सिंगापुर दे रहा साथ... क्या बन जाएगी मलक्का स्ट्रेट में पेट्रोलिंग की बात? जानिए भारत के लिए क्यों अहम है ये समुद्री रास्ता

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिंगापुर के पीएम लॉरेंस वोंग से मुलाकात की है. मुलाकात में उन्होंने मलक्का स्ट्रेट में भारत की पेट्रोलिंग की कोशिशों का समर्थन किया.

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भारत और सिंगापुर ने समुद्री क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई है (Photo: DPR/PMO) भारत और सिंगापुर ने समुद्री क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई है (Photo: DPR/PMO)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 05 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 7:13 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को सिंगापुर के पीएम लॉरेंस वोंग से मुलाकात की जिस दौरान दोनों देशों के बीच कई अहम मुद्दों पर सहमति बनी. सिंगापुर के पीएम ने मलक्का स्ट्रेट ((Strait of Malacca)) के गश्ती दल में शामिल होने की भारत की कोशिशों का समर्थन किया. अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिहाज से मलक्का स्ट्रेट भारत के लिए बेहद अहम है और भारत इसकी पेट्रोलिंग में शामिल होने का इच्छुक है. इस संबंध में पीएम मोदी ने सिंगापुर के पीएम से बात की और उन्होंने भारत की इस कोशिश में साथ देने की बात कही.

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बैठक के बाद एक संयुक्त बयान जारी किया गया जिसमें कहा गया कि सिंगापुर और भारत ने 'क्वांटम कंप्यूटिंग, एआई, ऑटोमोशन और मानवरहित जहाजों' में डिफेंस टेक्नोलॉजी सहयोग को गहरा करने पर सहमति जताई.

बातचीत में तय हुआ कि दोनों पक्ष समुद्री सुरक्षा बढ़ाने, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में पनडुब्बी बचाव और हिंद-प्रशांत महासागर पहल में भी सहयोग करेंगे. बयान में आगे कहा गया है कि सिंगापुर मलक्का स्ट्रेट पेट्रोलिंग में भारत की दिलचस्पी की सराहना करता है.

विदेश मंत्रालय में सचिव (ईस्ट) पी. कुमारन ने कहा कि भारत अंडमान सागर से नजदीकी के कारण मलक्का स्ट्रेट में पेट्रोलिंग में दिलचस्पी रखता है. उन्होंने आगे कहा कि इस पर अभी बातचीत चल रही है. इस स्ट्रेट में फिलहाल मलेशिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड और सिंगापुर पेट्रोलिंग करते हैं.

उन्होंने कहा, 'भारत को उम्मीद है कि मलक्का स्ट्रेट पेट्रोलिंग दल में शामिल वर्तमान देशों और भारत के बीच तालमेल बिठाने के लिए कोई रास्ता निकाला जाएगा.'

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मलक्का स्ट्रेट क्या है?

मलक्का स्ट्रेट दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण और व्यस्त समुद्री रास्तों में से एक है. यह एक संकरा समुद्री रास्ता है, जो हिंद महासागर को प्रशांत महासागर से जोड़ता है. यह इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप और मलेशिया प्रायद्वीप के बीच फैला है जो आगे जाकर सिंगापुर स्ट्रेट में मिल जाता है.

मलक्का स्ट्रेट की लंबाई लगभग 930 किलोमीटर है और इसकी चौड़ाई की बात करें तो, कुछ जगहों पर यह सिर्फ 2.8 किलोमीटर चौड़ा है.

वैश्विक व्यापार में मलक्का स्ट्रेट की अहमियत इतनी ज्यादा है कि इसे 'मरिन सिल्क रूट' भी कहा जाता है. हर साल 90,000 से ज्यादा जहाज इस रास्ते से गुजरते हैं. वैश्विक तेल आपूर्ति का लगभग 25% इसी समुद्री रास्ते से होकर जाता है. दुनिया का लगभग 40% समुद्री व्यापार इसी रास्ते से होता है.

भारत के लिए मलक्का स्ट्रेट क्यों अहम है?

भारत के लिए मलक्का स्ट्रेट रणनीतिक और आर्थिक दोनों नजरिए से बेहद अहम है. भारत का 90% से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय व्यापार समुद्र के रास्ते होता है और उसमें से लगभग 55-60% व्यापार मलक्का स्ट्रेट से होकर गुजरता है.

भारत का कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, दवाइयां, इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य सामान इसी रास्ते से आते हैं. भारत अपनी ऊर्जा आपूर्ति के लिए इस रास्ते पर बहुत अधिक निर्भर है.

भारत इस रास्ते में पेट्रोलिंग की इच्छा इसलिए रखता है क्योंकि यह अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के बेहद नजदीक है. पेट्रोलिंग से भारत को यह फायदा है कि वो अपनी नौसेना और वायुसेना के जरिए मलक्का स्ट्रेट की गतिविधियों पर नजर रख सकता है और जरूरत पड़ने पर चोकपॉइंट ब्लॉकेड कर सकता है.

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इस स्ट्रेट में पेट्रोलिंग करने की भारत की इच्छा के पीछे एक बड़ा फैक्टर चीन भी है. भारत के सभी पड़ोसी देशों में चीन ने गहरी पैठ बना ली है और अपने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के जरिए उनके बंदरगाहों में निवेश किया है. चीन ने पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट, श्रीलंका के हंबनटोटा पोर्ट, और म्यांमार के क्यौकप्यू पोर्ट में खूब पैसा लगाया है. 

चीन की इस रणनीति को 'स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स' कहा जाता है, जिससे भारत को चारों तरफ से घेरने की कोशिश होती है. मलक्का स्ट्रेट पर मजबूत पकड़ बनाकर भारत चीन के इस प्रभाव को संतुलित कर सकता है. 

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