'चाइनीज माल' क्यों साबित हुआ ट्रंप का कराया सीजफायर? फिर जंग के मैदान में इजरायल-हमास, 5 Points

इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हमास पर सीज़फ़ायर तोड़ने का आरोप लगाते हुए गाज़ा में 'ज़ोरदार' हमलों का आदेश दिया, जिससे अमेरिका-कतर की मध्यस्थता से हुई ताज़ा शांति दरक गई.

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डोनाल्ड ट्रंप ने गाजा पीस प्लान के तहत इजरायल-हमास में समझौता करवाया था. (Photo: ITG) डोनाल्ड ट्रंप ने गाजा पीस प्लान के तहत इजरायल-हमास में समझौता करवाया था. (Photo: ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 29 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 11:06 AM IST

इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने फिलिस्तीनी नागरिकों पर फिर से स्ट्राइक करने के आदेश दे दिए. हाल ही में हमास और इजरायल के बीच सीजफायर हुआ था, जिसके बाद गाजा में हमले रुक गए थे. नेतन्याहू ने हमास पर सीज़फ़ायर तोड़ने का आरोप लगाने के बाद गाजा पट्टी पर 'ज़ोरदार' हमले करने का आदेश दिया. इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने सेना को गाजा में 'ज़ोरदार हमले' करने का आदेश दिया है. इस कदम से अमेरिका की मदद से हुआ सीज़फायर टूट गया. 

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इजरायली अधिकारियों ने कहा कि हमास द्वारा युद्ध में पहले मारे गए एक बंधक के शव लौटाने के बाद दक्षिणी गाजा में उनके सैनिकों पर गोलियां चलाई गईं. नेतन्याहू ने इस कदम की निंदा करते हुए इसे सीज़फायर समझौते का 'खुला उल्लंघन' बताया. इस समझौते के तहत हमास को सभी इजरायली शवों को तुरंत वापस करना था.

न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायली सेना के अधिकारी ने हमास पर तय तैनाती लाइन के पूर्व में सेना पर हमले करके सीज़फायर का उल्लंघन करने का भी आरोप लगाया. मिडिल ईस्ट में हुए इस ताजा टकराव के बाद सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि अमेरिका और कतर की मध्यस्थता से हुआ गाजा सीजफायर कामयाब क्यों नहीं हो सका? क्या ट्रंप का पीस प्लान 'चाइनीज माल' साबित हो गया? क्योंकि समझौता ज्यादा दिन तक टिक नहीं सका.

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1- प्रैक्टिकल नहीं था समझौता

पिछले दिनों हमास और इजरायल के बीच समझौता हुआ था. इस दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पीस प्लान पेश किया था, जिस पर दोनों पक्ष ने साइन भी किया था. समझौते में तय किया गया था कि सभी बंधकों को बहुत जल्द रिहा कर दिया जाएगा, और इज़रायल अपनी सेना को एक तय लाइन तक पीछे हटा लेगा, जो एक मज़बूत, टिकाऊ और हमेशा रहने वाली शांति की दिशा में पहला कदम होगा. समझौते के दौरान ट्रंप ने यह भी कहा था कि हमास को हथियार डालना होगा. 

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि यह मिलिटेंट ग्रुप हथियार छोड़ दे, नहीं तो उसे जल्द ही और शायद हिंसक नतीजों का सामना करना पड़ेगा. सीजफायर का एनालिसिस किया जाए तो पता चलेगा कि इजरायल और हमास के बीच हुआ समझौता प्रैक्टिकल नहीं था क्योंकि हमास हथियार छोड़ने के तैयार नहीं है. 

2- बिना किसी कमिटमेंट के अरब देशों ने दिखाई सद्भावना

ट्रंप का गाजा पीस प्लान कई कमियों के बावजूद अरब देशों को कीमती डिप्लोमैटिक कवर देता है. इजरायली एयरस्पेस के उल्लंघन पर नेतन्याहू की माफी ने कतर को एक भरोसेमंद मीडिएटर के तौर पर उसकी जगह वापस दिला दी है. सऊदी अरब ने पाकिस्तान के साथ डिफेंस पैक्ट करके इजरायल के प्रति अपनी नाराजगी जताई थी, लेकिन आखिरकार उसने मुस्लिम दुनिया में अपनी लीडरशिप के दावे को मजबूत करने के तरीके के तौर पर इस प्लान का स्वागत किया. तुर्की ने मुख्य रूप से ईरान के प्रॉक्सीज़ का मुकाबला करने के लिए इस पहल का समर्थन किया है. मिस्र और UAE ने वॉशिंगटन के साथ बने रहने के लिए इस प्रस्ताव का समर्थन किया, हालांकि दोनों ने चुपचाप इसकी कमियों के बारे में अपनी चिंताएं भी जताईं.

