अपने देश से भाग तुर्की में क्यों बस रहे फ्रांस के मुसलमान?

फ्रांस में कथित रूप से भेदभाव का शिकार होनेवाले मुसलमान अपना देश छोड़कर तुर्की जैसे देशों में बस रहे हैं. इमैनुएल मैक्रों सरकार पर मुसलमानों से भेदभाव के आरोप लगते रहे हैं. पिछले कुछ सालों में फ्रांस में कट्टरवाद बढ़ा है जिससे निपटने के लिए सरकार कदम उठा रही है. सरकार के कई कदमों की आलोचना भी हो रही है.

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फ्रांस के कई मुसलमान तुर्की में बस रहे हैं (Photo- Reuters) फ्रांस के कई मुसलमान तुर्की में बस रहे हैं (Photo- Reuters)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 18 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 2:13 PM IST
  • फ्रांस के कई मुसलमान छोड़ रहे देश
  • तुर्की बना फ्रांसीसी मुसलमानों का पसंदीदा जगह
  • फ्रांस में कथित रूप से भेदभाव का सामना कर रहे मुसलमान

फ्रांस में मुसलमानों के खिलाफ कथित नस्लवाद और भेदभाव के कारण मुसलमान देश छोड़कर जा रहे हैं. देश छोड़ रहे मुसलमानों के लिए तुर्की सबसे आकर्षक देश बन गया है. ये दावा फ्रांसीसी अखबार ले जर्नल डु डिमांचे (Le Journal du Dimanche) की एक रिपोर्ट में किया गया है.

बुधवार को अखबार में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया, 'उत्तरी अफ्रीकी मूल के कई योग्य युवा फ्रांसीसी खाड़ी देशों में बसे हुए हैं, लेकिन आधुनिक और पारंपरिक तुर्की उनके बीच अब तेजी से लोकप्रिय हो रहा  है.'

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बत्तीस वर्षीय थिबॉल्ट फ्रांस में बेकरी का काम करते थे. वो पहले फ्रांस छोड़कर बोस्निया और हर्जेगोविना गए लेकिन बाद में नॉर्वे में रहने लगे. आखिर में वो तुर्की आए और एक साल से अधिक समय से वो अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ तुर्की की राजधानी इस्तांबुल में बसे हुए हैं.

तुर्की के सरकारी ब्रॉडकास्टर टीआरटी वर्ल्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दंपति ने पहले मिस्र या मोरक्को जाने के बारे में सोचा लेकिन अंत में तुर्की को प्राथमिकता दी क्योंकि इसकी संस्कृति उनकी जीवन शैली से काफी मिलती-जुलती है.

फॉसिल महानी भी साल 2019 में तुर्की के शहर एंटिल्या में आकर बसे थे. महानी एक यूट्यूब इंफ्लुएंसर हैं. उनका कहना है तुर्की की संस्कृति यूरोपीय और मध्य-पूर्व की संस्कृति का मिश्रण है और इसी बात ने उन्हें तुर्की में रहने के लिए आकर्षित किया.

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मूल रूप से पूर्वी फ्रांस के डिजॉन शहर के रहने वाले डेविड बिजेट ने कुछ समय पहले इस्लाम कबूल किया और उसके बाद वो साल 2019 में तुर्की आकर यहीं बस गए. डेविड ने यहां आकर एक फेसबुक ग्रुप, इमिग्रेशन टू तुर्की (Immigration To Turkey) बनाया है.

फ्रांसीसी अखबार की रिपोर्ट में डेविड की एक हालिया पोस्ट के हवाले से लिखा गया है, 'मुझे हर हफ्ते तुर्की में बस चुके या तुर्की में रहने के लिए आनेवाले फ्रांसीसियों का मैसेज मिलता है.'

फ्रांस पर पिछले कुछ समय से आरोप लगते हैं कि वहां मुसलमानों के साथ वैसा व्यवहार नहीं होता जैसा कि ईसाइयों के साथ होता है. फ्रांस में पिछले कुछ सालों में इस्लाम के कट्टरपंथियों के हमले बढ़े हैं. इमैनुएल मैक्रों सरकार देश में बढ़ते कट्टरवाद पर नकेल कसने के लिए कई कड़े कदम उठा रही है. हाल के वर्षों में कट्टर इस्लाम का हवाला देकर कई मस्जिदों और इस्लामिक संगठनों को बंद कर दिया गया है.

फ्रांस में 10 अप्रैल को राष्ट्रपति चुनाव होने हैं, इसी बीच मैक्रों सरकार इस्लाम के लिए एक नया फोरम लेकर आई है जिसकी खूब आलोचना भी हुई है. फ्रांस ने कुछ दिनों पहले इस्लामी चरमपंथ से निपटने के लिए एक नया निकाय 'The Forum Of Islam' बनाया है. फ्रांसीसी सरकार का कहना है कि इसके जरिए देश में इस्लाम को फिर से आकार दिया जाएगा. 

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मुसलमान इस फोरम को लेकर नाराज हैं और उनका कहना है कि उनके धर्म को सीमित करने का ये मैक्रों सरकार का एक और प्रयास है. आलोचकों का कहना है कि चुनावों से पहले इस फोरम की घोषणा कर मैक्रों दक्षिणपंथी वोटरों को आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं. 

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