अमेरिकी होमलैंड सिक्योरिटी विभाग (DHS) ने अप्रवासियों से बायोमेट्रिक डेटा और डीएनए नमूनों के संग्रह का विस्तार करने का प्रस्ताव दिया है. ये नया नियम ट्रंप प्रशासन द्वारा प्रस्तावित है जो आप्रवासन नीतियों में कड़े बदलावों की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है.
अब तक DHS केवल कुछ वयस्क आवेदकों से ही सीमित बायोमेट्रिक्स, जैसे फिंगरप्रिंट लेता था. लेकिन नए नियम के तहत किसी भी उम्र के व्यक्ति को ये डेटा देना होगा. इस विस्तार का उद्देश्य पहचान सत्यापन और कानून प्रवर्तन के लिए आनुवंशिक डेटा का उपयोग करना है.
ये प्रस्ताव बायोमेट्रिक्स की परिभाषा को औपचारिक रूप से पुनः परिभाषित करने की योजना है, जिसमें फिंगरप्रिंट के अलावा डीएनए, आइरिस स्कैन, चेहरे की पहचान डेटा, वॉइसप्रिंट और यहां तक कि व्यवहार पैटर्न को भी शामिल कर सकती है.
DHS की योजना है कि औपचारिक आव्रजन प्रसंस्करण के दौरान ही नहीं, बल्कि जब भी किसी गैर-नागरिक को आव्रजन अधिकारियों द्वारा गिरफ्तार किया जाए तो बायोमेट्रिक्स लिया जा सके.
DNA संग्रह होगा नियमित
प्रस्ताव का एक मुख्य हिस्सा डीएनए नमूनों को एकत्र, परीक्षण, उपयोग और संग्रहीत करने के लिए DHS के अधिकार का विस्तार करना चाहता है. वर्तमान में आव्रजन मामलों में डीएनए संग्रह अपेक्षाकृत सीमित है. ये मुख्य रूप से पारिवारिक संबंध सत्यापन के लिए होता है, जिसका खर्च आवेदक को उठाना होता है. लेकिन अब वीजा, ग्रीन कार्ड, शरण या प्राकृतिककरण के नियमित आवेदकों से भी डीएनए लेना आव्रजन प्रसंस्करण का एक नियमित हिस्सा बन सकता है.
कोर्ट पहुंच सकता है मामला
कानूनी विशेषज्ञों को उम्मीद है कि इस नियम को अदालत में बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. ये निजता, सरकारी शक्ति और आनुवंशिक डेटा के इस्तेमाल के बारे में जटिल संवैधानिक प्रश्न उठाता है. ओबामा प्रशासन के दौरान संघीय अधिकारियों ने इस तरह के व्यापक संग्रह को अव्यवहारिक माना था, जिस रुख को ये नया प्रस्ताव पलट देगा. कई जानकारों का मानना है कि ये विवाद अंततः अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच सकता है.
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