प्रांतीय आव्रजन नियमों में अचानक बदलाव के चलते कनाडा के प्रिंस एडवर्ड आइलैंड में सैकड़ों भारतीय छात्रों को निर्वासन का सामना करना पड़ रहा है. वे इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं और धमकी दी है कि अगर आव्रजन नीति में हालिया बदलावों की समीक्षा नहीं की गई तो वे भूख हड़ताल पर जाएंगे.
कनाडा के एक प्रांत प्रिंस एडवर्ड आइलैंड ने अपने हेल्थकेयर और हाउसिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर पर दबाव के चलते आप्रवासियों की संख्या को कम करने के लिए अपने प्रोविंशियल नॉमिनी प्रोग्राम (पीएनपी) आव्रजन नियमों में बदलाव किए हैं.
काम करने की अनुमति नहीं देते नए नियम
प्रदर्शन कर रहे भारतीयों ने प्रांतीय कनाडाई सरकार पर आव्रजन नियमों को अचानक बदलने और उन्हें काम करने की अनुमति देने से इनकार करने का आरोप लगाया है. रिपोर्ट के मुताबिक ग्रेजुएट होने के बावजूद इन छात्रों को अब निर्वासन का सामना करना पड़ रहा है.
प्रदर्शनकारी भारतीय वर्क परमिट के विस्तार और आव्रजन नीतियों में हाल के बदलावों की समीक्षा की मांग कर रहे हैं. 2023 में भारत से कनाडा आए विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे रूपिंदर पाल सिंह ने कहा, 'हमारी तीन मांगें हैं जिन पर हम फोकस कर रहे हैं.'
क्या हैं प्रदर्शनकारी भारतीयों की मांगें?
उन्होंने कहा, 'सबसे पहले, हम प्रोविंशियल नॉमिनी प्रोग्राम सिस्टम में शामिल होने की मांग करते हैं क्योंकि नए नियम लागू होने से पहले ही हम यहां वैध वर्क परमिट कर काम कर रहे थे. दूसरा, हम निष्पक्ष पीएनपी ड्रॉ की अपील करते हैं. हम समान अवसरों के हकदार हैं. तीसरा, हम अपने वर्क परमिट के विस्तार की मांग करते हैं. सरकारी बदलावों और आर्थिक मुद्दों के चलते हमारे वर्क परमिट बर्बाद हो गए हैं, जिससे हममें से कई लोग बेरोजगार हो गए हैं.'
अप्रवासी छात्रों का विरोध प्रदर्शन 9 मई को लगभग 25 लोगों के साथ शुरू हुआ था और तब से बढ़कर 300 से अधिक हो गया है. लोगों की संख्या में कटौती का फैसला फरवरी में लिया गया था.
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