इस देश में गाय समेत पशुओं की डकार पर किसानों को देना होगा टैक्स, ये है वजह

पचास लाख की आबादी वाले न्यूजीलैंड में लगभग एक करोड़ मवेशी हैं. न्यूजीलैंड सरकार ने देश में मवेशियों के डकार पर टैक्स लगाया है. यह टैक्स किसानों से वसूला जाएगा. कहा जाता है कि डकार में मीथेन गैस होती है, जो एक ग्रीनहाउस गैस है.

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मवेशियों की डकार पर टैक्स! मवेशियों की डकार पर टैक्स!

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 09 जून 2022,
  • अपडेटेड 11:31 PM IST
  • न्यूजीलैंड में मवेशियों की डकार पर लगेगा टैक्स
  • किसानों को भरना होगा यह टैक्स
  • देश की पचास लाख आबादी पर एक करोड़ मवेशी

न्यूजीलैंड दुनिया का पहला देश बनने जा रहा है, जहां गाय सहित मवेशियों के डकारने पर किसानों से टैक्स वसूला जाएगा.

ग्लोबल वॉर्मिंग के लिए जिम्मेदार ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन पर लगाम लगाने के लिए यह कदम उठाया गया है.

कहा जा रहा है कि मवेशियों की डकार से ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन होता है, जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है. इसके लिए न्यूजीलैंड के पर्यावरण मंत्रालय ने बकायदा एक ड्राफ्ट तैयार किया है, जिसे बुधवार को जारी किया गया.

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इस योजना के लागू होने पर किसानों को अपने मवेशियों की डकार पर टैक्स देना होगा. 

पचास लाख की आबादी वाले न्यूजीलैंड में लगभग एक करोड़ मवेशी हैं, जिनमें से 2.6 लाख भेड़ें हैं.

न्यूजीलैंड के किसानों को 2025 से मवेशियों की डकारों से हुए गैस उत्सर्जन के लिए टैक्स देना होगा.

न्यूजीलैंड में कुल जितना ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन होता है, उसमें से लगभग आधा कृषि से होता है. कृषि से जिन ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन होता है, उसमें मुख्य मीथेन गैस है.

इससे पहले देश की उत्सर्जन ट्रेडिंग योजना से कृषि उत्सर्जन को बाहर कर दिया गया था, जिससे सरकार की काफी किरकिरी हुई थी.

यह योजना सरकार और कृषि समुदायों के प्रतिनिधियों की ओर से पेश की गई है. इसके तहत किसानों को 2025 से अपने गैस उत्सर्जन के लिए टैक्स देना होगा.

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कुछ गैसें ऐसी होती हैं, जो वायुमंडल में लंबे समय तक रहती है जबकि कुछ कम समय तक ही रहती हैं. इस तरह गैसों के उत्सर्जन की अवधि के अनुसार टैक्स लगेगा.

न्यूजीलैंड के क्लाइमेट चेंज मंत्री जेम्स शॉ ने कहा, इसमें कोई शक नहीं है कि जो मीथेन गैस वायुमंडल में छोड़ी जा रही है, उस पर टैक्स लगेगा. इसके लिए कृषि पर एक प्रभावी एमिशन प्राइसिंग सिस्टम की अहम भूमिका होगी.  

सरकार के इस प्रस्ताव में उन किसानों के लिए इंसेंटिव भी हैं, जो ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने में मदद करेंगे. इस योजना के जरिये वसूले गए टैक्स को किसानों के लिए रिसर्च, विकास और सलाहकार सेवाओं में लगाया जाएगा.

प्राइमरी सेक्टर पार्टनरशिप ही वाका एके नोआ के चेयरमैन माइखल एही ने कहा, हमारा लक्ष्य भावी पीढ़ियों के लिए खाने और फाइबर के उत्पादन को बनाए रखना है. इसके लिए हमें क्लाइमेट का खास ध्यान भी रखना होगा. 

वहीं, एन्ज बैंक के कृषि अर्थशास्त्री सुजन किल्सबी का कहना है, यह प्रस्ताव 1980 के दशक के बाद से कृषि क्षेत्र को होने वाला सबसे बड़ा नुकसान होगा. 1980 के दशक में देश में कृषि क्षेत्र से सब्सिडी हटा दी गई थी. 

इस योजना पर अंतिम फैसला दिसंबर में हो सकता है.

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बता दें कि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कृषि क्षेत्र की बड़ी भूमिका है. कहा जाता है कि डकार में मीथेन गैस होती है, जो एक ग्रीनहाउस गैस है.

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