इजरायल और हिज़्बुल्ला के बीच जारी तनाव के बीच, इजरायली सेना ने गुरुवार को तीसरे दिन भी बेरूत के दक्षिणी उपनगरों में हिज़्बुल्ला के ठिकानों पर हवाई हमले किए. सुबह-सुबह की गई इन बमबारी में बेरूत के आसमान में धुएं के बड़े-बड़े गुबार उठते देखे गए, जिससे लोगों में डर और असुरक्षा का माहौल फैल गया है. लेबनान की सरकारी समाचार एजेंसी नेशनल न्यूज़ एजेंसी (एनएनए) के अनुसार, इन हमलों ने न केवल बेरूत को प्रभावित किया, बल्कि
दक्षिणी लेबनान के बिंत जाबिल क्षेत्र तक भी पहुंच बनाई. यहां रात भर हुए हवाई हमलों और तोपों की गोलाबारी ने कई इमारतों और आवासीय परिसरों को भारी नुकसान पहुंचाया है. इसके अतिरिक्त, बज़ूरियेह और जुमयजीमेह कस्बों पर हुए हमलों में कम से कम पांच लोगों की मौत हुई है.
हिज़्बुल्ला पर इजरायल का एक्शन
सितंबर के अंत से, इजरायल ने ईरान समर्थित हिज़्बुल्ला के खिलाफ एक बड़े हवाई और जमीनी अभियान की शुरुआत की है. इस अभियान का उद्देश्य हिज़्बुल्ला के ठिकानों और उसके प्रभाव को कमजोर करना है, जो सीमा पर वर्षों से चले आ रहे संघर्ष में शामिल रहा है. यह अभियान गाजा युद्ध के समानांतर हो रहा है और दोनों ही पक्षों में अस्थिरता और तनाव बढ़ाने का कारण बन रहा है.
मृतकों और घायलों के लगातार बढ़ रहे हैं आंकड़े
बेरूत के उपनगरों में हुए हमलों से प्रभावित क्षेत्रों को पहले से ही खाली करवाया जा चुका है, जिसके कारण स्थानीय अधिकारियों ने गुरुवार के हमलों में हताहतों का आधिकारिक आंकड़ा जारी नहीं किया है. हालांकि, लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने जानकारी दी है कि 7 अक्टूबर से जारी इजरायली हमलों में अब तक पूरे लेबनान में 3,365 लोगों की जान जा चुकी है और 14,344 लोग घायल हुए हैं. यह आंकड़े मानवीय संकट की गंभीरता को उजागर करते हैं.
संघर्षविराम को लेकर बातचीत की कोशिशें जारी
लेबनानी संसद के स्पीकर नबीह बेरी के राजनीतिक सहायक अली हसन खलील ने बुधवार को बताया कि अमेरिकी दूत एमोस होचस्टीन के साथ संघर्षविराम के लिए एक प्रारंभिक समझौता तैयार किया गया है. खलील ने अल जज़ीरा को दिए साक्षात्कार में बताया कि यह प्रस्ताव होचस्टीन के माध्यम से इजरायली पक्ष को भेजा गया था, लेकिन अभी तक इजरायल से इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है.
उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी संभावित समझौते का आधार संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव 1701 पर होना चाहिए, जिसे 2006 में अपनाया गया था. इस प्रस्ताव का उद्देश्य है कि लेबनानी सेना को दक्षिणी लेबनान में इजरायल की सीमा के साथ शांति बनाए रखने में सहायता करना और सुनिश्चित करना कि केवल लेबनानी राज्य की सेना ही वहां मौजूद रहे.
खलील ने इस बात का भी संकेत दिया कि लेबनान को संघर्षविराम की निगरानी में अमेरिका या फ्रांस के भाग लेने पर कोई आपत्ति नहीं है. उन्होंने कहा कि यह अंतर्राष्ट्रीय समर्थन न केवल शांति स्थापित करने में सहायक होगा बल्कि इस क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने में भी मददगार साबित हो सकता है.
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