मलेशिया की सर्वोच्च अदालत ने केलंतन राज्य में शरिया कानून के विस्तार पर रोक लगा दी है. कोर्ट के इस फैसले ने मलेशिया के लिबरल और रूढ़िवादी मुसलमानों के बीच एक बहस छेड़ दी है. शरिया कानून के विस्तार पर रोक लगने से भड़के कट्टपंथियों ने याचिकाकर्ताओं को जान से मारने की धमकी दी है और उन्हें 'इस्लाम की पवित्रता' के लिए खतरा बताया है.
दरअसल, बीते शुक्रवार को मलेशिया की सर्वोच्च अदालत ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा था कि आपराधिक कृत्य पहले से ही फेडरल पावर के अंतर्गत आते हैं. ऐसे में केलंतन राज्य सरकार शरिया कानून का विस्तार करते हुए आपराधिक कृत्यों को इसमें शामिल नहीं कर सकती है. आलोचकों का तर्क है इस फैसले से देश के शरिया कानून पर असर पड़ सकता है.
शरिया कानून इस्लाम की कानूनी व्यवस्था है. शरिया कानून में अपराध को तीन श्रेणियों- 'हुदुद', 'किसस' और 'ताजीर' में बांटा गया है.
केलंतन राज्य ने 2021 में किया था शरिया कानून का विस्तार
मलेशियाई कल्चर को लेकर आए दिन बढ़ते विवादों के बीच केलंतन राज्य विधानसभा ने 2021 में राज्य के शरिया कानून में संशोधन बिल पारित किया था. इस बिल के तहत शरिया कानून का विस्तार करते हुए आपराधिक कृत्यों को भी इसमें शामिल कर दिया गया.
संशोधित किए गए शरिया कानून के बाद शरिया क्रिमिनल कोड के तहत राज्य सरकार को सोडोमी, धार्मिक गतिविधियों को अपवित्र करने, बुराई करने या दुराचार करने जैसे अपराधों के लिए कार्रवाई करने और दंडित करने का अधिकार मिल गया.
राज्य सरकार यह कानून नहीं बना सकतीः सर्वोच्च न्यायालय
साल 2022 में निक एलिन निक अब्दुल रशीद और उनकी बेटी तेंगकू यास्मीन नताशा ने राज्य सरकार द्वारा शरिया कानून में किए गए संशोधन को सर्वोच्च अदालत में चुनौती दी. दायर याचिका में कहा गया कि संघीय शक्तियों के तहत आने वाले कानून को राज्य सरकार नहीं बना सकती है.
शुक्रवार को सर्वोच्च अदालत की नौ सदस्यीय पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि राज्य के पास कानून बनाने की शक्ति नहीं है. संघीय संविधान में यह स्पष्ट किया गया है कि कानून बनाने की शक्ति संसद के अधिकार क्षेत्र में है.
सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तेंगुक मैमुन तुआन मैट ने निक एलिन और यास्मीन के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि केलंतन राज्य की विधायिका ने संघीय क्षेत्राधिकार का उल्लंघन किया है. न्यायालय ने केलंतन शरिया कोड के 18 में से 16 कानूनी प्रावधानों को रद्द कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार बचे हुए दो कानूनों को लागू कर सकती है.
याचिकाकर्ता पर भड़के कट्टरपंथी
शरिया कानून के विस्तार पर लगी रोक से नाराज कट्टरपंथी तेंगकू यास्मीन नताशा और उनकी मां को 'इस्लाम की पवित्रता' के लिए खतरा बता रहे हैं. नताशा ने कट्टरपंथियों पर पलटवार करते हुए कहा है कि हमें इस्लाम और मलेशिया में इस्लाम की पवित्रता के लिए खतरा बताया जा रहा है. विरोधियों द्वारा हमारे खिलाफ चलाए जा रहे कैंपेन और आरोप में कोई जान नहीं है.
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