अमेरिका की एक सांसद ने घोषणा की है कि वो एक ऐसा बिल पेश करेंगी जिसके जरिए H-1B वीजा प्रोग्राम को पूरी तरह समाप्त कर दिया जाएगा और उसके साथ मिलने वाला अमेरिका में नागरिकता का रास्ता भी बंद कर दिया जाएगा. उनका कहना है कि वीजा खत्म होते ही लोगों को अपने देश वापस जाना होगा.
अमेरिका की जॉर्जिया से सांसद मार्जोरी टेलर ग्रीन ने X (ट्विटर) पर एक वीडियो में कहा कि मैं H-1B वीजा कार्यक्रम को खत्म करने का बिल ला रही हूं. ये वीजा सालों से धोखाधड़ी, दुरुपयोग और अमेरिकी कर्मचारियों को हटाने के लिए इस्तेमाल होता आया है.
बिल में होगी सिर्फ एक छूट
ग्रीन ने बताया कि उनके बिल में सिर्फ एक छूट होगी कि हर साल 10,000 मेडिकल प्रोफेशनल्स (डॉक्टर, नर्स आदि) को वीजा दिया जाएगा. लेकिन ये संख्या भी 10 साल में पूरी तरह खत्म कर दी जाएगी ताकि अमेरिका अपने डॉक्टर खुद तैयार कर सके. उन्होंने कहा कि उनके बिल के मुताबिक H-1B धारकों के लिए नागरिकता का रास्ता बंद कर दिया जाएगा और 'वीजा खत्म होते ही उन्हें अपने देश लौटना होगा.'
H-1B का असली मकसद था अस्थायी काम
ग्रीन बोलीं कि ये वीजा अस्थायी जरूरतों के लिए बनाया गया था. लोग यहां हमेशा रहने के लिए नहीं आते. हम उनके काम की कद्र करते हैं, लेकिन उन्हें वापस लौटना चाहिए. ये'अमेरिका फर्स्ट' की नीति है.
मेडिकल रेजिडेंसी में विदेशी छात्रों पर रोक
ग्रीन का दावा है कि पिछले साल अमेरिका में 9000 अमेरिकी डॉक्टर, मेडिकल कॉलेज से पास होने के बाद भी रेजिडेंसी नहीं पा सके जबकि 5000 विदेशी डॉक्टरों को रेजिडेंसी सीट मिल गई. उनके बिल के तहत Medicare से फंड मिलने वाले सभी रेजिडेंसी कार्यक्रमों में विदेशी मेडिकल छात्रों को एडमिशन देने पर रोक लग जाएगी.
क्या है अभी H-1B का सिस्टम?
हर साल 65000 सामान्य H-1B वीजा दिए जाते हैं.
20,000 अतिरिक्त वीजा (अमेरिका में मास्टर/पीएचडी धारकों के लिए)
ये वीजा मुख्यतः टेक कंपनियां इस्तेमाल करती हैं.
भारत के टेक प्रोफेशनल्स और डॉक्टरों का इसमें बड़ा हिस्सा है.
कंपनियां H-1B कर्मचारियों के लिए ग्रीन कार्ड भी अप्लाई कर सकती हैं.
ग्रीन कार्ड मिलने के पांच साल बाद वे अमेरिकी नागरिकता के लिए अप्लाई कर सकते हैं.
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