Iran-Israel War LIVE News & Latest Updates: ईरान और इजरायल के बीच चल रही जंग नए दौर में प्रवेश कर चुकी है. संघर्ष शुरू होने के आठवें दिन भी दोनों देश एक-दूसरे पर बड़े स्तर पर हमले कर रहे हैं. न्यूज एजेंसी ISNA के मुताबिक, गुरुवार को इजरायल ने ईरान पर रात भर हमले किए, जिसमें अराक के पास एक रिएक्टर, नतांज़ के पास एक सुविधा और खोंडब हेवी-वाटर रिसर्च साइट के नज़दीकी इलाकों को निशाना बनाया गया, जो ईरान के परमाणु कार्यक्रम का हिस्सा हैं. एपी की रिपोर्ट के मुताबिक, जवाबी कार्रवाई में ईरान ने मिसाइलें दागीं, जो इजरायल में एक मेडिकल बिल्डिंग पर गिरीं और आस-पास के अपार्टमेंट को नुकसान पहुंचा. एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक, हमले के बाद, इजरायल के रक्षा मंत्री इजरायल कैट्ज ने कहा कि ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई को 'अब और जिंदा रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती', उन पर अस्पतालों पर हमले करने और इजरायल के विनाश की मांग करने का आरोप लगाया. इस बीच, ऑपरेशन सिंधु के तहत ईरान से निकाले गए करीब 100 भारतीय छात्र दिल्ली पहुंचे.
एपी की रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायल के एयर कैंपेन ने कई परमाणु और सैन्य स्थलों को निशाना बनाया है, जिसमें सीनियर जनरल और परमाणु वैज्ञानिक मारे गए हैं. वॉशिंगटन स्थित एक ईरानी मानवाधिकार समूह ने बताया कि ईरान में करीब 639 लोग मारे गए हैं, जिनमें 263 नागरिक शामिल हैं और 1,300 से ज्यादा नागरिक घायल हुए हैं. वहीं, जवाबी कार्रवाई में ईरान ने करीब 400 मिसाइलें और सैकड़ों ड्रोन दागे, जिससे इजरायल में करीब 24 लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हुए.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के खिलाफ इजरायल के हमले को लेकर अटकलें कायम रखी हैं. उन्होंने कहा, "मैं ऐसा कर सकता हूं, मैं ऐसा नहीं भी कर सकता." उन्होंने यह भी दावा किया कि ईरानी अधिकारी बातचीत करना चाहते हैं, लेकिन ट्रंप ने कहा, "इसमें थोड़ी देर हो चुकी है." बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि इजरायल, ईरान के परमाणु और मिसाइल बुनियादी ढांचे को खत्म करने के लिए आगे बढ़ रहा है, उन्होंने ट्रंप को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद दिया. ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला खामेनेई ने ट्रंप की सरेंडर वाली अपील को खारिज करते हुए चेतावनी दी कि किसी भी अमेरिकी सैन्य हस्तक्षेप से निस्संदेह अपूरणीय क्षति होगी."
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पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना के बशीरहाट के डॉक्टरेट छात्र सैयद बाकिर मजलिसी रिजवी ईरान के क़ोम शहर में फंस गए हैं, क्योंकि ईरान-इज़रायल के बीच दुश्मनी बढ़ गई है. साल 2018 में अल-मुस्तफ़ा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी में फ़ारसी में पीएचडी करने के लिए क़ोम की यात्रा करने वाले बाकिर की 20 जून को निर्धारित वापसी की फ्लाइट ईरान द्वारा वाणिज्यिक हवाई यात्रा पर प्रतिबंध लगाने के बाद रद्द कर दी गई थी. अब, उन्हें रोज़ाना मिसाइल हमलों, भूमिगत बंकरों में अक्सर शरण लेने और अस्थिर संचार का सामना करना पड़ रहा है, जिससे भारत में उनका परिवार चिंतित और समाचार के लिए बेताब है.
