फर्जी में गढ़ लिया 'फितना-अल-हिन्दुस्तान' का नैरेटिव, बागी बलोचों और TTP के खिलाफ पस्त हो गया है PAK!

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और वहां की सेना "फितना-अल-हिन्दुस्तान" और "फितना-अल-ख्वारिज" जैसे शब्दों की रट लगाए हुए हैं और अपनी हर नाकामी का दोष भारत पर मढ़ देते हैं. दरअसल ये फेल हो चुके पाकिस्तानी स्टेट की ओर से भारत के विरुद्ध फर्जी नैरेटिव फैलाने की पाकिस्तानी कोशिश है. इनके पास के भारत के खिलाफ कोई सबूत नहीं है.

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TTP लंबे समय से पाकिस्तान के खिलाफ छापामार हमले कर रही है. (Photo: AFP) TTP लंबे समय से पाकिस्तान के खिलाफ छापामार हमले कर रही है. (Photo: AFP)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 09 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 9:51 AM IST

'फितना-अल-हिन्दुस्तान', 'फितना-अल-ख्वारिज' जैसे भारी-भरकम शब्दों की आड़ में पाकिस्तान दुनिया भर में भारत को बदनाम करने के लिए फर्जी नैरेटिव गढ़ रहा है. पाकिस्तान ने बेहद हास्यास्पद आरोप लगाया है कि बुधवार को तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान ने जिन 11 पाकिस्तानी सेना के अफसरों और जवानों की हत्या की है उसके पीछे भारत का समर्थन है. 

बुधवार की वारदात की निंदा करते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी दोनों ने ही भारत पर आरोप लगाया है.  शहबाज शरीफ ने कहा है कि, "हम भारत समर्थित आतंकवादियों के नापाक इरादों को कुचल देंगे. हम पाकिस्तान की अखंडता को नुकसान पहुँचाने वाले तत्वों को कामयाब नहीं होने देंगे."

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वहीं राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि, "राष्ट्रपति ने भारत समर्थित ख्वारिज 19 आतंकियों के सफाये पर संतोष जाहिर किया है."

पाकिस्तान सेना अपने मुल्क में हर छोटे बड़े हमले के लिए 'फितना-अल-हिन्दुस्तान' का इस्तेमाल करती है. 

आइए सबसे पहले समझते हैं कि 'फितना-अल-हिन्दुस्तान' और 'फितना-अल-ख्वारिज' का मतलब क्या होता है?

"फितना-अल-हिन्दुस्तान" और "फितना-अल-ख्वारिज" दो शब्द हैं जिनका इस्तेमाल पाकिस्तान में प्रोपगैंडा और वैचारिक नैरेटिव के लिए किया जाता है. 

'फितना-अल-हिन्दुस्तान' में "फितना" अरबी में "अशांति" या "विद्रोह" को दर्शाता है. यानी कि पाकिस्तान के लिए इसका अर्थ उस टर्म से है जिसका मतलब होता है 'हिन्दुस्तान से आई अशांति'.

पाकिस्तानी सेना और ISPR ने 2025 में इसे बलोच विद्रोह और आतंकी हमलों (जैसे TTP) के लिए भारत को दोषी ठहराने हेतु इस्तेमाल किया हैं. 
यह नैरेटिव भारत को 'अस्थिरता का स्रोत' बताकर पाकिस्तान की आंतरिक विफलताओं जैसे आर्थिक संकट, बलोच दमन से ध्यान भटकाता है. 

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पाकिस्तान का अर्थ फर्जी नैरेटिव क्षेत्रीय अशांति के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराने का हथकंडा है. 

पाकिस्तानी अखबार डॉन की एक रिपोर्ट के अनुसार फितना अल-ख्वारिज एक ऐसा शब्द है जिसका इस्तेमाल पाकिस्तानी सरकार प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान से जुड़े उपद्रवियों के लिए करती है. डॉन कहता है कि इस वर्ष मई में सरकार ने बलूचिस्तान के सभी आतंकवादी संगठनों को फितना अल-हिंदुस्तान नाम दिया था.

