाउंसर की जॉब की थी. साल 2013 में एक इटैलियन न्यूजपेपर 'गजेटा डेल सुद' ने इस पर एक आर्टिकल भी छापा था. इसमें बताया गया था कि शुरुआत में पोप फ्रांसिस की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. और अपने विद्यार्थी जीवन में बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए एक नाइट क्लब में बाउंसर की जॉब की थी.
इसी वर्ष एक अमेरिका के एक बड़े समाचार पत्र ने भी पोप फ्रांसिस के शुरुआती जीवन को लेकर एक आर्टिकल छापा था. इसमें बताया गया था कि धर्मगुरु बनने से पहले पोप फ्रांसिस कौन-कौन सी नौकरियां कर चुके थे. रिपोर्ट के मुताबिक, पोप फ्रांसिस ने नाइट क्लब में जॉब के अलावा केमिकल लैब और स्कूल में पढ़ाने का भी काम किया. इतना ही नहीं, अपने संघर्ष के दिनों में पोप फ्रांसिस को सफाई कर्मचारी का भी काम करना पड़ा था.
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पोप फ्रांसिस ने इन सामाजिक मुद्दों को उठाया
साल 2013 में पोप बेनेडिक्ट (XVI) के इस्तीफे के बाद इतिहास में पहले लैटिन अमेरिका से कोई शख्स पोप बना. पोप फ्रांसिस ने थोड़े ही समय में अपनी साधारण जीवनशैली से पूरी दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींच लिया. उन्होंने हमेशा दूसरे धर्मों को सम्मान देने की भी बात कही. पोप फ्रांसिस ने एक दशक से भी ज्यादा समाज के कई अहम मुद्दों जैसे LGBTQ, जलवायु परिवर्तन और आर्थिक अस्थिरता पर भी खुलकर बात की. हालांकि उनके कुछ सुधारों को लेकर कई वर्गों ने उनका विरोध भी किया.
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