बाकिर के परिवार ने प्रधानमंत्री और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री सहित सीनियर भारतीय अधिकारियों से अपील की है कि उन्हें निकालने के लिए तत्काल सहायता की जाए. अधिकारी और तेहरान में भारतीय दूतावास भारत के 'ऑपरेशन सिंधु' के तरह नागरिकों को अधिकारी निकाल रहे हैं, लेकिन कोई वाणिज्यिक उड़ानें संचालित नहीं होने और शत्रुता जारी रहने के कारण, बाकिर और कई अन्य भारतीय छात्र फंसे हुए हैं और बेचैनी से सुरक्षित घर वापसी का इंतजार कर रहे हैं.
(इनपुट- तपन मंडल)
ISNA न्यूज के मुताबिक, ईरानी उप विदेश मंत्री खतीबजादेह ने कहा कि अगर हमला बंद हो जाती है, तो कूटनीति को एक विकल्प के रूप में अपनाया जाएगा.
क्षेत्रीय तनाव बढ़ने के बीच, इजराइल के ऊर्जा मंत्री ने जनता को आश्वासन दिया कि देश का ऊर्जा क्षेत्र बिना किसी बाधा के काम कर रहा है और ईंधन की कोई कमी नहीं है.
ईरानी विदेश मंत्री ने राष्ट्रीय टेलीविजन पर कहा कि जिनेवा में E3 के साथ ईरान की आगामी चर्चाएं परमाणु और क्षेत्रीय मुद्दों तक ही सीमित रहेंगी. उन्होंने तेहरान के बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम पर किसी भी तरह की बातचीत की संभावना को पूरी तरह से खारिज कर दिया.
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कंटेनर शिपिंग कंपनी मेर्सक ने शुक्रवार को कहा कि उसने इजरायल के हाइफा बंदरगाह पर अस्थायी रूप से जहाजों की आवाजाही रोकने का फैसला किया है.
क्रेमलिन ने मिडिल ईस्ट में बिगड़ती स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की है, इसे रूस के लिए संभावित रूप से खतरनाक बताया है और चेतावनी दी है कि यह इलाका अस्थिरता और युद्ध की ओर बढ़ रहा है. जबकि राष्ट्रपति पुतिन ने मध्यस्थता की पेशकश की है. क्रेमलिन ने स्वीकार किया है कि यह अनिश्चित है कि उनका प्रस्ताव स्वीकार किया जाएगा या नहीं, उसके बाद भी मास्को कूटनीति की संभावनाओं के बारे में उम्मीद कर रहा है और ईरान के साथ बातचीत का रास्ता तलाश रहा है. इसके साथ इजरायल और अमेरिका के साथ भी बातचीत करने की कोशिश की जा रही है.
ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने शांति और स्थिरता के लिए अपने देश की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता की पुष्टि की. उन्होंने कहा कि यह थोपा हुआ युद्ध है, इसे खत्म करने का सिर्फ एक रास्ता यह है कि दुश्मन बिना शर्त अपनी आक्रामकता बंद कर दे. उन्होंने यह भी कहा कि ईरान को 'ज़ायोनी आतंकवादियों' की गतिविधियों को स्थायी रूप से रोकने के लिए एक निश्चित इलाज स्थापित करना चाहिए, जो इज़राइल से कथित खतरों के खिलाफ एक दृढ़ रुख का संकेत देता है.
रूस ने शुक्रवार को बताया कि देश के विशेषज्ञ अभी भी ईरान के बुशहर परमाणु न्यूक्लियर प्लांट में काम कर रहे हैं. रूस के परमाणु ऊर्जा निगम के प्रमुख एलेक्सी लिखाचेव के मुताबिक, वहां स्थिति सामान्य और कंट्रोल में है. लिखाचेव ने उम्मीद जताई कि इजरायल को साइट पर हमला न करने की रूस की चेतावनी इजरायली नेतृत्व को मिल गई होगी. ईरान के साथ घनिष्ठ संबंध रखने वाले रूस ने इजरायल के पक्ष में अमेरिकी सैन्य हस्तक्षेप के खिलाफ कड़ी चेतावनी दी है.
ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने सरकारी टीवी को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि ईरान कभी भी अस्पतालों और नागरिक क्षेत्रों को निशाना नहीं बनाता, जबकि इजरायल ने जानबूझकर गाजा में अस्पतालों को निशाना बनाया है.
ईरान की आपातकालीन सेवाओं के प्रमुख के मुताबिक, पिछले हफ़्ते, ईरान के पांच अस्पतालों को नुकसान पहुंचा है और आस-पास के इलाकों में इज़रायली हवाई हमलों के बाद मरीज़ों की देखभाल प्रभावित हुई है. रॉयटर्स के मुताबिक, अधिकारी ने स्टेट टीवी के साथ एक इंटरव्यू के दौरान यह जानकारी साझा की.
अमेरिका स्थित ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट्स न्यूज एजेंसी (HRANA) के मुताबिक, पिछले सात दिनों में ईरान पर इजरायली हमलों में करीब 657 लोग मारे गए हैं और 2,037 घायल हुए हैं. एजेंसी ने यह भी कहा कि इनमें ईरान के ज़ानजान प्रांत में स्थित अबहर में मारे गए दो ईरानी सैनिक भी शामिल हैं.
इज़रायल के रक्षा मंत्री ने हिज़्बुल्लाह को कड़ी चेतावनी जारी की है, जिसमें उसके महासचिव पर पिछले नेताओं की गलतियों से सीखने में विफल रहने और ईरान के शासन के प्रभाव में काम करने का आरोप लगाया है. उन्होंने हिज़्बुल्लाह को ईरान का लेबनानी प्रतिनिधि बताया और उसके नेतृत्व को सावधानी से कदम उठाने की चेतावनी दी.
हिजबुल्लाह के शेख नईम कासिम ने ईरान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की धमकी देने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तीखी आलोचना की है. The Jerusalem Post की रिपोर्ट के मुताबिक, संगठन ने वाशिंगटन पर क्षेत्रीय अराजकता और वैश्विक अस्थिरता को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है. कासिम ने कहा कि ईरान को अपनी रक्षा करने का अधिकार है. उन्होंने दुनिया के आजाद लोगों से समर्थन की गुजारिश की है. उन्होंने ईरान के प्रति हिजबुल्लाह की प्रतिबद्धता को दोहराया. संगठन ने स्वतंत्रता, संप्रभुता और क्षेत्रीय प्रतिरोध की लड़ाई में तेहरान के साथ खड़े होने की कसम खाई.
Al Jazeera की रिपोर्ट के मुताबिक, मध्य गाजा में नेत्ज़ारिम अक्ष के पास सहायता चाहने वालों पर इजरायली सेना द्वारा की गई गोलीबारी में करीब 23 फिलिस्तीनी नागरिक मारे गए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, आधी रात से अब तक इजरायली हमलों में कुल 34 फिलिस्तीनी मारे गए हैं.
इजरायल ने संयुक्त राष्ट्र और अन्य सहायता संगठनों को गाजा में काम करने से रोक दिया है, इसके बजाय जीएचएफ को काम करने की अनुमति दी है. कुछ हफ्ते पहले ऑपरेशन शुरू करने के बाद से, इजरायली बलों ने भोजन पाने कोशिश कर रहे करीब 300 भूखे फिलिस्तीनी नागरिकों को मार डाला है.
रूसी राज्य समाचार एजेंसी TASS के मुताबिक, क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने शुक्रवार को कहा कि ईरान में अमेरिका द्वारा सामरिक परमाणु हथियारों का संभावित उपयोग एक विनाशकारी कदम होगा.
ऑस्ट्रेलिया ने शुक्रवार को ऐलान किया कि उसने बिगड़ती सुरक्षा स्थिति की वजह से तेहरान में अपने दूतावास में ऑपरेशन को निलंबित कर दिया है, क्योंकि इज़रायल ने ईरानी परमाणु स्थलों पर नए हमले शुरू कर दिए हैं और संघर्ष में कमी आने के कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं.
