हमास चीफ इस्माइल हानिया ईरान के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने तेहरान पहुंचे थे. पेजेश्कियान ने मंगलवार को पद की शपथ ली. लेकिन अगले ही दिन हानिया को हवाई हमले में मार गिराया गया. हानिया की मौत से ईरान तिलमिलाया हुआ है. सुप्रीम लीडर खामेनेई ने ईरानी सेना को इजरायल पर सीधे हमले का आदेश भी दे दिया है. लेकिन इजरायल पर हमले में ईरान अकेला नहीं होगा. उसके सहयोगी देश इस जंग में उसका साथ दे सकते हैं.
ईरान के पास दुनिया की सबसे ताकतवर सेनाओं में से एक इस्लामिक गार्ड कॉर्प्स है. इसके अलावा ईरान को फिलिस्तीन में हमास, लेबनान में हिज्बुल्लाह और यमन में हूती का समर्थन है. इजरायल पर ईरान के इस हमले में तेहरान के कई सहयोगी देश उसका साथ दे सकते हैं. इनमें इराक से लेकर सीरिया, लेबनान और यमन जैसे देश शामिल हैं.
मिडिल ईस्ट में ईरान समर्थित समूह
इजरायल की सीमा मिस्र, जॉर्डन, सीरिया, लेबनान, वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी से लगती है. इसमें से मिस्र और जॉर्डन को अगर छोड़ दें तो इजरायल कई ईरान समर्थित देशों से घिरा है. मध्यपूर्व में ऐसे कई हथियारबंद ग्रुप हैं जिनका ईरान से करीबी संबंध है. इनमें गजा पट्टी में हमास, लेबनान में हिज़्बुल्लाह और यमन में हूती विद्रोही हैं. इनके अलावा इराक, सीरिया और बहरीन में ऐसे कई ग्रुप हैं, जिनका ईरान को सीधा-सीधा समर्थन है. कई देशों में तो ईरान के सैन्यअड्डे भी हैं. ऐसे में कहा जा रहा है कि इजरायल पर ईरान के हमले में ये देश भी शामिल हो सकते हैं और किसी भी मोर्चे से इजरायल पर हमला हो सकता है.
इजरायल के खिलाफ ईरान के इस ऐलान-ए-जंग में सबसे पहाल नाम लेबनान का है. लेबनानी ग्रुप हिज्बुल्लाह की फंडिंग ईरान करता है और ईरान ही इस ग्रुप के सदस्यों को प्रशिक्षित भी करता है.
अक्तूबर 2023 में इजरायल पर हमास के हमले के बाद से हिज्बुल्लाह लगातार उसके पाले में खड़ा है. हमास के समर्थन में ही हिज्बुल्लाह ने इजरायल-लेबनान सीमा से इजरायल की ओर रॉकेट और मोर्टार दागना शुरू किया था. ईरान और उसका साथी हिज्बुल्लाह हमास के आतंकियों को प्रशिक्षिण भी देता है. ऐसे में इसमें कोई दोराय नहीं है कि इजरायल के खिलाफ इस जंग में जरूरत पड़ने पर लेबनान पीछे हटने वाला नहीं है. ईरान और हिजबुल्लाह की ओर से इजरायल पर दोतरफा हमला हो सकता है.
यमन में एक्टिव हौती विद्रोहियों को भी ईरान का कट्टर समर्थक माना जाता है. यमन समर्थित हौती विद्रोही लाल सागर में एक्टिव हैं. यमन में ईरान के लड़ाकों की आवाजाही किसी से छिपी नहीं है. रिपोर्ट के मुताबिक, यमन में ईरानी लड़ाकों के अड्डे भी हैं, जहां से जरूरत पड़ने पर तेहरान इजरायल पर हमला कर सकता है.
सीरिया में ईरान की सीधी मौजूदगी है. कई शिया समूहों में ईरान का अच्छा-खासा प्रभाव है. बीते अप्रैल महीने में दमिश्क में ईरान के दूतावास पर हमले के बाद ईरान ने इजरायल पर सीधा हमला किया था. ऐसे में सीरिया को भी इस जंग में ईरान के पाले में खड़ा देखा जा सकता है. इसके साथ ही गाजा पट्टी में सक्रिय हमास भी ईरान समर्थित संगठनों में शामिल है.
बता दें कि इससे पहले 13 अप्रैल की आधीरात जब ईरान ने इजरायल पर ड्रोन और मिसाइलों से हमला किया था, तो इसमें सीरिया और इराक भी उतर आए थे. वहीं, लेबनान के ईरान समर्थित चरमपंथी गुट हिज्बुल्लाह ने भी सीरिया में बने इजरायली मिलिट्री बेस पर हमला किया था.
वहीं, ईरान के हमले के इस आदेश के बाद इजरायली सेना की ओर से भी जवाब आय़ा है. इजरायली एयरफोर्स के कमांडर मेजर जनरल तोमेरे बार ने कहा कि एयर फोर्स युद्ध के हर क्षेत्र में देश की रक्षा और हमला करता है. हम किसी भी परिस्थिति में मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार हैं. जो भी इजरायल और इजरायली नागरिकों को नुकसान पहुंचाने की योजना बनाएगा, हम उसे मुंहतोड़ जवाब देंगे. ऐसी कोई भी जगह नहीं है, जो हमारी जद से दूर हो या जहां हम हमला नहीं कर सकें.
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