वर्ल्ड मीडिया: क्यों भारत को ट्रिपल तलाक खत्म करने में इतना वक्त लगा?

पाकिस्तान के द डॉन ने लिखा कि इस फैसले से पीएम मोदी को समान नागरिक संहिता को लागू करने के लिए बल मिला है.

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प्रतीकात्मक फोटो. प्रतीकात्मक फोटो.

अभि‍षेक आनंद

  • नई दिल्ली,
  • 23 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 11:58 AM IST

भारत के सुप्रीम कोर्ट के ट्रिपल तलाक को असंवैधानिक घोषित करने की खबर को दुनियाभर की प्रमुख मीडिया ने भी तरजीह दी. ब्रिटिश अखबार द गार्जियन ने इसे महिलाओं के अधिकारों के लिए बड़ी सफलता बताया. वहीं, ब्रिटेन के ही द टेलीग्राफ ने लिखा है कि पहली बार सर्वोच्च अदालत ने माना कि ये प्रथा गैरकानूनी है.

 

पाकिस्तान के द डॉन ने लिखा कि इस फैसले से पीएम मोदी को समान नागरिक संहिता को लागू करने के लिए बल मिला है. अखबार ने लिखा कि इस फैसले से शादी खत्म होने के बाद की समस्याओं को हल करने में भी करोड़ों मुसलमानों को मदद मिलेगी.

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अमेरिका के वॉशिंगटन पोस्ट ने लिखा है कि भारत में मुस्लिमों के बीच इंस्टैंट तलाक खत्म हो गया है. यूएई के द नेशनल ने लिखा है कि भारत की महिलाओं की ये कानूनी जीत है. भारत में कई महिलाओं को फोन और व्हाट्सएप से भी इंस्टैंट तलाक दिया गया.

 

वहीं, वॉशिंगटन पोस्ट ने ही अपने एक लेख में इस पर भी सवाल उठाया है कि क्यों भारत को इंस्टैंट तलाक को खत्म करने में इतना लंबा वक्त लग गया? बीबीसी ने लिखा कि भारत की सर्वोच्च अदालत ने ट्रिपल तलाक को गैर-इस्लामिक भी करार दिया है.

 

आपको बता दें कि मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को असंवैधानिक को करार दिया. कोर्ट ने केंद्र सरकार को इसको लेकर 6 महीने के अंदर कानून बनाने को भी कहा. कोर्ट के फैसले की 5 प्रमुख बातें यूं थीं-

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1. मुस्लिमों में तीन तलाक के जरिए तलाक देने की प्रथा गैरकानूनी और असंवैधानिक है.

2. 5 में से 3 जजों ने कहा कि ट्रिपल तलाक जैसी कोई भी प्रथा मान्य नहीं है जो कुरान के मुताबिक न हो.

3. 3 जजों का यह भी कहना था कि ट्रिपल तलाक के जरिए तलाक देना एक तरह से मनमानी है, यह संविधान का उल्लंघन है इसे खत्म किया जाना चाहिए.

4. वहीं दो जजों ने कहा कि अगर केंद्र सरकार अगले 6 महीने में इसको लेकर कानून नहीं बनाया तो इस पर बैन जारी रहेगा.

5. देश की सर्वोच्च अदालत ने सभी राजनीतिक पार्टियों को कहा कि कानून बनाने के लिए अपने मतभेदों को किनारे रखते हुए केंद्र सरकार की मदद करें.

 

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