जानिए खालिस्तानी आतंकी Gurpatwant Singh Pannun की क्राइम कुंडली, जिसने हिंदुओं को कनाडा छोड़ने की धमकी दी, ट्रूडो के सपोर्ट के बाद से उगल रहा आग

गुरुपतवंत सिंह पन्नू... खालिस्तानी आतंक का विदेश में बैठा चेहरा, जो आए दिन भारत के खिलाफ आग उगलता रहता है. अब पन्नू ने कनाडा में रह रहे भारतीय हिंदुओं को धमकी देते हुए उन्हें जल्द से जल्द कनाडा छोड़ने की धमकी दे डाली है.

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गुरुपतवंत सिंह पन्नू (File Photo) गुरुपतवंत सिंह पन्नू (File Photo)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 21 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 11:50 AM IST

कनाडा से लेकर ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया से लेकर अमेरिका तक. इन देशों में जब भी खालिस्तान समर्थक गतिविधियां होती हैं तो उसमें गुरुपतवंत सिंह पन्नू (Gurpatwant Singh Pannun) नामक आतंकी का नाम जरूर सामने आता है. भारत के खिलाफ हमेशा जहर उगलने वाले पन्नू को हमारी सरकार ने डेजिग्नेटिड टेररिस्ट यानी आतंकी घोषित कर रखा है. भारत में उसके खिलाफ राजद्रोह के 3 मामलों सहित 22 आपराधिक केस दर्ज हैं. पन्नू सिख फॉर जस्टिस (SFJ) नाम का समूह भी चलाता है, जिसे गृह मंत्रालय ने प्रतिबंधित संगठन की सूची में डाल रखा है.

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भारत को तोड़ने की हसरत रखने वाला खालिस्तानी आतंकी पन्नू विदेशी धरती पर कई बार खालिस्तान समर्थकों के साथ भारत विरोधी प्रदर्शन कर चुका है. जस्टिन ट्रूडो के आरोपों के बाद कनाडा के साथ बिगड़ते रिश्तों के बीच पन्नू भी एक्टिव हो गया है. उसने कनाडा में रह रहे भारतीय हिंदुओं को कनाडा छोड़कर भारत चले जाने की धमकी दी है. इसके लिए उसने 'भारतीय हिंदुओं, कनाडा छोड़ो' नामक कैंपेन चलाना शुरू कर दिया है.

पन्नू की धमकी पर भड़के कनाडाई हिंदू सांसद

पन्नू की धमकी पर कनाडा की सत्ताधारी लिबरल पार्टी के हिंदू सांसद चंद्र आर्य ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई है. उन्होंने कहा है कि अधिकांश कनाडाई सिख भाई-बहन खालिस्तान आंदोलन का समर्थन नहीं करते हैं. अधिकांश सिख कनाडाई कई कारणों से खालिस्तान आंदोलन की सार्वजनिक रूप से निंदा नहीं कर सकते हैं, लेकिन वे हिंदू-कनाडाई समुदाय से गहराई से जुड़े हुए हैं. बता दें कि कनाडा में जस्टिन ट्रूडो भी लिबरल पार्टी की ही सरकार है.

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पंजाब के खानकोट से कैसे US पहुंचा पन्नू?

गुरपतवंत सिंह पन्नू पंजाब के अमृतसर जिले के बाहरी इलाके खानकोट गांव का रहने वाला है. उसकी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई यहीं हुई है. पन्नू ने पंजाब यूनिवर्सिटी से लॉ किया है. इसके बाद वह विदेश चला गया था. वहां, उसने शुरुआत के कुछ सालों तक कैब ड्राइवर बनकर काम किया और बाद में वकालत शुरू कर दी. तब से वह अमेरिका और कनाडा में ही रह रहा है. पन्नू के पास अमेरिकी नागरिकता है. वह विदेश में रहकर ही खालिस्तानी मूवमेंट चलाता है. साल 2006 से पन्नू खालिस्तान का मुखर समर्थक बन गया है. भारत के खिलाफ एजेंडा चलाने वाले पन्नू को इस काम में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI की मदद मिलती है.

पिता कृषि विभाग में कर चुके हैं नौकरी

पन्नू के पिता मोहिंदर सिंह पंजाब के कृषि विपणन बोर्ड में नौकरी कर चुके हैं. उसकी मां का नाम अमरजीत कौर है. पन्नू का एक भाई भी है, जिसका नाम मगवंत सिंह पन्नू है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पन्नू का परिवार भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के समय पाकिस्तान से माइग्रेट होकर पंजाब के खानकोट गांव आ गया था.

क्यों जारी नहीं हुआ रेड कॉर्नर नोटिस?

विदेशी धरती पर रहकर आतंकवाद फैलाने वाले गुरपतवंत सिंह पन्नू के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने के लिए भारत सरकार इंटरपोल से 2 बार अपील कर चुकी है. आखिरी बार 2022 में अपील की गई थी, लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि कम जानकारी होने का हवाला देते हुए इंटरपोल भारत की अपीलों को दोनों बार खारिज कर चुकी है.

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क्या है सिख फॉर जस्टिस संगठन?

अमेरिका में बने सिख फॉर जस्टिस की शुरुआत साल 2007 में हुई थी. इस संगठन का मुख्य एजेंडा पंजाब में अलग से खालिस्तान बनाने का है. अमेरिका में वकील गुरपतवंत सिंह पन्नू SFJ का चेहरा है. गणतंत्र दिवस से पहले गुरपतवंत सिंह ने ही हिंसा को लेकर धमकी दी थी. सिख फॉर जस्टिस संगठन ने ही रेफरेंडम 2020 का आयोजन करने की कोशिश की थी, जिसमें दुनियाभर में सिखों से शामिल होने को कहा गया और खालिस्तान बनाने के कैंपेन को बढ़ावा देने की कोशिश की गई थी.

SFJ पर भारत में लगा हुआ है प्रतिबंध

साल 2019 में केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से सिख फॉर जस्टिस पर बैन लगाया गया और इस संगठन पर भारत में देशविरोधी कैंपेन चलाने का आरोप लगा. UAPA एक्ट के तहत इस संगठन पर बैन लगा था. केंद्रीय गृह मंत्रालय के मुताबिक, सिख फॉर जस्टिस संगठन पंजाब में लोगों को भड़काने की कोशिश कर रहा है. साथ ही दुनिया के कई स्थानों में खालिस्तान की मांग को लेकर प्रदर्शन किए गए जिससे भारत की छवि धूमिल हुई है.

किसान आंदोलन के बीच हुई चर्चा

कृषि कानून के खिलाफ भारत में जो आंदोलन शुरू हुआ, वो कई बार सत्ताधारी दल के निशाने पर रहा. भारतीय जनता पार्टी ने कई बार आरोप लगाया कि किसान आंदोलन में कई ऐसे संगठन शामिल हो चुके हैं, जो खालिस्तान का समर्थन करते हैं. इस दौरान सिख फॉर जस्टिस का नाम भी आया. दिल्ली में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने पंजाब के कई किसान नेताओं, संगठनों को नोटिस दिया था. इन सभी पर सिख फॉर जस्टिस संगठन के साथ संपर्क करने, किसान आंदोलन को भड़काने का आरोप लगाया था, जिसपर काफी बवाल हुआ था.

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