कनाडा: आठ घंटे इमरजेंसी में तड़पता रहा भारतीय मूल का शख्स, इलाज ना मिलने से हुई मौत

कनाडा के एडमॉन्टन में भारतीय मूल के प्रशांत श्रीकुमार (44) की ग्रे नन्स अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में 8 घंटे के इंतजार के बाद मौत हो गई. सीने में तेज दर्द के बावजूद उन्हें समय पर इलाज नहीं मिला. प्रशांत की मौत से कनाडा के हेल्थकेयर सिस्टम और रिस्पांस टाइम पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं.

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भारतीय मूल के शख्स ने इमरजेंसी में 8 घंटे बिताए और इलाज मिलने की वजह से उसकी मौत हो गई. (Representative image) भारतीय मूल के शख्स ने इमरजेंसी में 8 घंटे बिताए और इलाज मिलने की वजह से उसकी मौत हो गई. (Representative image)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 26 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 10:51 AM IST

कनाडा के एडमंटन शहर से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जहां भारतीय मूल के तीन बच्चों के पिता को समय पर इलाज न मिलने की कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी. 44 वर्षीय प्रशांत श्रीकुमार की 'ग्रे नन्स कम्युनिटी हॉस्पिटल' के इमरजेंसी विभाग में आठ घंटे से ज़्यादा इंतजार के बाद संदिग्ध हार्ट अटैक से मौत हो गई.

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परिजनों के मुताबिक, 22 दिसंबर को काम के दौरान प्रशांत को सीने में तेज़ और असहनीय दर्द शुरू हुआ. हालत बिगड़ती देख एक क्लाइंट उन्हें दक्षिण-पूर्व एडमंटन स्थित ग्रे नन्स अस्पताल लेकर पहुंचा.

अस्पताल पहुंचने पर उन्हें ट्रायेज में दर्ज किया गया और वेटिंग एरिया में बैठने को कहा गया, लेकिन इसके बाद घंटों तक कोई चिकित्सकीय सहायता नहीं मिली. परिवार का आरोप है कि बार-बार गुहार लगाने के बावजूद स्टाफ की ओर से कोई त्वरित प्रतिक्रिया नहीं आई.

अचानक बिगड़ी प्रशांत की हालत

प्रशांत का दर्द हर घंटे बढ़ता गया, लेकिन इलाज शुरू नहीं हुआ. कुछ देर बाद प्रशांत की हालत अचानक बिगड़ गई और वह वहीं गिर पड़े. डॉक्टरों ने उन्हें बचाने की कोशिश की, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी.

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प्रशांत के पिता कुमार श्रीकुमार जब अस्पताल पहुंचे तो बेटे की हालत देख टूट गए. उन्होंने मीडिया को बताया कि उनका बेटा लगातार दर्द से जूझ रहा था. “उसने मुझसे कहा पापा, अब ये दर्द सहा नहीं जा रहा,” यही उसके आखिरी शब्द थे. कुछ ही समय बाद उसकी मौत हो गई. प्रशांत अपने पीछे माता-पिता, पत्नी और तीन बच्चों का भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं.

इस घटना ने कनाडा की स्वास्थ्य व्यवस्था, खासकर इमरजेंसी विभागों में मरीजों की प्राथमिकता तय करने की प्रक्रिया और लंबी प्रतीक्षा अवधि पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. परिजन न्याय और जवाबदेही की मांग कर रहे हैं.

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