दुनिया की सबसे लोकप्रिय खुफिया एजेंसी में शुमार मोसाद ने पिछले महीने ही एक जटिल खुफिया अभियान शुरू किया था और इजरायल के प्रधानमंत्री नेफ्टाली बेनेट ने सोमवार को संसद में इसकी पुष्टि भी की. दरअसल, मोसाद ने कुछ दशकों पहले लापता हुए इजरायल के एयरमैन रॉन अराद का पता लगाने के लिए ये मिशन शुरू किया था.
साल 1986 में लेफ्टिनेंट रॉन लेबनान का विमान बमबारी के दौरान लेबनान में ही फंस गया था. इस विमान के पायलट को इजरायली अधिकारियों ने बचा लिया था लेकिन एयरमैन नैविगेटर रॉन लेबनान में ही फंसे रह गए थे. इसके बाद उन्हें लेबनान के शिया मुस्लिम आतंकी संगठन अमाल ने पकड़ लिया था.
अमाल ने 200 लेबनानी और 450 फिलीस्तीन कैदियों के बदले रॉन को छोड़ने की पेशकश की थी. हालांकि, इजरायल ने ऐसा करने से साफ मना कर दिया था.
इजरायल में अराद का मुद्दा दशकों से सुर्खियों में रहा है. ज्यादातर लोगों का यही मानना है कि 1988 में कैदियों की अदला-बदली की कोशिश असफल होने के दो साल बाद अराद की कैद में ही मौत हो गई थी.
बेनेट ने सोमवार को संसद नेसेट के शीतकालीन सत्र को संबोधित करते हुए बताया कि पिछले महीने मोसाद के पुरुष और महिला एजेंट अराद को लेकर खुफिया जानकारी जुटाने के लिए एक बेहद जटिल, व्यापक और साहसिक ऑपरेशन पर निकले थे. फिलहाल इस मिशन के बारे में इससे ज्यादा कुछ नहीं बताया जा सकता है.
इस मामले में मोसाद चीफ ने चैनल 12 के साथ बातचीत में कहा कि उन्होंने मोसाद के साथ इंटरनल मीटिंग में बता दिया है कि भले ही ये काफी साहसी मिशन था लेकिन हम इस मिशन में फेल साबित हुए हैं.
मिशन के लिए ईरान के जनरल को किया किडनैप
इसके बाद साल 1988 में रॉन को लेकर आखिरी बार खबरें सामने आई थीं. मोसाद इस मिशन को लेकर कितना गंभीर था, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मोसाद ने सीरिया में ईरान के एक जनरल को किडनैप कर लिया था ताकि रॉन से जुड़ी नई जानकारियां जुटाई जा सकें. लंदन बेस्ड अखबार राय अल-योम की रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान के जनरल को अफ्रीका के एक देश ले जाया गया था. इजरायली खुफिया एजेंसी ने वहां उनसे पूछताछ की थी और फिर इस जनरल को छोड़ दिया गया था.
रॉन की मौत की अनसुलझी गुत्थी
गौरतलब है कि रॉन की मौत को लेकर अलग-अलग देशों की रिपोर्ट्स सामने आती रही हैं. साल 2016 में लेबनान के एक अखबार में रिपोर्ट सामने आई थी कि रॉन की मौत साल 1988 में ही हो चुकी है. इस रिपोर्ट में लिखा गया था कि रॉन को बेरूत में टॉर्चर करने के बाद मारा गया था. वहीं, साल 2004 में इजरायल के मिलिट्री कमिशन ने कहा था कि उनकी मौत 90 के दशक में हुई थी क्योंकि वे गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे और उन्हें मेडिकल ट्रीटमेंट की सुविधा नहीं प्रदान की गई थी. इसके अलावा, साल 2008 में जर्मनी के जेरार्ड कॉनराड ने कहा था कि साल 1988 में जान बचाकर भागने के दौरान रॉन को मार गिराया गया था. हालांकि, रॉन के परिवार वाले अब भी नहीं समझ पाए हैं कि रॉन के साथ आखिर हुआ क्या था.
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