'भारत की कोशिश काबिल-ए-तारीफ...', तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण पर इजरायल ने जताई खुशी

तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण न केवल एक कानूनी मसला है, बल्कि भारत-अमेरिका संबंधों की मजबूती का भी प्रमाण है. लेकिन इसके साथ ही यह भारत के लिए एक चुनौती भी है. चुनौती इसलिए, क्योंकि कानूनी दायित्वों का पालन करते हुए भारत को अपनी न्यायिक प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष रखना होगा.

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तहव्वुर राणा तहव्वुर राणा

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 10 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 4:22 PM IST

इजरायल ने पाकिस्तानी-कनाडाई आतंकवादी और 26/11 मुंबई हमलों के षड्यंत्रकारी तहव्वुर राणा के अमेरिका से भारत प्रत्यर्पण का स्वागत किया है. इजरायल के भारत में राजदूत र्यूवेन अजार ने इस घटनाक्रम पर एक आधिकारिक बयान जारी कर भारत सरकार के प्रयासों की प्रशंसा की है. अपने बयान में उन्होंने कहा, "मैं भारत सरकार को आतंकवादियों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए उनकी दृढ़ता और लगन के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं."

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इजरायल ने किया स्वागत
बता दें कि तहव्वुर राणा उन लोगों में से एक है, जो मुंबई हमलों की साजिश में शामिल रहा है. उसे अमेरिकी अदालत के फैसले के बाद भारत लाया जा रहा है. यह कदम आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में एक बड़ी सफलता माना जा रहा है. इजरायल, जो खुद-ब-खुद आतंकवाद का शिकार रहा है, उसने इस प्रत्यर्पण को अंतरराष्ट्रीय सहयोग और आतंकवाद के खिलाफ साझा प्रतिबद्धता के रूप में देखा है. 

भारत और इजरायल के बीच आतंकवाद के खिलाफ सहयोग लंबे समय से चला आ रहा है. राणा के भारत पहुंचने के बाद उस पर मुंबई हमलों से जुड़े आरोपों में मुकदमा चलेगा, जिसके लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने तैयारियां कर रखी हैं.

राणा के मामले में क्या-क्या उठाए जा सकते हैं कदम
तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण न केवल एक कानूनी मसला है, बल्कि भारत-अमेरिका संबंधों की मजबूती का भी प्रमाण है. लेकिन इसके साथ ही यह भारत के लिए एक चुनौती भी है. चुनौती इसलिए, क्योंकि कानूनी दायित्वों का पालन करते हुए भारत को अपनी न्यायिक प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष रखना होगा. यह देखना बाकी है कि भारत प्रत्यर्पण की शर्तों को कैसे लागू करता है और राणा के मामले में आगे क्या कदम उठाए जाते हैं. यह मामला न सिर्फ कानून के जानकारों के लिए, बल्कि आम जनता के लिए भी उत्सुकता का विषय बना हुआ है.

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टाइम लाइन
26/11 मुंबई हमलों से जुड़े तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण का मामला लंबी कानूनी जंग के बाद आखिरकार भारत के पक्ष में हुआ है. अमेरिकी अदालतों में एक के बाद एक याचिकाओं के खारिज होने के साथ ही भारत को राणा को प्रत्यर्पित करने का रास्ता साफ हो गया है और आज गुरुवार को तहव्वुर राणा को लेकर आ रहा प्लेन दिल्ली एयरपोर्ट पर लैंड हो गया है. इस प्रक्रिया में कई मुख्य पड़ाव आए, जानते हैं पूरा घटनाक्रम

प्रमुख घटनाक्रम:
अगस्त 2024: अमेरिका की नौवीं सर्किट कोर्ट ऑफ अपील्स ने तहव्वुर राणा के भारत को प्रत्यर्पण के आदेश को बरकरार रखा. इस फैसले ने राणा के खिलाफ भारत के दावे को मजबूती दी.

नवंबर 2024: राणा ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में रेट ऑफ सर्टिओरारी (समीक्षा याचिका) दायर की, जिसमें अपीलीय अदालत के फैसले की समीक्षा की मांग की गई. यह उनकी ओर से एक बड़ा कानूनी कदम था.

जनवरी 2025: यूएस सुप्रीम कोर्ट ने राणा की याचिका को खारिज कर दिया. इस फैसले ने भारत के लिए प्रत्यर्पण की राह को और आसान बना दिया.

मार्च 2025: राणा ने प्रत्यर्पण पर रोक लगाने के लिए एक आपातकालीन याचिका दायर की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे भी ठुकरा दिया. यह उनकी ओर से आखिरी बड़ा प्रयास था.

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7 अप्रैल 2025: अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने तहव्वुर राणा की अंतिम अपील को खारिज कर दिया. इसके साथ ही, भारत को राणा को प्रत्यर्पित करने की सभी कानूनी बाधाएं खत्म हो गईं.

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