पाकिस्तान: लाहौर बना दुनिया का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर, फैसलाबाद की हवा सबसे जहरीली

लाहौर 396 AQI के साथ दुनिया का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर बन गया है. पाकिस्तान के पंजाब में फैसलाबाद (571 AQI) और गुजरांवाला की हवा सबसे जहरीली है. औद्योगिक गतिविधियों की वजह से कई जगहों पर स्थिति गंभीर हुई है.

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पाकिस्तान के पंजाब में हवा की गुणवत्ता अत्यंत खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है (Photo- ITG) पाकिस्तान के पंजाब में हवा की गुणवत्ता अत्यंत खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है (Photo- ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 16 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 5:55 PM IST

पाकिस्तान में वायु प्रदूषण गंभीर रूप ले चुका है, जहां लाहौर शनिवार को 396 AQI (वायु गुणवत्ता सूचकांक) रीडिंग के साथ दुनिया का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर बन गया है. ARY न्यूज़ की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के विभिन्न हिस्सों में हवा की गुणवत्ता अत्यंत खतरनाक बनी हुई है.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान में फैसलाबाद की हवा सबसे ज्यादा जहरीली है, जहां AQI रीडिंग 571 दर्ज की गई, जबकि गुजरांवाला 570 के स्तर के साथ दूसरे स्थान पर रहा. लाहौर का AQI स्तर 396 और मुल्तान का 257 दर्ज किया गया.

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पिछले साल भी सर्दियों की शुरुआत के साथ ही पाकिस्तान का पंजाब प्रांत वायु प्रदूषण और धुंध (स्मॉग) की चपेट में आ गया था. उस समय लाहौर में प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा स्वच्छ माने जाने वाले स्तर से 80 गुना अधिक हो गया था. यह जहरीली धुंध कम ग्रेड वाले डीजल के धुएं, मौसमी कृषि कचरा जलाने और गिरते तापमान के कारण उत्पन्न होती है.

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स्वास्थ्य संकट और सरकारी प्रयास
सरकारी अधिकारियों ने इस जहरीले प्रदूषण के दुष्प्रभावों से आम जनता को बचाने के लिए स्कूलों को बंद करने और बाजारों व अन्य व्यवसायों के समय को सीमित करने जैसे प्रयास किए थे. डॉन की रिपोर्ट में बताया गया कि कई अन्य शहरी केंद्रों में भी AQI 300 से ऊपर दर्ज किया गया, जिसके बाद अधिकारियों ने लोगों को बाहर कम निकलने, मास्क पहनने और खिड़कियां बंद रखने की चेतावनी दी थी.

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 प्रदूषण की मेन वजह
ह्यूमन राइट्स वॉच की एक रिपोर्ट के अनुसार, लाहौर में प्रदूषण बिगड़ने के कई कारण हैं. इनमें जंगलों का कटान, कृषि भूमि को कंक्रीट संरचनाओं से बदलना, फसलों को जलाना शामिल है. इसके अलावा ट्रांसपोर्ट, अपशिष्ट, बिजली उत्पादन और अन्य औद्योगिक गतिविधियों के लिए जीवाश्म ईंधन को जलाना भी वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर के लिए जिम्मेदार है.

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