पाकिस्तान की बर्बादी से क्यों डरा बैठा हुआ है जिगरी दोस्त चीन?

महंगाई और गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान के ऊपर डिफॉल्ट होने का खतरा मंडरा रहा है. पाकिस्तान में गहराता आर्थिक संकट और विदेशी कर्ज न चुकाने की संभावनाओं को देखते हुए चीन भी चिंतित है क्योंकि पाकिस्तान के ऊपर सबसे ज्यादा कर्ज चीन का ही है.

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चीन की राष्ट्रपति शी जिनपिंग (फोटो-रॉयटर्स) चीन की राष्ट्रपति शी जिनपिंग (फोटो-रॉयटर्स)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 21 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 3:38 PM IST

आर्थिक तंगी और महंगाई की मार झेल रहे पाकिस्तान की मुश्किलें दिनों-दिन बढ़ती जा रही है. विदेशी मुद्रा की कमी की वजह से पैदा हुए भुगतान संकट से आयात प्रतिबंध जारी है. पाकिस्तान डिफॉल्ट होने के कगार पर है. पाकिस्तान की बर्बादी की आशंका से चीन भी डरा हुआ है.

गंभीर आर्थिक संकट में फंसे पाकिस्तान पर सबसे ज्यादा कर्ज चीन का है. इस आर्थिक संकट से उबरने के लिए पाकिस्तान एक से एक बढ़कर हथकंडे अपना रहा है, लेकिन हालत बद से बदतर होती जा रही है. पाकिस्तान में गहराता आर्थिक संकट और विदेशी कर्ज न चुकाने की संभावनाओं को देखते हुए चीन भी चिंतित है. 

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चीन ने सोमवार को कहा है कि इस गंभीर आर्थिक संकट से निपटने के लिए पाकिस्तान की ओर से उठाए गए कदमों का वह समर्थन करता है, उम्मीद है कि पाकिस्तान इससे उबर कर आगे बढ़ेगा. 

चालू खाता घाटा में भारी गिरावट

पाकिस्तानी अंग्रेजी अखबार 'द डॉन' के मुताबिक, स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) की ओर से सोमवार को जारी आकड़ों के अनुसार, भुगतान संकट के कारण वर्तमान में पाकिस्तान का चालू खाता घाटा जनवरी 2022 की तुलना में लगभग 90 फीसदी गिरकर 0.24 अरब डॉलर मात्र रह गया है. जबकि जनवरी 2022 में यह आंकड़ा 2.47 अरब डॉलर था. 

रिपोर्ट के मुताबिक, दिसंबर 2022 की तुलना में जनवरी 2023 महीने की चालू खाता घाटा में भी 16 फीसदी से ज्यादा की कमी दर्ज की गई है. दिसंबर 2022 में यह आंकड़ा 0.29 अरब डॉलर था. 

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चालू खाता घाटा का मतलब यह है कि जब किसी देश की ओर से खरीदी जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं की कुल लागत उसकी तरफ से बेची गई वस्तुओं एवं सेवाओं की कुल लागत से अधिक हो जाता है. 

विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान के आर्थिक संकट से चीन इसलिए चिंतित है, क्योंकि पाकिस्तान के हालात श्रीलंका के आर्थिक संकट की तरह होने वाला है.

इसके अलावा गहरे कर्ज में डूबे अफ्रीकी देशों पर भी चीन का भारी-भरकम कर्ज है. इनमें से कई देशों ने इस कर्ज की कड़ी आलोचना की है. यहां तक कि कई लोग इसे बट्टे खाते में डालने तक की मांग कर चुके हैं. ऐसे में चीन को यह डर सता रहा है कि इससे देश की अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी पड़ सकती है. 

30 फीसदी से ज्यादा कर्ज चीन का

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के आंकड़ों के अनुसार, पाकिस्तान के कुल विदेशी कर्ज 126 अरब अमेरिकी डॉलर में से लगभग 30 अरब अमेरिकी डॉलर का कर्ज चीन का है.

पाकिस्तानी वेबसाइट डॉन की रिपोर्ट की मानें तो चीन का कुल कर्ज आईएमएफ के कुल कर्ज के तीन गुना से भी अधिक है. वहीं, विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक के कुल कर्ज से भी अधिक है. 

पाकिस्तान डिफॉल्ट हो चुका हैः पाकिस्तानी मंत्री 

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने रविवार को एक चौंकाने वाली टिप्पणी करते हुए कहा कि पाकिस्तान पहले ही डिफॉल्ट हो चुका है. मंत्री ने कहा कि आपको यह लग रहा होगा कि पाकिस्तान दिवालिया हो रहा है यानी डिफॉल्ट या मेल्टडाउन हो रहा है. परन्तु पाकिस्तान डिफॉल्ट हो चुका है. हम एक दिवालिया हो चुके देश में रह रहे हैं.

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पाकिस्तानी मंत्री की इस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान के साथ चीन की सहानुभूति है.

चीन ने बयान जारी करते हुए कहा, "एक बेहतरीन रणनीतिक साझेदार और दोस्त देश के रूप में चीन पाकिस्तान की मौजूदा कठिनाइयों के प्रति सहानुभूति रखता है और इससे निपटने के लिए उठाए गए कदमों का समर्थन करता है. चीन पाकिस्तान की सहायता करना जारी रखेगा और देश में स्थिरता और सतत विकास के लिए सभी जरूरी सहयोग करेगा. 

हमें विश्वास है कि पाकिस्तान इन कठिनाइयों से उबर कर आर्थिक और सामाजिक विकास हासिल करने में सक्षम होगा."

चीन असमंजस में

नगदी की कमी से जूझ रहा पाकिस्तान इस उम्मीद में था कि चीन उसे श्रीलंका की तरह दिवालिया घोषित होने से बचा लेगा. लेकिन चीन ने पाकिस्तान की मदद के लिए ऐसी कोई घोषणा नहीं की.

चीन पहले से ही इस बात को लेकर असमंजस में है कि श्रीलंका की कैसे मदद की जाए. क्योंकि श्रीलंका पहले ही 51 अरब अमेरिकी डॉलर के विदेशी कर्ज नहीं चुकाने पर डिफॉल्ट हो चुका है. इस विदेशी कर्ज में चीन का भी 20 प्रतिशत कर्ज शामिल है.

भारत के बाद चीन ने भी पिछले महीने आईएमएफ को एक पत्र लिखकर श्रीलंका को 2.9 अरब अमेरिकी डॉलर का बेलआउट पैकेज देने के लिए अपील की है. हालांकि, इसके बाद भी श्रीलंका में चीन का लगा पैसा सुरक्षित है या नहीं, यह कहना मुश्किल है.

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