TTP ने बुधवार को 11 पाकिस्तानी सैनिकों को मार दिया था. (Photo: DG ISPR)

'फितना-अल-ख्वारिज' में "ख्वारिज" इस्लामिक इतिहास में एक कट्टरपंथी समूह की ओर इशारा करता है. पाकिस्तान इसे TTP जैसे संगठनों के लिए इस्तेमाल करता है और इन्हें अपनी सुविधानुसार "इस्लाम से भटका" हुआ बताता है. यह नैरेटिव आतंकवाद को भारत से जोड़ने और आंतरिक सुरक्षा नाकामियों को छिपाने का प्रयास है. 

कैसे फेक है पाकिस्तान का नैरेटिव

डॉन की रिपोर्ट में लिखा गया है कि "फितना-अल-हिन्दुस्तान" और "फितना-अल-ख्वारिज" जैसे पाकिस्तान की नई खोज हैं. खासकर ऑपरेशन सिंदूर में भारत के हाथों करारी शिकस्त झेलने के बाद. TTP की जडें पाकिस्तान में है. इसकी पैठ पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के पूर्वी और उत्तरी हिस्से, जैसे दक्षिण वजीरिस्तान, उत्तर वजीरिस्तान, मोहमान्ड, बाजौर, कुर्रम, उर्फान और लक्की मरवत में है.

इसके अलावा अगर अफगानिस्तान में देखें तो TTP पूर्वी प्रांत जैसे खोस्त, नंगरहार और कुन्नर में छिपा है, जहां से TTP पाकिस्तान पर हमले प्लान करता है. इन इलाकों की सीमा भारत से छूती भी नहीं है, फिर भी पाकिस्तान दुनिया को बरगलाने के लिए भारत पर आरोप लगाता है. 

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TTP की पाकिस्तान से अपनी नाराजगियां हैं. जैसे कि पाकिस्तान में शरिया-आधारित शासन स्थापित करना चाहता है, जो अफगान तालिबान से प्रेरित है. यह समूह पाकिस्तानी सरकार और सेना को "गैर-इस्लामिक" मानता है, क्योंकि वे अमेरिका और पश्चिमी देशों के साथ सहयोग करते हैं. ये संगठन खैबर पख्तूनख्वा में पाकिस्तानी सेना के अभियानों का खात्मा चाहता है तथा पाकिस्तानी जेल में बंद TTP लड़ाकों की रिहाई चाहता है. मध्ययुगीन बर्बरता और महिलाओं को दोयम दर्जे का इंसान मानने वाले TTP से भारत का कोई लेना-देना नहीं है. 

अगर पाकिस्तान में बलोच विद्रोहियों के हमले की बात करें तो पाकिस्तान का बलूचिस्तान में मानवाधिकारों को कुचलने का रिकॉर्ड रहा है. पाकिस्तान इन इलाकों में वायुसेना से विमानों से हमले करता है. इसके बाद जब बलोची विद्रोही पाक सैनिकों पर हमले करते हैं तो पाकिस्तान इसमें बेहद शर्मनाक रूप से भारत का हाथ बता देता है. 

जफर एक्सप्रेस हमले पर खूब चिल्लाया, कभी सबूत नहीं दिया

पाकिस्तान की सेना से लेकर आला हुक्मरान तक बार बार कहते हैं कि उनके पास भारत के खिलाफ सबूत है. पाकिस्तान में जब जफर एक्सप्रेस पर बलोचों ने हमला किया तो उन्होंने एक बार फिर से इस हमले में भारत का हाथ होने का बेबुनियाद दावा किया. पाकिस्तानी अधिकारियों ने कहा कि  उन्होंने अफगानिस्तान से कॉल्स ट्रेस किया है और इसके लिंक भारत से हैं. लेकिन उन्होंने इसका कोई सबूत नहीं दिया. 

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इस हमले में मुख्य रूप से बलोचिस्तान के तत्कालीन मुख्यमंत्री सरफराज बुगती ने भारत के खिलाफ "सॉलिड एविडेंस" होने का जुबानी दावा किया, लेकिन एक तिनका सबूत भी नहीं दिया. अक्टूबर 2025 में जफर एक्सप्रेस पर हुए हमले में रेल मंत्री हनीफ अब्बासी ने एक बार फिर भारत मढ़ दिया लेकिन उनके पास सबूत के नाम पर कुछ भी नहीं था. 
 

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