कोविड वैक्सीन को अनिवार्य बनाए जाने और लॉकडाउन को लेकर कनाडा में चल रहे प्रदर्शनों (Canada Anti Vaccine Protests) पर देश के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने गहरी आपत्ति जताई है और कहा है कि ये प्रदर्शन तुरंत रुकने चाहिए.
जस्टिन ट्रूडो की प्रदर्शनों को लेकर आपत्ति पर भारत में उन्हें घेरा जा रहा है. ट्रूडो ने भारत के किसान आंदोलन का समर्थन किया था और कहा था कि उनकी सरकार हमेशा से शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन का समर्थक रही है.
ऐसे में ट्रूडो अपने देश में चल रहे प्रदर्शनों को लेकर सख्ती दिखा रहे हैं, जिस पर भारत में लोग उन्हें घेर रहे हैं और कह रहे हैं कि ट्रूडो को भारत से माफी मांगनी चाहिए.
कनाडा में कोरोना वैक्सीन को अनिवार्य किए जाने और लॉकडाउन के खिलाफ हजारों की संख्या में ट्रक ड्राइवर अपने ट्रक लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. इससे राजधानी ओटावा सहित ओंटारियो के शहर विंडसर में जाम है और जन-जीवन ठप पड़ा है.
कनाडा के पीएम ने वैक्सीन विरोधी प्रदर्शन को बताया अस्वीकार्य
इसे लेकर कनाडा के पीएम ने कहा है कि ये अस्वीकार्य है और इसे तुरंत रोका जाना चाहिए. उन्होंने संसद (House Of Commons) में बोलते हुए कहा, 'नाकाबंदी, अवैध प्रदर्शन अस्वीकार्य हैं. ये बिजनेस और उत्पादकों का नुकसान कर रहे हैं. हमें प्रदर्शन को खत्म करने के लिए सब कुछ करना चाहिए.'
ट्रूडो ने सोशल मीडिया के जरिए भी प्रदर्शनों को लेकर कड़ी आपत्ति जाहिर की. एक ट्विट में उन्होंने लिखा, 'विंडसर और ओटावा में नाकेबंदी नौकरियों को खतरे में डाल रही है, बिजनेस में रुकावट बन रही है, अर्थव्यवस्था को खतरे में डाल रही है और हमारे लोगों के लिए मुश्किल पैदा कर रही है. उन्हें (प्रदर्शनकारियों को) रुकना चाहिए. मैंने इसके बारे में ओंटारियो के प्रीमियर डग फोर्ड से बात की है. हमारी टीमें ओंटारियावासियों का समर्थन करने और स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए काम करती रहेंगी.'
ट्रूडो ने एक और ट्वीट में लिखा, 'कनाडा के लोगों को विरोध करने, अपनी सरकार से असहमत होने और अपनी आवाज उठाने का अधिकार है. हम हमेशा उस अधिकार की रक्षा करेंगे. लेकिन मैं स्पष्ट कर दूं कि प्रदर्शनकारियों को हमारी अर्थव्यवस्था, हमारे लोकतंत्र, या हमारे साथी नागरिकों के दैनिक जीवन में बाधा डालने का अधिकार नहीं है. इसे रोकना होगा.'
भारत में घिरे ट्रूडो
ट्रूडो की इन प्रतिक्रयाओं पर भारत ने लोग उन्हें घेर रहे हैं. भारत के पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने ट्रूडो के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए लिखा है कि जब अपने पर पड़ी तब ट्रूडो को समझ आ रहा है.
उन्होंने ट्वीट में लिखा, 'किसान आंदोलन के दौरान लोगों के दैनिक जीवन में बाधा उत्पन्न करना भारत में लोकतंत्र और शांतिपूर्ण विरोध का अच्छा उदाहरण था लेकिन कनाडा में नहीं. उस समय हमारे आंतरिक मामलों में दखल देना ट्रूडो की अपरिपक्वता और उकसावे वाली बात थी. अब जब अपने देश में ही ऐसा हो रहा है तो ट्रूडो को बुरा लग रहा है.'
भारतीय लेखक अश्विन सांधी ने भी ट्रूडो के हालिया बयान पर उनके पिछले बयान की याद दिलाई है जब उन्होंने किसान आंदोलन का समर्थन किया था. उन्होंने अपने एक ट्वीट में लिखा, 'ट्रूडो ने 2020 में किसान आंदोलन को लेकर कहा था- कनाडा दुनिया भर में कहीं भी शांतिपूर्ण विरोध के अधिकार के लिए हमेशा खड़ा रहेगा.'
सोशल मीडिया पर और लोग भी ट्रूडो के बयान पर उन्हें निशाना बना रहे हैं. Covfefe नाम के एक यूजर ने लिखा, 'आशा करता हूं कि कनाडा में भारतीय दूतावास प्रदर्शनकारियों को समर्थन देने में अपना श्रेष्ठ दे रहा होगा.'
जॉय गोगोई नाम के एक यूजर ने ट्रूडो पर तंज कसते हुए लिखा, 'कर्मा.' इकोनॉमिस्ट बैंकर नाम के एक हैंडल से ट्वीट किया गया, 'जस्टिन ट्रूडों काफी अपरिपक्व हैं और वो इन प्रदर्शनों से भड़क गए हैं. उन्हें भारत के आंतरिक मामलों में अपने गैर-जरूरी हस्तक्षेप को एक लोकतांत्रिक देश के प्रधानमंत्री होने के नाते वापस ले लेना चाहिए.'
बिपिन शाह नाम के एक यूजर ने लिखा, 'अब तक तो ट्रूडो को हमारे आंतरिक मामलों में दखल देने की अपनी अपरिपक्वता और मूर्खता का एहसास हो जाना चाहिए था. और अगर वो ईमानदार हैं, तो उन्हें इसके लिए माफी मांगनी चाहिए.'
निधिपति सिंघानिया नाम के यूजर ने लिखा, 'वो भूल गए थे कि जब आप दूसरों पर उंगली उठाते हैं, तो आपकी ही तीन उंगलियां आपकी तरफ इशारा करती हैं.'
किसान आंदोलन को लेकर क्या कहा था ट्रूडो ने?
नवंबर 2020 में जस्टिन ट्रूडो ने गुरु नानक देव की जयंती पर सिखों के लिए एक ऑनलाइन संदेश में कहा था कि अगर वो भारत में चल रहे किसान आंदोलन को नोटिस नहीं करेंगे तो ये उनकी लापरवाही होगी.
अपने बयान में उन्होंने कहा था, 'स्थिति चिंताजनक है. हम प्रदर्शन कर रहे किसानों के परिवारों और दोस्तों के लेकर चिंतित हैं. हम जानते हैं कि आप में से कई लोग इससे गुजर रहे हैं. मैं आपको याद दिला दूं कि शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के अधिकारों की रक्षा के लिए कनाडा हमेशा मौजूद रहेगा. हम बातचीत की प्रक्रिया में विश्वास करते हैं. हम अपनी इन चिंताओं को लेकर भारतीय अधिकारियों से बात कर रहे हैं. ये समय हम सभी के साथ होने का है.'
ट्रूडो के इस बयान पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई थी. विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा था, 'विदेश मंत्रालय ने कनाडा के उच्चायुक्त को तलब किया और उन्हें कनाडा के प्रधानमंत्री, मंत्रिमंडल के कुछ मंत्रियों और सांसदों की भारतीय किसानों से जुड़ी टिप्पणी के बारे में बताया. ये हमारे आंतरिक मामलों में अस्वीकार्य दखल है.'
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