विदेश मंत्री पेनी वोंग ने कहा कि ऑस्ट्रेलियाई रक्षा बलों और विमानों को एयरस्पेस के फिर से खुलने पर नागरिकों और राजनयिक कर्मचारियों को निकालने में सहायता के लिए आकस्मिक योजनाओं के तहत मिडिल ईस्ट में तैनात किया जा रहा है. उन्होंने साफ किया कि कर्मचारी किसी भी वार ऑपरेशन में शामिल नहीं होंगे.
तेलंगाना के रंगा रेड्डी जिले के गाचीबोवली में अमेरिकी वाणिज्य दूतावास के पास के इलाके में तनाव पैदा हो गया, क्योंकि कई वामपंथी दलों के सदस्यों ने ईरान पर इजरायल के हालिया हवाई हमलों की निंदा करते हुए और फिलिस्तीन के लिए मजबूत समर्थन व्यक्त करते हुए विरोध प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों ने इजरायल की आक्रामकता की निंदा करते हुए नारे लगाए और चल रही हिंसा को रोकने के लिए तत्काल अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई का आह्वान किया. जैसे-जैसे प्रदर्शन बढ़ता गया, गाचीबोवली पुलिस ने हस्तक्षेप किया और किसी भी तरह की बढ़ोतरी को रोकने के लिए कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया. आस-पास के इलाके में सुरक्षा को तुरंत बढ़ा दिया गया.
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ईरानी मिसाइल हमले के बाद इजरायल के बीयर शेवा (बीयर शेवा) में माइक्रोसॉफ्ट दफ्तर के पास आग लग गई.
इज़रायली सेना ने ऐलान किया है कि उसने ईरान की राजधानी तेहरान के अंदर रातों-रात कई हवाई हमले किए हैं, जिसमें कई हम स्थलों को निशाना बनाया गया है. इज़रायली अधिकारियों के मुताबिक, इस ऑपरेशन में मिसाइल उत्पादन में शामिल कई औद्योगिक सुविधाओं के साथ-साथ पूरे इलाके में दर्जनों सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया गया. सबसे महत्वपूर्ण टारगेट्स में SPND का मुख्यालय था, जो ईरान का रक्षात्मक नवाचार और अनुसंधान संगठन है, जिसके बारे में इज़रायल का आरोप है कि यह देश के गुप्त परमाणु हथियार कार्यक्रम का केंद्र है.
इजरायली एयरफोर्ट ने कहा कि गुरुवार की रात तेहरान के मध्य में 60 से ज्यादा वायुसेना के लड़ाकू विमानों ने करीब 120 गोला-बारूद का उपयोग करके दर्जनों सैन्य ठिकानों पर हमला किया. मिसाइल घटकों के उत्पादन के लिए सैन्य औद्योगिक स्थलों और मिसाइल इंजन बनाने के लिए उपयोग किए जाने वाले कच्चे माल के उत्पादन के लिए स्थलों पर हमला किया गया. ईरानी रक्षा और परमाणु मामलों के मंत्रालय के गुरुत्वाकर्षण का औद्योगिक केंद्र बने हुए थे.
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ईरानी सरकार ने नागरिकों से शुक्रवार यानी जुमे की नमाज के बाद राष्ट्रव्यापी सामूहिक सभाओं में भाग लेने का आग्रह किया है.
अमेरिकी विदेशी सहायता डेटाबेस के मुताबिक, इजरायल को 1951 से अमेरिकी सहायता मिल रही है. साल 1951 में, इजरायल को अमेरिका से आर्थिक दायित्वों के रूप में केवल 0.96 मिलियन डॉलर मिले. यह सहायता 1950 के दशक और 1960 के दशक की शुरुआत में जारी रही, जो औसतन 0.4 और 0.6 बिलियन डॉलर सालाना थी. इस अवधि के दौरान सैन्य सहायता अनुपस्थित या नगण्य रही.