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अरब देशों के लिए, ट्रंप के प्लान का समर्थन करना अच्छी बात है और यह एक तरह से बिना किसी जोखिम के भागीदारी जैसा है. इन देशों ने बिना किसी ठोस कमिटमेंट के सद्भावना दिखाई.

यह भी पढ़ें: 3 हफ्ते भी नहीं टिकी ट्रंप की पीस डील... गाजा में फिर बमबारी पर उतरा इजरायल, क्या टूट गया सीजफायर

3- ग्राउंड की वास्तविकताएं 

इजरायल नेतन्याहू सरकार का गठबंधन युद्ध को लंबा खींचने पर निर्भर है. कोई भी अहम रियायतें उनकी सरकार और राजनीतिक करियर के लिए खतरा मानी जाती रही हैं. ट्रंप के प्लान को अपनाने के बाद भी, उन्होंने फिलिस्तीनी राज्य के अपने विरोध को दोहराया.

यह प्लान फिलिस्तीनी आवाज़ों हमास और PA दोनों को नज़रअंदाज़ करता है. इसके साथ ही, बाहर से थोपा गया होने के कारण, ज़मीन पर इसकी कोई वैधता नहीं नजर आती. 

समझौते का ऐलान तो हो गया था लेकिन यह साफ नहीं हुआ था कि गाजा के दोबारा निर्माण के लिए फंडिंग कौन करेगा. ट्रंप इनकार करते हैं, नेतन्याहू निश्चित रूप से ऐसा नहीं करेंगे और खाड़ी के डोनर भी कोई वादा नहीं कर रहे हैं.

4- वेस्ट बैंक को लेकर तनाव

सीजफायर लागू होने के बाद वेस्ट बैंक में कई बार इजरायल की तरफ से हमला हुआ. इसमें फिलिस्तीनी गांवों पर आक्रमण, वाहनों पर पथराव, घरों और फसलों को आग लगाना शामिल है.

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यह हिंसा गाजा में सहायता प्रवाह को बाधित करती है, जो ट्रंप की 20-सूत्री योजना के दूसरे चरण के लिए जरूरी है. हमास इसे 'दोहरी नीति' करार देता है, गाजा में शांति की बात, लेकिन वेस्ट बैंक में कब्जा बढ़ाना. 28 अक्टूबर को जेनिन के पास इजरायली सेना ने कई फिलिस्तीनी नागरिकों को मारा. 

यह भी पढ़ें: तो टूट गया सीजफायर! नेतन्याहू ने दिया गाजा पर भीषण हमले का आदेश, हमास के इस कदम से नाराज

5- इंटरनेशनल फौज को लेकर उठापटक

शांति प्लान में कहा गया था कि यूनाइटेड स्टेट्स गाजा में एक 'इंटरनेशनल स्टेबिलाइज़ेशन फोर्स' (ISF) तैनात करने के लिए अरब और इंटरनेशनल पार्टनर्स के साथ सहयोग करेगा. हमास ने इंटरनेशनल फोर्स की तैनाती को सिरे से खारिज किया. वे इसे फिलिस्तीनी संप्रभुता का उल्लंघन और हमास को निष्क्रिय करने का बहाना मानते हैं. हमास ने इस योजना को अस्वीकार किया था.

वहीं, इजरायल के पीएम नेतन्याहू ने कह चुके हैं कि इजरायल ही तय करेगा कि कौन सी विदेशी फोर्स गाजा में तैनात किए जाने के लिए स्वीकार्य होगी. उन्होंने विशेष रूप से तुर्की को बाहर रखने पर जोर दिया था, क्योंकि तुर्की हमास का समर्थक माना जाता है. नेतन्याहू ने अमेरिकी दबाव को 'साझेदारी' कहा, लेकिन तुर्की की भागीदारी को 'अस्वीकार्य' बताया.

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जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला II बीबीसी को दिए इंटरव्यू में कहा, "गाज़ा के अंदर सिक्योरिटी फोर्सेज़ का काम क्या होगा? और हम उम्मीद करते हैं कि यह शांति बनाए रखना होगा, क्योंकि अगर यह शांति लागू करना हुआ, तो कोई भी इसे छूना नहीं चाहेगा."

उन्होंने कहा, “पीसकीपिंग का मतलब है कि आप वहां बैठकर लोकल पुलिस फोर्स, फिलिस्तीनियों को सपोर्ट कर रहे हैं, जिन्हें जॉर्डन और मिस्र बड़ी संख्या में ट्रेन करने को तैयार हैं, लेकिन इसमें समय लगता है. अगर हम हथियारों के साथ गाजा में पेट्रोलिंग कर रहे हैं, तो यह ऐसी स्थिति नहीं है, जिसमें कोई भी देश शामिल होना चाहेगा.”

वहीं, मिस्र ने फिलिस्तीनी भागीदारी के बिना इंटरनेशनल स्टेबिलाइज़ेशन फोर्स में सैनिक भेजने से इनकार किया था.

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