'गाजा में इजरायली हमले से एक और बंधक की मौत', हमास ने वीडियो में किया दावा

हमास ने कहा कि ब्रिटिश नागरिक पोपवेल को एक महिला के साथ हिरासत में लिया गया था. लेकिन जिस जगह उन्हें रखा गया था, उसे एक इजरायली मिसाइल ने निशाना बनाया था. हालांकि इसको लेकर अभी तक इजरायली सेना ने कोई बयान नहीं दिया है.

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गाजा में एक और इजरायली बंधक की मौत का दावा (फाइल फोटो) गाजा में एक और इजरायली बंधक की मौत का दावा (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 12 मई 2024,
  • अपडेटेड 12:55 AM IST

इजरायल और फ़ीलिस्तीन के बीच महीनों से चल रही जंग अब भी जारी है. इस बीच फीलिस्तीनी इस्लामी समूह हमास ने शनिवार को कहा कि 7 अक्टूबर को इजरायल पर हमले के दौरान बंधक बनाए गए लोगों में से एक और की मौत हो गई है. हमास ने एक वीडियो जारी कर कहा कि दक्षिणी इजरायली समुदाय किबुत्ज़ निरिम से बंधक बनाए गए नदाव पोपवेल की गाजा में इजरायली हमले में घायल होने के बाद मौत हो गई.

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हालांकि इसको लेकर इजरायली सेना की तरफ से फिलहाल कोई बयान सामने नहीं आया है. इससे पहले हमास द्वारा रिहा किए गए बंधकों के पिछले वीडियो को इजरायली सेना ने मनोवैज्ञानिक आतंक बताया गया था. सेना ने हमास के पिछले कुछ आरोपों का भी खंडन किया है कि बंधकों की मौत इजरायली गोलीबारी में हुई है.

इससे पहले शनिवार को हमास ने एक सफेद दीवार के सामने 51 वर्षीय बंदी का एक वीडियो जारी किया था, जिसमें उसकी दाहिनी आंख पर चोट के निशान थे और वह अपना नाम बोल रहा था. कुछ घंटों बाद, दूसरे वीडियो में यह कहा गया कि एक महीने पहले इजरायली हवाई हमले में लगे घावों के कारण पॉपलवेल की मृत्यु हो गई.

हमास ने कहा कि ब्रिटिश नागरिक पोपवेल को एक महिला के साथ हिरासत में लिया गया था. लेकिन जिस जगह उन्हें रखा गया था, उसे एक इजरायली मिसाइल ने निशाना बनाया था.

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हमास सशस्त्र विंग के प्रवक्ता अबू उबैदा ने एक बयान में कहा, "गाजा में दुश्मन द्वारा अस्पतालों को तबाह करने के कारण उसे सही इलाज नहीं मिलने के कारण उसकी मौत हो गई."

इज़रायली आंकड़ों के मुताबिक, 7 अक्टूबर को अगवा किए गए 252 लोगों में से 128 लोग गाजा में ही हैं. उनमें से कम से कम 36 को इजरायली फोरेंसिक समिति ने मृत घोषित कर दिया है.

इजरायल का कहना है कि गाजा में हमले का उद्देश्य बंधकों की रिहाई सुनिश्चित करना और हमास को खत्म करना है, जिसने 2007 से इस क्षेत्र पर शासन किया है. बंधक सहायता समूह के मुताबिक, पॉपलवेल को उसकी मां के साथ किबुत्ज़ निरिम में उसके घर से पकड़ लिया गया था. हमले के दौरान उसके भाई की मौत हो गई थी. उसकी मां को नवंबर में एक संक्षिप्त युद्धविराम के दौरान छोड़ दिया गया था.

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