न्यूजीलैंड को नहीं मिल रहे रूसी जासूस, कहा- मिल गए तो निकाल देंगे

ब्रिटेन का उपनिवेश रह चुका और लंदन के करीबी सहयोगी माने जाने वाले न्यूजीलैंड ने सैद्धांतिक समर्थन की पेशकश की, लेकिन स्वीकार किया कि देश में रूसी जासूसों की गतिविधियां नहीं के बराबर है. इसका मतलब यह हुआ कि वह इस मामले में ज्यादा कुछ नहीं कर सकता.

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न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा आर्डर्न न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा आर्डर्न

परमीता शर्मा

  • वेलिंगटन,
  • 27 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 1:02 PM IST

न्यूजीलैंड ने सोमवार को कहा कि ब्रिटेन में एक पूर्व जासूस को कथित तौर पर जहर देने के मामले में कार्रवाई करते हुए वह रूसी जासूसों को देश से निकालना चाहता है, लेकिन उसे अपने देश में कोई रूसी जासूस मिल ही नहीं रहा. पूर्व जासूस सर्गेई स्क्रिपल और उनकी बेटी यूलिया पर सैलिसबरी में हुए नर्व एजेंट हमले के विरोध में अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और विभिन्न यूरोपीय देशों ने कई रूसी राजनिकों को निष्कासित करने के आदेश जारी किए हैं.

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ब्रिटेन का उपनिवेश रह चुका और लंदन के करीबी सहयोगी माने जाने वाले न्यूजीलैंड ने सैद्धांतिक समर्थन की पेशकश की, लेकिन स्वीकार किया कि देश में रूसी जासूसों की गतिविधियां नहीं के बराबर है. इसका मतलब यह हुआ कि वह इस मामले में ज्यादा कुछ नहीं कर सकता.

प्रधानमंत्री जेसिंडा आर्डर्न ने सरकारी रेडियो को बताया,'हमने न्यूजीलैंड में जांच की है. हमारे यहां रूस के अघोषित खुफिया अधिकारी नहीं हैं. अगर हमें रूसी जासूस मिलेंगे तो हम उन्हें निष्कासित कर देंगे'. उन्होंने कहा, 'जब कई अंतरराष्ट्रीय हित हों, तो मुझे हैरत होती है कि न्यूजीलैंड उनकी लिस्ट में शीर्ष पर नहीं है? वास्तव में, नहीं'

प्रधानमंत्री ने कहा कि न्यूजीलैंड इस बात की समीक्षा करता रहेगा कि सैलिसबरी में हुए हमले के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का समर्थन करने के लिए और क्या कार्रवाई की जा सकती है. रूस ने पूर्व जासूस पर हुए हमले में अपना हाथ होने से इनकार किया है. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ब्रिटेन और उसके सहयोगी देशों के इन आरोपों को बेतुका बताते हुए खारिज कर दिया था कि चार मार्च को स्क्रिपल (66) और उनकी बेटी यूलिया (33) पर ब्रिटेन के सैलिसबरी में हुए केमिकल अटैक के पीछे रूस का हाथ है.

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बता दें कि रूस के सेवानिवृत सैन्य खुफिया अधिकारी स्क्रिपल को ब्रिटेन के लिए जासूसी करने के आरोप में रूस ने वर्ष 2006 में 13 वर्ष की सजा सुनाई थी. हालांकि, बाद में उन्हें माफी मिल गई थी और ब्रिटेन ने उन्हें नागरिकता दे दी थी. वह तब से ब्रिटेन में ही रह रहे हैं.

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