कुल मिलाकर 1951 और 2024 के बीच, इज़रायल को अमेरिका से कुल 305.5 बिलियन डॉलर मिले हैं, जिनमें से 221.68 बिलियन डॉलर मिलिट्री फंडिंग और 83.8 बिलियन डॉलर आर्थिक सहायता थी. सैन्य सहायता इज़रायल को दी गई कुल सहायता का 72 फीसदी से ज्यादा है.
इजरायल को अमेरिका की तरफ से मिलने वाली मदद से जुड़ी डीटेल्ड रिपोर्ट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.
इज़राइली सेना ने ऐलान किया है कि कई इलाकों में नागरिक अब सुरक्षित रूप से संरक्षित क्षेत्रों को छोड़ सकते हैं, जो दर्शाता है कि ईरानी हमलों से तत्काल खतरा टल गया है. इस बीच, रॉयटर्स के मुताबिक, सैन्य बल उस जगह पर एक्टिव हैं, जहां एक प्रोजेक्टाइल गिरने की जानकारी मिली थी.
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड लैमी से मुलाकात की और इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते संघर्ष को संबोधित करने के लिए अपने ऑस्ट्रेलियाई, फ्रांसीसी और इतालवी समकक्षों के साथ अलग-अलग कॉल की. अमेरिकी विदेश विभाग के मुताबिक, सभी पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि ईरान को कभी भी परमाणु हथियार विकसित करने या प्राप्त करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. लैमी ने सोशल मीडिया पर यही बात दोहराते हुए चेतावनी दी कि मिडिल ईस्ट एक खतरनाक स्थिति में बना हुआ है, लेकिन कहा कि कूटनीति के लिए दो हफ्ते की खिड़की अभी भी मौजूद हो सकती है.
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायली सेना ने बताया है कि ईरान की तरफ से इजरायल पर मिसाइलें दागी गईं हैं. इसके साथ ही आठवें दिन भी दोनों देशों के बीच संघर्ष बढ़ता नजर आ रहा है. IDF ने सोशल मीडिया पोस्ट में बताया कि ईरान की ओर से मिसाइल दागे जाने की वजह से दक्षिणी इजरायल में सायरन बजने लगे.
ईरान-इजरायल युद्ध में इजरायल को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है, जहां इंटरसेप्टर मिसाइलों की लागत और बुनियादी ढांचे की मरम्मत में अरबों डॉलर खर्च हो रहे हैं. अमेरिका ने भी अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ा दी है. इस बीच राष्ट्रपति ट्रंप ने ईरान पर सैन्य हमले को लेकर अगले दो हफ्तों में फैसले लेने की बात कही है.
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The Jerusalem Post के मुताबिक, हिजबुल्लाह के उप नेता शेख नईम कासिम ने इजरायल और अमेरिका के साथ गतिरोध में ईरान को फुल सपोर्ट देने का वादा किया. गुरुवार को दी गई स्पीच में कासिम ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को शांतिपूर्ण और राष्ट्रीय विकास का मकसद बताया. उन्होंने दावा किया कि ईरान के प्रति वैश्विक विरोध उसकी परमाणु महत्वाकांक्षाओं से नहीं, बल्कि 'विश्वास, ज्ञान और आजादी' पर उसके रुख से उपजा है, जो उत्पीड़ितों को सशक्त बनाता है.
भारत जल्द ही 'ऑपरेशन सिंधू' के तहत ईरान के मशहद से निकासी फ्लाइट्स शुरू करेगा. तेहरान स्थित दूतावास ईरान के कई इलाकों में मौजूद भारतीयों के साथ बातचीत कर रहा है.
अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने कथित तौर पर आकलन किया है कि ईरान ने अभी तक परमाणु हथियार बनाने के बारे में कोई फैसला नहीं किया है. The New York Times की रिपोर्ट में अनाम अधिकारियों का हवाला देते हुए यह जानकारी दी गई है. यह आकलन मार्च में डीएनआई तुलसी गबार्ड द्वारा दिए गए बयानों से मेल खाता है.
