'मुस्लिम देशों की चुप्पी...', अरब देशों पर भड़के फिलीस्तीनी

इजरायल और हमास में जारी जंग के बीच फिलिस्तीनी-कनाडाई नागरिक डॉ. इजेल्डिन अबुएलैश ने अरब देशों पर निशाना साधते हुए कहा है कि पिछले कुछ महीनों में इजरायल द्वारा गाजा में हमले से भीषण तबाही और कई मौतें हुईं हैं. लेकिन इन सबके बीच जो चीजें फिलिस्तीनियों को सबसे ज्यादा आहत करती है वह है मिडिल ईस्ट में उनके मुस्लिम भाइयों की चुप्पी.

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फिलिस्तीनी-कनाडाई नागरिक डॉ. इज़ेल्डिन अबुएलैश (फाइल फोटो-washington.edu) फिलिस्तीनी-कनाडाई नागरिक डॉ. इज़ेल्डिन अबुएलैश (फाइल फोटो-washington.edu)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 28 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 5:37 PM IST

हमास और इजरायल में जारी खूनी जंग के बीच फिलिस्तीन में स्थिति खराब होती जा रही है. गाजा में सीजफायर के लिए जहां फ्रांस, कतर और मिस्र में कई कई दौर की बातचीत हुई हैं. वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने उम्मीद जताई है कि अगले सोमवार तक इजरायल-हमास संघर्ष में युद्धविराम हो जाएगा. इसी बीच फिलिस्तीनी-कनाडाई नागरिक डॉ. इजेल्डिन अबुएलैश ने अरब देशों पर निशाना साधा है. 

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पाकिस्तानी न्यूज वेबसाइट 'द डॉन' को दिए इंटरव्यू में इजेल्डिन अबुएलैश ने कहा है, "पिछले कुछ महीनों में इजरायल द्वारा गाजा में हमले से भीषण तबाही और कई मौतें हुई हैं. लेकिन इन सबके बीच जो चीजें फिलिस्तीनियों को सबसे ज्यादा आहत करती है, वह है मिडिल ईस्ट में उनके मुस्लिम भाइयों की निष्क्रियता और चुप्पी. कुछ अरब देशों की चुप्पी और कभी-कभी मिलीभगत को देखना निराशाजनक है. यह गलत है कि वे खुद को फिलिस्तीनियों के खतरों से अलग करके देखते हैं."  

तीन बेटियों को खो चुके हैं अबुएलैश

जबालिया शरणार्थी शिविर में जन्मे फिलिस्तीनी-कनाडाई डॉ. इज़ेल्डिन अबुएलैश आगे कहते हैं, "वह इस त्रासदी से अनजान नहीं हैं. जब मेरी पत्नी की ल्यूकेमिया से मृत्यु हो गई. उसके कुछ ही महीनों के बाद एक इजरायली टैंक ने गाजा में उनके घर को तबाह कर दिया. इस हमले में मैंने अपनी तीन बेटियों को खो दिया. जब भी मैं वापस गाजा जाता हूं तो सबसे पहले मैं अपनी बेटियों की कब्रों पर जाता हूं ."

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नोबेल शांति पुरस्कार के लिए कई बार नॉमिनेट हो चुके डॉ अबुएलेश कहते हैं कि बाद में हमने गाजा छोड़ दिया और अब टोरंटो विश्वद्यालय में स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में प्रोफेसर हूं. इस दुनिया से मुझे अभी भी उम्मीद है, लेकिन उम्मीद सिर्फ एक शब्द नहीं है. इसके लिए विश्वास और उस पर काम करने की जरूरत होती है. हम सिर्फ चीजों के बदलने का इंतजार नहीं कर सकते हैं. परिवर्तन लाने के लिए हमें एक्टिव रूप से काम करने की जरूरत है."

परिवार के 22 लोगों ने जान गंवाई

अबुएलेश आगे लिखते हैं, "7 नवंबर को भी एक इजरायली हवाई हमले में उनके घर पर हमला किया गया. इस हमले में हमारे रिश्तेदार जो जबालिया शरणार्थी शिविर में शरण लिए हुए थे, जिसमें चचेरे भाई, भतीजे और भतीजियों सहित परिवार के 22 लोग मारे गए. हालांकि, हमारा परिवार वहीं रहने के निर्णय पर दृढ़ है. हम दोबारा विस्थापित होने से इनकार करते हैं. क्योंकि छोड़ना विकल्प नहीं है."

अबुएलैश आगे कहते हैं, "नफरत विनाशकारी और संक्रामक है. वह दिखता है. यह कोई फिलिंग या इमोशन नहीं बल्कि एक बीमारी है. नफरत एक जहर है जो तर्क के साथ सोचने से रोकता है." 

अबुएलैश ने वैश्विक समुदाय के नरम रवैये पर भी निराशा व्यक्त की. उन्होंने कहा कि गाजा पर इजरायली बमबारी और नाकाबंदी वैश्विक समुदाय के नरम रवैया का परिणाम है. निर्दोष फिलिस्तीनियों की मौत के लिए वैश्विक समुदाय भी जिम्मेदार है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय की विफलता को देखना निराशाजनक है.  

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