तालिबान पाकिस्तान के ही गले की बनेगा फांस, CIA के पूर्व डायरेक्टर की दो टूक

अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए के पूर्व डायरेक्टर जनरल डेविड एच पेट्रेस ने कहा है कि अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता की वापसी दिल तोड़ने वाली है. इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में वर्चुएल कनेक्ट के सहारे जनरल डेविड ने ये भी कहा कि तालिबान की वापसी से पाकिस्तान में खुशी का माहौल भले ही हो लेकिन ये खुशी बहुत ज्यादा दिनों तक टिकने वाली नहीं है.  

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General David H Petraeus क्रेडिट: फाइल फोटो General David H Petraeus क्रेडिट: फाइल फोटो

aajtak.in

  • नई दिल्ली ,
  • 08 अक्टूबर 2021,
  • अपडेटेड 7:29 PM IST
  • पूर्व सीआईए डायरेक्टर बोले, तालिबान की वापसी से निराश हूं
  • अफगानिस्तान के हालात पाकिस्तान के लिए भी चुनौती

अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए के पूर्व डायरेक्टर जनरल डेविड एच पेट्रेस ने कहा है कि अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता में वापसी दिल तोड़ने वाली है. इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में वर्चुएल कनेक्ट के सहारे जनरल डेविड ने ये भी कहा कि तालिबान की वापसी से पाकिस्तान में खुशी का माहौल भले ही हो लेकिन ये खुशी बहुत ज्यादा दिनों तक टिकने वाली नहीं है.  

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जनरल डेविड ने कहा कि मैंने अपने करियर के पिछले 11 सालों में  8-9 साल इस्लामिक कट्टरपंथ को लेकर काम किया है. काबुल में तालिबान की वापसी देखकर दिल टूटता है और ये सिर्फ हमारे लिए नहीं बल्कि अफगानिस्तान के लोगों के लिए भी बहुत बड़ी त्रासदी होने जा रही है. मैं अफगानों के लिए चिंतित हूं. उनकी इकोनॉमी हाशिये पर है, बिजली की सेवाएं भी अफगानिस्तान में खत्म हो सकती है, इसके अलावा भी अफगानिस्तान के लोग कई तरह की चुनौतियों से जूझ रहे हैं. मुझे लगता है कि अफगानिस्तान के लिए आने वाले दिन बहुत ही ज्यादा मुश्किल भरे होने जा रहे हैं. 

डेविड ने कहा कि हमारे लिए अफगानिस्तान में सबसे बड़ी चुनौती थी कि पाकिस्तान अपने क्षेत्र में उन संस्थाओं के हेडक्वार्टर को कंट्रोल नहीं कर पा रहा था जिसके चलते अफगानिस्तान के लोगों और अफगानिस्तान की फोर्स के लिए हालात मुश्किल हो रहे थे. मुझे नहीं पता कि पाकिस्तान ऐसा करना नहीं चाहता था या फिर उसमें ऐसा करने की क्षमता ही नहीं थी. तालिबान का अंदरूनी संघर्ष भी जगजाहिर है. मुल्ला बरादर और हक्कानी नेटवर्क के बीच तनातनी लोगों के सामने आ चुकी है.

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'पाकिस्तान में लाखों की संख्या में पहुंचेंगे अफगानी शरणार्थी'

उन्होंने आगे कहा कि इसके अलावा तालिबान को आईएस-के के खतरे से भी जूझना पड़ रहा है. अफगानिस्तान के उत्तरी हिस्से की मस्जिद में भीषण बम धमाका भी हुआ है. इस सबका तात्पर्य ये है कि पाकिस्तान के लिए हालात भी अच्छे नहीं होने जा रहे हैं क्योंकि लाखों की संख्या में अफगानिस्तान के शरणार्थी पाकिस्तान पहुंचेंगे. पाकिस्तान के खुद के हालात काफी संवेदनशील बने हुए हैं. 20 साल पहले भी पाकिस्तान में इसी तरह शरणार्थियों का जमघट लग गया था. पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है, ऐसे में शरणार्थियों की समस्या से निपटना और चुनौतीपूर्ण होगा. अगर पाकिस्तान को लगता है कि तालिबान की हुकूमत आने से उसे जश्न मनाने का मौका मिल गया है, तो उसकी ये खुशी जल्द काफूर हो सकती है. 

 

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