पिछले एक सप्ताह में कई बोइंग 747 विमानों को चीन से ईरान जाते हुए रडार पर देखा गया है, जिससे वैश्विक स्तर पर चिंता बढ़ गई है. रिपोर्टों के मुताबिक, आशंका जताई जा रही है कि चीन सरकार (CCP) ईरान को संवेदनशील सामग्रियों, उपकरणों या लोगों को ट्रांसपोर्ट करने में मदद कर रही है, खासकर ऐसे समय में जब इजरायल ईरान के परमाणु ठिकानों पर लगातार हमले कर रहा है.
आईआरजीसी के वरिष्ठ कमांडर मोहसिन रजेई ने कहा है कि नतांज, इस्फहान, खंदाब और अराक जैसे परमाणु ठिकानों पर इजरायली हमलों से पहले ही वहां की समृद्ध परमाणु सामग्री को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया था. उन्होंने चेतावनी दी कि मौजूदा हालात में युद्धविराम दुश्मन को दोबारा ताकत हासिल करने का मौका देगा, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता.
रजेई ने कहा कि अब तक ईरान ने अपनी सिर्फ 30% सैन्य क्षमता का इस्तेमाल किया है और युद्ध को धीरे-धीरे तेज किया जा रहा है.
ब्रिटेन के विदेश सचिव डेविड लैमी शुक्रवार को जेनेवा में होने वाली उच्चस्तरीय वार्ता में हिस्सा लेंगे. इस वार्ता में फ्रांस, जर्मनी के विदेश मंत्रियों, ईयू की हाई रिप्रेजेंटेटिव काजा कालास और ईरान के विदेश मंत्री भी शामिल होंगे.
बैठक का उद्देश्य ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर कूटनीतिक समाधान खोजना है. यह वार्ता अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ईरान पर प्रेशर के बीच हो रहा है. लैमी इससे पहले वॉशिंगटन में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो और विशेष दूत स्टीव विटकॉफ से मिल चुके हैं. उन्होंने कहा, "अगले दो हफ्तों में समाधान की संभावना है."
इजरायली राष्ट्रपति इसाक हर्जोग ने कहा है कि अगर अमेरिका ईरान संकट में हस्तक्षेप नहीं करता है, तो इजरायल अकेले भी कार्रवाई करने में सक्षम है. उन्होंने कहा, "हमें पता है क्या करना है, और हमने यह पहले साबित भी किया है."
हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि संकट का समाधान निकालने में कूटनीति की भूमिका हमेशा बनी रहती है. उनका यह बयान उस समय आया है जब अमेरिका की भूमिका को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है और ईरान-इजरायल संघर्ष लगातार बढ़ रहा है.
ब्रिटेन के विदेश सचिव डेविड लैमी ने गुरुवार को कहा कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर कूटनीतिक समाधान का एक संकीर्ण लेकिन महत्वपूर्ण मौका अगले दो हफ्तों तक खुला है. उन्होंने यह टिप्पणी वॉशिंगटन में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो और मध्य पूर्व मामलों के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ से मुलाकात के बाद की.
लैमी ने कहा कि दोनों देशों ने इस बात पर जोर दिया कि ईरान को वार्ता की टेबल पर लौटना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि मध्य पूर्व की स्थिति बेहद गंभीर है और ईरान को परमाणु हथियार हासिल करने से रोकना जरूरी है.
पिछले शुक्रवार को इजरायल द्वारा ईरान पर हमले के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की आपात बैठक बुलाई गई थी. अब ईरान ने रूस, चीन और पाकिस्तान के समर्थन के साथ एक और बैठक की मांग की थी. UNSC आज फिर एक बैठक करेगा जिसका मुख्य एजेंडा इजरायल-ईरान तनाव रहेगा. ईरान ने इसकी मांग की थी.