चिन्मय प्रभु को बांग्लादेशी कोर्ट से झटका, राजद्रोह केस में जमानत याचिका खारिज

बांग्लादेश में हिंदुओं की आवाज बने चिन्मय प्रभु की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही हैं. राजद्रोह केस में उन्हें झटका लगा है. कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी है. हालांकि, पुलिस ने उनकी रिमांड नहीं मांगी इसलिए उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.

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चटगांव इस्कॉन पुंडरीक धाम के अध्यक्ष चिन्मय कृष्ण दास. (PTI Photo) चटगांव इस्कॉन पुंडरीक धाम के अध्यक्ष चिन्मय कृष्ण दास. (PTI Photo)

इंद्रजीत कुंडू / आशुतोष मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 26 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 5:43 PM IST

राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किए गए बांग्लादेश के हिंदू संत चिन्मय प्रभु को बांग्लादेश के कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. इस मामले में अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी है. बांग्लादेश पुलिस ने चिन्मय दास की रिमांड नहीं मांगी है. इसलिए उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया गया है. कोर्ट ने यह भी कहा है कि उन्हें जेल में सभी धार्मिक लाभ दिए जाएं.

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बता दें कि चिन्मय प्रभु को 25 नवंबर की दोपहर ढाका के हजरत शाहजलाल हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया गया था. अदालत में पेश किए जाते समय चिन्मय दास ने मीडिया से कहा कि बांग्लादेश के हिंदुओं से उनकी अपील है कि वे अपने आंदोलन की प्रक्रिया को योजना के मुताबिक जारी रखें.

राष्ट्रीय ध्वज के अपमान का लगा आरोप

बांग्लादेश की अंतरिम यूनुस सरकार के कार्यकाल में हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा के दौरान चिन्मय प्रभु लगातार इस मुद्दे को उठा रहे थे. इस दौरान 25 अक्टूबर को राजधानी ढाका के न्यू मार्केट में हिंदुओं के समूह 'सनातन जागरण मंच' ने एक विशाल धरना-प्रदर्शन किया. रैली के दौरान कुछ युवाओं ने बांग्लादेशी झंडे के ऊपर भगवा झंडा लगा दिया. रैली में हुई इस घटना को ही बांग्लादेश की पुलिस ने चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी की वजह बनाया है. बांग्लादेश की पुलिस का कहना है कि इस तरह देश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया गया है.

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ये भी पढ़ें: ISKCON के प्रवक्ता और मुख्य पुजारी... जानिए कौन हैं चिन्मय प्रभु

कौन हैं चिन्मय प्रभु, जिनके खिलाफ केस

बता दें कि चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी बांग्लादेश सनातन जागरण मंच के प्रमुख नेता और इस्कॉन चटगांव के पुंडरीक धाम के अध्यक्ष हैं. उनको लोग चिन्मय प्रभु नाम से भी जानते हैं. वह बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ सशक्त आवाज उठाते रहे हैं. बांग्लादेश में इस्कॉन के 77 से ज्यादा मंदिर हैं, और लगभग 50 हजार से ज्यादा लोग इस संगठन से जुड़े हुए हैं. वह बांग्लादेश सम्मिलित सनातन जागरण जोते समूह के सदस्य भी हैं. उनका संबंध अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण चेतना समाज (ISKCON) से भी है और वह ISKCON के प्रवक्ता भी रह चुके हैं.

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