पाकिस्तान अगर अंतरराष्ट्रीय कोर्ट गया, तो PoK से धोना पड़ेगा हाथ!

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के उपाध्यक्ष जितेंद्र मोहन शर्मा और एडवोकेट उपेंद्र मिश्रा का कहना है कि पाकिस्तान को एक ना एक दिन पीओके खाली करना पड़ेगा, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय मंच पर कानूनी तौर पर भारत का पक्ष काफी मजबूत है. सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट जितेंद्र मोहन शर्मा का यह भी कहना है कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद पीओके समेत पूरा जम्मू कश्मीर भारत का केंद्र शासित प्रदेश बन चुका है. पाकिस्तान का पीओके पर कोई हक ही नहीं बनता.

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पाकिस्तान के पीएम इमरान खान (फाइल फोटो) पाकिस्तान के पीएम इमरान खान (फाइल फोटो)

राम कृष्ण

  • नई दिल्ली,
  • 16 सितंबर 2019,
  • अपडेटेड 11:43 AM IST

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से बौखलाए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने मामले को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ले जाने की बात कही है. हालांकि अगर पाकिस्तान ने कश्मीर मामले को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में ले जाने की कोशिश की तो भारत का काम आसान हो जाएगा. इसके बाद पाकिस्तान को पीओके भी खाली करना पड़ेगा.

पाकिस्तान के कानून मंत्रालय ने इमरान खान को नसीहत दी है कि वह कश्मीर मामले को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में ले जाने की गलती न करें. पाकिस्तान भी यह भली-भांति जानता है कि अगर उसने कश्मीर मामले को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में उठाने की कोशिश की तो उसको पीओके से भी हाथ धोना पड़ेगा.

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इसकी वजह यह है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने 21 अप्रैल 1948 को एक रिजॉल्यूशन पारित किया था, जिसमें सुरक्षा परिषद ने पाकिस्तान को पीओके खाली करने और सेना को वापस बुलाने का निर्देश दिया था. इसके अलावा सुरक्षा परिषद ने पीओके को जम्मू-कश्मीर में मिलाने का भी निर्देश दिया था.

अब कश्मीर के मसले पर ब्रिटिश सांसद बॉब ब्लैकमैन ने खुलकर भारत का समर्थन किया है. उन्होंने 21 अप्रैल 1948 के रिजॉल्यूशन का जिक्र करते हुए कहा कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) समेत पूरा जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है. सुरक्षा परिषद ने भी अपने पहले रिजॉल्यूशन में माना था कि पीओके समेत पूरा जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा है. साथ ही सुरक्षा परिषद ने पाकिस्तानी सेना और नागरिकों से पीओके खाली करने को कहा था. लिहाजा पाकिस्तान को पीओके खाली करना चाहिए.

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ब्रिटिश सांसद ने कहा कि जो लोग जम्मू-कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के रिजॉल्यूशन का पालन करने की बात करते हैं, वो लोग संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पहले रिजॉल्यूशन को नजरअंदाज कर रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की उपाध्यक्ष जितेंद्र मोहन शर्मा का कहना है कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद पीओके समेत पूरा जम्मू कश्मीर भारत का केंद्र शासित प्रदेश बन चुका है. अब पाकिस्तान का पीओके पर किसी भी तरह का कोई कानूनी हक बचा ही नहीं है. अनुच्छेद 370 को हटाने का मोदी सरकार के फैसले से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत का पक्ष कई गुना मजबूत हो गया है.

इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट उपेंद्र मिश्रा का कहना है कि अगर पाकिस्तान कश्मीर मसले को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद या अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में ले जाने में सफल भी हो जाता है तो उसको वहां मुंह की खानी पड़ेगी क्योंकि कानूनी तौर पर भारत का पक्ष बहुत मजबूत है. कश्मीर मसले पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और अंतरराष्ट्रीय न्यायालय पाकिस्तान को सबसे पहले पीओके खाली करने को कहेंगे, क्योंकि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद अपने पहले रिजॉल्यूशन में पाकिस्तान को निर्देश दे चुका है कि वो पीओके खाली करें. इससे भारत का काम आसान हो जाएगा.

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सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट उपेंद्र मिश्रा का कहना है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने भारत की शिकायत पर ही पाकिस्तान को पीओके खाली करने का निर्देश दिया था. हालांकि अभी तक पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के रिजॉल्यूशन को लागू नहीं किया है. लेकिन उसको एक ना एक दिन पीओके खाली करना पड़ेगा.

पीओके पर पाकिस्तान का है अवैध कब्जा

भारत पहले से ही कहता आ रहा है कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर यानी पीओके उसका अभिन्न हिस्सा है और पाकिस्तान को इसे खाली करना चाहिए. हाल ही में केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह भी कह चुके हैं कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) भारत का अभिन्न हिस्सा है. अब अगर पाकिस्तान से बात होगी, तो सिर्फ पीओके पर होगी. भारत शुरू से ही कहता आ रहा है कि पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर पर अवैध कब्जा कर रखा है. पाकिस्तान को पीओके खाली करना ही पड़ेगा.

सुरक्षा परिषद में मुंह की खा चुका है पाकिस्तान

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से पाकिस्तान बौखलाया हुआ है. पाकिस्तान ने पहले जंग की धमकी दी और फिर चीन को मिलाकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की क्लोज डोर बैठक बुलाई. हालांकि इस बैठक में पाकिस्तान को चीन के अलावा किसी देश का साथ नहीं मिला.

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इसके बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कश्मीर मामले को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ले जाने की बात कही, लेकिन उनको पाकिस्तान के कानून मंत्रालय ने ही नसीहत दे दी कि अगर मामले को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में ले जाने की गलती की तो खामियाजा भुगतना पड़ेगा.

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